नई दिल्ली (आईएएनएस)। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 को मंजूरी दे दी है। संसद में इस विधेयक के पारित होने के बाद पाकिस्‍तान, बांग्‍लादेश और अफगानिस्‍तान के वो गैर मुस्लिम (हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध) शरणार्थी भारत की नागरिकता हासिल कर सकेंगे, जिन्हें वहां धार्मिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है। इस बात की जानकारी बुधवार को एक सूत्र ने दी। उसने बताया कि नागरिकता अधिनियम, 1955 में संशोधन के लिए एक बिल, अगले दो दिनों में संसद में पेश किए जाने की संभावना है।

विपक्ष की दलील, संविधान के साथ हो रहा गलत

सिर्फ गैर मुस्लिमों को इस विधेयक में जोड़ने को लेकर विवाद शुरू हो गया है। विपक्ष ने संसद में इसपर मोदी सरकार को जमकर घेरा है। विपक्ष का कहना है कि यह संविधान के साथ गलत है, जो नागरिकों के बीच उनके विश्वास के आधार पर अंतर नहीं करता है। विधेयक का विपक्षी दलों कांग्रेस, तृणमूल, द्रमुक, समाजवादी पार्टी, राजद और वाम दलों ने विरोध किया है और यहां तक कि बीजेडी जैसी क्षेत्रीय पार्टियों ने भी आरक्षण का विरोध किया है। नॉर्थ-ईस्ट में भी इस बिल को नाराजगी जताई है, यह ऐसे संकेत हैं कि सरकार दशकों पहले बांग्लादेश से बड़ी संख्या में आए सिर्फ हिंदुओं को ही भारत में नागरिकता देने पर राज्यों को आश्वस्त करने के इरादे से काम कर रही है।

NRC को लेकर घिरे CM केजरीवाल दिल्ली में मचा बवाल, BJP ने की शिकायतअमित शाह ने की मिजोरम के मुख्यमंत्री के साथ बैठक

बता दें कि गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को इस विधेयक पर मिजोरम के मुख्यमंत्री समेत पूर्वोत्तर राज्यों के कई बड़े नेताओं व कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की। इस बैठक के बाद असम के वित्‍त मंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि विधेयक पर भ्रम के सभी संकटों को दूर कर दिया गया है।

National News inextlive from India News Desk