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LUCKNOW : माखी कांड को लेकर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के सख्त रुख ने यूपी सरकार के साथ सीबीआई को भी गहरा झटका दिया है साथ ही इस धारणा को भी मजबूत किया है कि सूबे के हाईप्रोफाइल मामलों की जांच अदालत के दखल के बाद ही सीबीआई द्वारा की जाती है। यूपी में बीते कुछ सालों में हुए तमाम हाईप्रोफाइल मामलों में ऐसा मोड़ भी आया जब अदालत को हस्तक्षेप कर पीडि़तों को न्याय दिलाना पड़ा। सत्तारूढ़ दलों ने दोषियों को बचाने के तमाम प्रयास किए तो पीडि़तों, सामाजिक कार्यकर्ता और अधिवक्ताओं ने जनहित याचिका के जरिए अदालत से इंसाफ दिलाने की गुहार लगाई और इसमें उनको कामयाबी भी मिली। माखी कांड भी इसका एक ताजा उदाहरण है जिसमें यूपी सरकार द्वारा सीबीआई जांच की सिफारिश किए जाने के बाद मामला कोर्ट में पहुंचा, नतीजतन राज्य सरकार की सिफारिश के बजाय कोर्ट के आदेश पर इसकी जांच सीबीआई ने शुरू कर दी। बीते तीन दशकों में यूपी के करीब 50 से ज्यादा बड़े मामलों की जांच अदालत के दखल के बाद सीबीआई ने की है।

कई घोटालों, हत्याकांड की हुई जांच

कुछ दशक पीछे जाने पर पता चलता है कि अयोध्या में विवादित ढांचे को ध्वस्त करने के मामले की सीबीआई जांच सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर शुरू हुई थी। इसके बाद कालांतर में कई मामले ऐसे हुए जिसमें कोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए। बीते एक दशक के दौरान कई चर्चित घोटालों और हत्याकांड की जांच सीबीआई ने अदालत के आदेश पर की। बसपा सरकार में अंजाम दिए गये एनआरएचएम घोटाले में लखनऊ के एक अधिवक्ता की जनहित याचिका ने सीबीआई जांच का रास्ता खोला था। सीबीआई ने जांच शुरू की तो कई तत्कालीन मंत्री, विधायक, आईएएस अफसर, डॉक्टर, सप्लायर आदि जांच के घेरे में आए और उनको जेल जाना पड़ा। वहीं पूर्ववर्ती सपा सरकार में तमाम कोशिशों के बाद भी नोएडा डेवलपमेंट अथॉरिटी के चीफ इंजीनियर यादव सिंह के खिलाफ सीबीआई जांच की सिफारिश नहीं की गयी तो एक सामाजिक कार्यकर्ता ने हाईकोर्ट में गुहार लगाई जिसके बाद सीबीआई को जांच सौंपी गयी।

चीनी मिल बिक्री घोटाले की सीबीआई जांच

हाल ही में सीबीआई द्वारा शुरू की गयी चीनी मिल बिक्री घोटाले की सीबीआई जांच भी एक जनहित याचिका पर हो रही है। राजधानी में कारोबारी श्रवण साहू की सपा सरकार में हत्या का मामला भी हाईकोर्ट के निर्देश पर सीबीआई ने दर्ज किया था। एक आईपीएस द्वारा बरेली में कंप्यूटर ऑपरेटर का फर्जी एनकाउंटर किए जाने की जांच उसके पिता की याचिका पर हाईकोर्ट ने सीबीआई को सौंपी थी। इसी तरह खाद्यान्न घोटाला, देवरिया जेल कांड, खनन घोटाला, शिक्षक भर्ती घोटाला, जवाहरबाग कांड, डिप्टी सीएमओ डाॅ. एके सचान की लखनऊ जेल में संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत जैसे कई मामलों की जांच अदालत के आदेश पर सीबीआई ने की है।

नेताओं के खिलाफ मामले यूपी से ट्रांसफर

सुप्रीम कोर्ट ने माखी कांड के चारों केसेज की सुनवाई अब दिल्ली में कराने का आदेश दिया है। अभी तक ये चारों मामले लखनऊ स्थित सीबीआई की स्पेशल कोर्ट में चल रहे थे हालांकि इनमें अभी तक ट्रायल शुरू नहीं हो सका था। यह यूपी का तीसरा ऐसा मामला है जिसमें अदालत ने राज्य के बाहर सुनवाई करने का आदेश सुनाया है। इससे पहले बसपा सरकार में हुए कवियत्री मधुमिता शुक्ला की हत्या का ट्रायल कोर्ट के आदेश पर उत्तराखंड ट्रांसफर कर दिया गया था। इस मामले में भी तत्कालीन बसपा के बाहुबली विधायक अमर मणि त्रिपाठी आरोपित थे, बाद में सीबीआई जांच में दोषी पाए जाने पर उनको सजा भी सुनाई गयी थी। उल्लेखनीय है कि अमरमणि के पुत्र अमनमणि त्रिपाठी भी अपनी पत्नी सारा सिंह की हत्या के मामले में सीबीआई जांच मे दोषी पाए जा चुके हैं। यह मामला भी अदालत के आदेश पर सीबीआई ने दर्ज किया था। इसके अलावा भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के मामले का ट्रायल भी यूपी के बजाय दिल्ली में कराने का सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था।

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कोर्ट के आदेश पर इन मामलों की जांच

- अयोध्या में विवादित ढांचा विध्वंस

- एनआरएचएम घोटाला

- खाद्यान्न घोटाला

- देवरिया जेल कांड

- खनन घोटाला

- शिक्षक भर्ती घोटाला

- जवाहरबाग कांड

- डिप्टी सीएमओ सचान हत्याकांड

- बरेली में कंप्यूटर ऑपरेटर का फर्जी एनकाउंटर

- राजधानी का श्रवण साहू हत्याकांड

- इंजीनियर यादव सिंह के खिलाफ जांच

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