कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। देश की फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण अपकमिंग 1 फरवरी को संसद में बजट 2023 पेश करने जा रहीं हैं। कुछ साल पहले तक रेल बजट और यूनियन बजट अलग-अलग पेश किया जाता था। यही नही, संसद में पहले रेल बजट को पेश किया जाता था जिसके बाद यूनियन बजट पेश होता था। ये परंपरा अंग्रेजों के शासनकाल में साल 1924 से शुरू हुई। 1924 में पहली बार रेल बजट को अलग से पेश किया गया था, क्योंकि उस समय देश की जीडीपी में रेलवे का काफी योगदान रहता था।

दोनों बजट के मर्ज का कारण
साल 2016 में मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल में बजटीय सुधारों के तहत, देश के रेल बजट को यूनियन बजट में ही शामिल करने का फैसला लिया। इसका कारण था कि, देश की जीडीपी में रेलवे की हिस्सेदारी समय के साथ-साथ कम होती चली गई। जिस वजह से सरकार ने काफी विचार विमर्श करने के बाद, रेल बजट को अलग से पेश न करने फैसला लिया। 93 साल से चली आ रही परंपरा को विराम देते हुए 2017 से रेल बजट को यूनियन बजट के साथ पेश किया जाने लगा।

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