- पटना यूनिवर्सिटी के दर्जन भर टीचर्स इस बार इलेक्शन में आजमाने वाले हैं किस्मत

- ज्ञान का पाठ पढ़ाने वाले गुरु जी भी वोट के लिए जातीय समीकरण सेट करने में लगे

<- पटना यूनिवर्सिटी के दर्जन भर टीचर्स इस बार इलेक्शन में आजमाने वाले हैं किस्मत

- ज्ञान का पाठ पढ़ाने वाले गुरु जी भी वोट के लिए जातीय समीकरण सेट करने में लगे

sanjeet.mishra@inext.co.in

PATNA: sanjeet.mishra@inext.co.in

PATNA: राजनीति की शुरुआत कॉलेज या यूनिवर्सिटी कैंपस से होती है। ऐसे भी पटना यूनिवर्सिटी में राजनीति की जमीन बहुत उपजाऊ है। बिहार पॉलिटिक्स में वर्तमान में जितने भी बड़े नाम हैं, वे कहीं न कहीं किसी न किसी रूप में पीयू से जरूर जुड़े हैं। एक बार फिर विधानसभा चुनाव को लेकर पीयू में राजनीति गरमाने लगी है। अभी ही दर्जनभर नाम सामने आ गए हैं, जो इस बार विधानसभा पहुंचने की जुगत में लगे हैं। आज टीचर्स डे के मौके पर आइए जानते हैं यूनिवर्सिटी की राजनीति के रास्ते विधानसभा पहुंचने में कौन किस तरह से अपनी तैयारी कर रहे हैं

एकता ही मेरी ताकत

बीजेपी के टिकट पर नवादा सीट से 13वीं लोकसभा चुनाव जीतकर संसद पहुंचे संजय पासवान भी विधानसभा इलेक्शन में फाइट करने वाले हैं। उन्होंने कहा कि मैं इस बार चुनाव तो लडूंगा, पर सुरक्षित सीट से नहीं। मुझे पार्टी किसी भी सामान्य सीट से टिकट दे दे। वैसे मेरा इंटरेस्ट दरभंगा, समस्तीपुर और नवादा कोई भी विधानसभा क्षेत्र हो सकता है। उन्होने कहा, मेरी दावेदारी इसलिए भी मजबूत है कि मैं लोकसभा का सदस्य रह चुका हूं और वाजपेयी मंत्रिमंडल में राज्यमंत्री भी। संजय ने कहा कि मैं वर्षो से संगठन से जुड़ा हूं। सांगठनिक एकता ही मेरे लिए प्लस प्वाइंट है, साथ ही दर्जनों सामाजिक संगठनों से भी जुड़ाव जीत में एक कड़ी का काम करेगी।

हार को अबकी जीत में बदलूंगी

वरिष्ठ समाजवादी व पूर्व मंत्री तुलसीदास मेहता की बेटी व सीनियर लीडर आलोक मेहता की बहन सुहेली मेहता हाल के दिनों में बिहार की राजनीति में बहुत तेजी से उभर रही हैं। कॉलेज की राजनीति से संसद के गलियारे तक पहुंचने का सपना लिए सुहेली पिछले लोकसभा चुनाव में भी लड़ी थी, पर जीत नहीं मिली। चिराग पासवान के साथ आई खटास के बाद उन्हें लोजपा से निकाल दिया गया। सुहेली कहती हैं बीजेपी से भी टिकट मिले, तो लड़ सकती हूं, वैसे राजद की ओर से भी हामी मिली है, देखते हैं क्या होता है। वैसे सुहेली परबत्ता से जन अधिकार पार्टी <राजनीति की शुरुआत कॉलेज या यूनिवर्सिटी कैंपस से होती है। ऐसे भी पटना यूनिवर्सिटी में राजनीति की जमीन बहुत उपजाऊ है। बिहार पॉलिटिक्स में वर्तमान में जितने भी बड़े नाम हैं, वे कहीं न कहीं किसी न किसी रूप में पीयू से जरूर जुड़े हैं। एक बार फिर विधानसभा चुनाव को लेकर पीयू में राजनीति गरमाने लगी है। अभी ही दर्जनभर नाम सामने आ गए हैं, जो इस बार विधानसभा पहुंचने की जुगत में लगे हैं। आज टीचर्स डे के मौके पर आइए जानते हैं यूनिवर्सिटी की राजनीति के रास्ते विधानसभा पहुंचने में कौन किस तरह से अपनी तैयारी कर रहे हैं

एकता ही मेरी ताकत

बीजेपी के टिकट पर नवादा सीट से क्फ्वीं लोकसभा चुनाव जीतकर संसद पहुंचे संजय पासवान भी विधानसभा इलेक्शन में फाइट करने वाले हैं। उन्होंने कहा कि मैं इस बार चुनाव तो लडूंगा, पर सुरक्षित सीट से नहीं। मुझे पार्टी किसी भी सामान्य सीट से टिकट दे दे। वैसे मेरा इंटरेस्ट दरभंगा, समस्तीपुर और नवादा कोई भी विधानसभा क्षेत्र हो सकता है। उन्होने कहा, मेरी दावेदारी इसलिए भी मजबूत है कि मैं लोकसभा का सदस्य रह चुका हूं और वाजपेयी मंत्रिमंडल में राज्यमंत्री भी। संजय ने कहा कि मैं वर्षो से संगठन से जुड़ा हूं। सांगठनिक एकता ही मेरे लिए प्लस प्वाइंट है, साथ ही दर्जनों सामाजिक संगठनों से भी जुड़ाव जीत में एक कड़ी का काम करेगी।

हार को अबकी जीत में बदलूंगी

वरिष्ठ समाजवादी व पूर्व मंत्री तुलसीदास मेहता की बेटी व सीनियर लीडर आलोक मेहता की बहन सुहेली मेहता हाल के दिनों में बिहार की राजनीति में बहुत तेजी से उभर रही हैं। कॉलेज की राजनीति से संसद के गलियारे तक पहुंचने का सपना लिए सुहेली पिछले लोकसभा चुनाव में भी लड़ी थी, पर जीत नहीं मिली। चिराग पासवान के साथ आई खटास के बाद उन्हें लोजपा से निकाल दिया गया। सुहेली कहती हैं बीजेपी से भी टिकट मिले, तो लड़ सकती हूं, वैसे राजद की ओर से भी हामी मिली है, देखते हैं क्या होता है। वैसे सुहेली परबत्ता से जन अधिकार पार्टी ((लो<लो) ) के टिकट पर चुनाव लड़ने वाली हैं। लोकसभा इलेक्शन के बाद वे लगातार परबत्ता का दौरा कर रही हैं। छोटी से छोटी घटना को भी सुहेली सरकार तक पहुंचाने की कोशिश में हैं। पिछले दिनों 80 दलित परिवारों पर दबंगों की ज्यादती को सुहेली ने सबके सामने लाया, जिसके कारण उन्हें लोजपा से बाहर भी होना पड़ा। वे कहती हैं कि मेरा फैमिली बैकग्राउंड और पब्लिक के बीच किया गया मेरा काम ही मेरी जीत की कहानी लिखेगा।

बस पार्टी मेरे नाम पर 'ओके' कर दे

यूनिवर्सिटी राजनीति में सक्रिय डॉ रणधीर कुमार सिंह इस बार विधानसभा इलेक्शन में किस्मत आजमाने वाले हैं। वे गोपालगंज के हथुआं सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने की कोशिश में हैं। इनके पिता अनंत प्रसाद सिंह मीरगंज विधानसभा से कांग्रेस के विधायक रह चुके हैं। वे गोपालगंज जिला परिषद के प्रथम अध्यक्ष भी रह चुके हैं। डॉ सिंह कहते हैं, मेरी फैमिली पॉलिटिकली स्ट्रांग रही है, इसलिए मुझे विश्वास है कि अगर हमें टिकट दिया गया, तो जीत जरूर होगी। पार्टी से क्97भ् से ही जुड़े हुए हैं। जमींदार फैमिली से आने वाले रणधीर सिंह कहते हैं कि वहां का जातीय समीकरण भी मेरे पक्ष में है, बस टिकट मिलने का इंतजार कर रहा हूं।

हर घर में मेरे स्टूडेंट होंगे

बिहार यूनिवर्सिटी के प्रोफसर विवेकानंद शुक्ला मुजफ्फरपुर के कुढ़नी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने का मन बना चुके हैं। श्री शुक्ला कहते हैं कि उपेंद्र कुशवाहा और सांसद अरुण कुमार से मेरी बात हो चुकी है और उन्होंने भरोसा दिलाया कि एनडीए में सीट बंटवारे के बाद अगर कुढ़नी रालोसपा के हिस्से आती है, तो मुझे जरूर कंसीडर किया जाएगा। उन्होंने कहा कि मैं बिहार यूनिवर्सिटी में लंबे समय से हूं और इस संसदीय क्षेत्र में ऐसा कोई भी गांव नहीं होगा, जिस घर से कोई न कोई स्टूडेंट मुझे न जानता हो। जहां तक कास्ट फैक्टर की बात है, तो हम उस कास्ट से आते हैं, जिसकी संख्या वहां अधिक है और कुशवाहा समाज का वोट भी हमें जरूर मिलेगा। उन्होने कहा कि मैं तो लड़ने को पूरी तरह से तैयार हूं, बस हम सीट बंटवारे का इंतजार हो रहा है।

काम करेगा यादव फैक्टर

पटना यूनिवर्सिटी के जियोलॉजी डिपार्टमेंट के प्रो अनिल कुमार भाजपा के टिकट पर सहरसा के महिषी सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं। उन्होंने बताया कि बीजेपी नेताओं से इस मामले में मेरी एक-दो बार बात हो चुकी है। मेरे नाम पर हामी भी भर दी गई है। मैं ख्भ् सालों से बीजेपी से जुड़ा हूं। चूंकि मेरा क्षेत्र यादवों का बेल्ट है और मेरी फैमिली का यादव राजनीति से अच्छा-खासा कनेक्शन रहा है। पार्टी के सभी वर्कर्स भी मेरे नाम पर सहमत होंगे, ऐसा मुझे लगता है। ऐसे भी बीजेपी ही एकमात्र ऐसी पार्टी है कि यदि आपके साथ पार्टी वर्कर्स हैं, तो आपकी जीत पक्की है। मैं वर्तमान में भाजपा बिहार टीचर्स सेल का अध्यक्ष भी हूं। मुझे विश्वास है कि पार्टी मेरे नाम पर जरूर विचार करेगी।

पहले टीचिंग, उसके बाद राजनीति

बीएन कॉलेज के जूलोजी डिपार्टमेंट के अखिलेश्वर तिवारी वर्षो से संघ से जुडे़ हैं। पुराने कार्यकर्ता होने के नाते ये चाहते हैं कि एक बार पार्टी इन्हें मौका जरूर दें। चुनावी मैदान में उतरकर जनता की सेवा करना चाहते हैं अखिलेश्वर तिवारी। वे भाजपा के टिकट पर बक्सर से चुनाव लड़ने की सोच रहे हैं। हालांकि टिकट मिलने के सवाल पर इनका कहना है कि मेरे लिए सबसे जरूरी है अपना काम करना। संघ में मुझे यही सिखाया गया कि बस अपना काम करते रहें, अगर नेतृत्व क्षमता पॉवरफुल दिखी, तो मौका जरूर मिलेगा। मुझे विश्वास है कि वर्षो तक संघ व भाजपा में किए गए काम का फल मुझे जरूर मिलेगा।

और भी हैं रास्ते

पटना वीमेंस कॉलेज की टीचर कुमारी रूपम इस बार भी विधानसभा इलेक्शन में फाइट करने वाली हैं। गौरतलब है कि ख्0क्0 में भी ये सीतामढ़ी से चुनाव लड़ चुकी हैं। इस बार भी वे कांग्रेस के टिकट पर सीतामढ़ी से ही लड़ना चाहती हैं। हालांकि इस बार चांस मिलेगा या नहीं, यह बताने से बच रही हैं, पर इतना जरूर कह रही हैं कि इस बार लड़ूंगी जरूर। पार्टी अगर टिकट न दे तो, इस सवाल पर रूपम कहती हैं कि और भी रास्ते हैं।