बेंगलुरू (पीटीआई)। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री एवं बीजेपी के वरिष्ठ नेता अनंत कुमार को श्रद्घांजलि देने के लिए पार्टी के नेता और समर्थकों का तांता लगा रहा। सोमवार को उनका निधन हो गया था। दिवंगत बीजेपी नेता का पार्थिव शरीर एक सैन्य वाहन पर बासवनगुडी स्थित उनके निवास से मल्लेश्वरम स्थित बीजेपी मुख्यालय लाया गया। वाहन पर उनके पार्थिव शरीर के साथ तीनों सेनाओं सेना, नौ सेना और वायु सेना कर्मी मौजूद थे। समर्थकों द्वारा लगाए 'भारत माता की जय' और 'अनंत कुमार अमर रहें' नारों के बीच बीजेपी नेता की अंतिम यात्रा शुरू हुई।

राजकीय सम्मान के साथ होगा अंतिम संस्कार

बीजेपी मुख्यालय पर राज्य बीजेपी अध्यक्ष बीएस येदियुरप्पा और कर्नाटक के पार्टी प्रभारी व महासचिव मुरलीधर राव मौजूद थे। यहां केंद्रीय मंत्री सदानंद गौड़ा, आर अशोक, केएस ईश्वरप्पा, अनुराग ठाकुर, प्रह्लाद जोशी और सैकड़ों पार्टी कार्यकता अपने नेता को अंतिम विदाई देने के लिए आए थे। यहां उनके पार्थिव शरीर को एक घंटे के लिए रखा जाना है। दोपहर में चमराजापेट श्मशान में उनका अंतिम संस्कार किया जाना है। इससे पहले आम जनता के अंतिम दर्शन के लिए उनके पार्थिव शरीर को उनके संसदीय क्षेत्र स्थित नेशनल काॅलेज ग्राउंड में रखा जाएगा। केंद्र सरकार ने कुमार के लिए राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार की घोषणा की है। उनके पारिवारिक सूत्रों के अनुसार, कुमार का अंतिम संस्कार ब्राह्मण रीति रिवाजों के मुताबिक किया जाएगा।

ब्रिटेन-अमेरिका में भी चला था अनंत का इलाज

59 वर्ष के अनंत कुमार ने सोमवार को दोपहर 2 बजे श्री शंकरा कैंसर हाॅस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर में अंतिम सांस ली थी। अक्टूबर में ही वे अमेरिका और ब्रिटेन से उपचार के बाद यहां लौटे थे। वे दक्षिण बेंगलुरू से सांसद थे। उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, कैबिनेट मंत्री राजनाथ सिंह, पीयूष गोयल, हर्ष वर्धन, राधा मोहन सिंह, रामदास अटावले, महेश शर्मा, अश्विनीकुमार चौबे और रामकृपाल यादव ने मंगलवार को श्रद्घांजलि अर्पित की। वाराणसी से पीएम मोदी यहां कुमार के निवास स्थान पहुंचे और उन्हें श्रद्घांजलि दी। अपने 15 मिनट के विजिट के दौरान मोदी ने कुमार की पत्नी तेजस्विनी और उनकी दो बेटियों को सांत्वना भी दिया।

कर्नाटक में रहेगा तीन दिन का शोक

कुमार को श्रद्घांजलि देने के लिए अन्य पार्टी के नेता, रिश्तेदार, पारिवारिक मित्र और पार्टी कार्यकर्ताओं का तांता लगा रहा। राजनीतिक विरोधियों से भी दोस्ती के हुनर में कुमार माहिर थे। कर्नाटक सरकार ने उनके निधन पर राज्य में तीन दिन के शोक की घोषणा की है। 1987 से उन्होंने राजनीति में कदम रखा। 1998 में वाजपेयी कैबिनेट में सिर्फ 38 साल की उम्र में वे केंद्रीय मंत्री बने थे। वे बीजेपी के ऐसे कद्दावर नेताओं में शामिल थे जो अटल बिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी दोनों के कार्यकाल के दौरान पार्टी की आंतरिक समिति में समान रूप से महत्व रखते थे। वे पार्टी के राज्य और केंद्रीय इकाई के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी थे।

दक्षिण भारत में बीजेपी को दिलाई 'जमीन'

येदियुरप्प के साथ कंधा से कंधा मिलाकर चलने वाले कुमार बीजेपी के उन नेताओं में से एक थे जिन्होंने कर्नाटक में पार्टी को पैर पसारने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। कुमार जैसे नेताओं के कारण ही बीजेपी 2008 में कर्नाटक में सरकार बना सकी। दक्षिण में कर्नाटक पहला राज्य था, जहां बीजेपी सत्ता में आई। 1996 में बेंगलुरू दक्षिण से उन्होंने अपना संसदीय सफर शुरू किया और अंत तक यही से सांसद रहे। 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने साफ्टवेयर आइकन कांग्रेस के प्रत्याशी नंदन निलेकणि को हराया था।

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