यह भी जानें

-32 अनसेफ प्वॉइंट पर सबसे ज्यादा एक्सिडेंट

-3176 लोग इन अनसेफ प्वॉइंट्स पर हुए घायल

-आरटीओ की ओर से चिन्हित किए गए ब्लैक स्पॉट और अनसेफ प्वॉइंट्स

-हर साल बढ़ रहा मौत का आंकड़ा, फिर भी जिम्मेदारों की ओर से नहीं उठाया जा रहा कदम

बरेली। बरेली के ब्लैक स्पॉट और अनसेफ प्वॉइंट्स लोगों की जान ले रहे हैं, लेकिन इसके बाद भी शासन, प्रशासन और पुलिस की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। इसी का ही नतीजा है कि ट्यूजडे को शाहजहांपुर में भीषण सड़क हादसे में 17 लोगों की मौत हो गई। वहीं बरेली में भी 8 ब्लैक स्पॉट हैं जहां 3.5 साल में अब तक 1664 लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि 32 अनसेफ प्वॉइंट्स ऐसे हैं जहां अब तक 3176 लोग घायल हो चुके हैं। साल दर साल मौत का आंकड़ा बढ़ रहा है, लेकिन इसके बाद भी जिम्मेदार खामोश हैं।

ये हैं ब्लैक स्पॉट

। मयूरवन चेतना

2. नवदिया झारा चौराहा

3. नकटिया नदीपुल

4. रेठौरा

5. लेभेड़ा

6. बकनिया चौराहा

7. सिंधौरा चौराहा

8. नगररिया

ये हैं अनसेफ स्पॉट

जीरो प्वॉइंट परसाखेड़ा, मथुरापुर चौराहा, परधौली चौराहा, महेशपुरा फाटक, रामगंगा तिराहा, कलापुर पुलिया, करमपुर चौधरी, बसंत बिहार तिराहा, जीरो प्वाइंट इन्वर्टिस तिराहा, रामनगर बस स्टैंड के सामने, धरमपुर, अखा मोड़, खुली, सरदार पुल, किशनपुरी चौराहा, हरदासपुर रोड, गुड़गांव सिरौली-अलीगंज मार्ग, मौर्य ढाबा हाइवे रोड, शंखापुल, धनेटा फाटक, रबड़ फैक्ट्री के पास मंदिर मोड़, वन विभाग तिराहा, बिलवा पुल, जाधवपुर, बरखन, इनायतपुर, फरीदपुर में टोल प्लाजा के पास, जेड़, पचौमी तिराहा, अहरोला चौराहा, रसूलारपुर चौराहा।

साल मृतक घायल

2016 475 905

2017 467 914

2018 484 907

2019 238 450

ऐसे होता है ब्लैक स्पॉट निर्धारण

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने ब्लैक स्पॉट के मानक तय किए हैं। परिवहन निगम के अधिकारियों के मुताबिक ब्लैक स्पाट नेशनल हाईवे, हाईवे या एमडीआर पर स्थित 500 मीटर दूर का वह स्थान जहां विगत तीन साल में पांच बड़े एक्सीडेंट हुए हो। जिसमें कई लोगों की जान गई हो।

हादसों के यह है मेन वजह

-ब्लैक स्पॉट पर डायवर्जन का साइन बोर्ड का न होना।

-वार्निग का साइन बोर्ड भी नहीं लगा होता है।

-डिवाइडर्स पर रेडियम का यूज न होना।

-सड़कों की हालत काफी खराब है।

वर्जन

बरेली में 32 स्पॉट अनसेफ तथा 8 ब्लैक स्पॉट पहचाने गए हैं, जहां एक्सीडेंट ज्यादा होते हैं। यहां डेढ़ हजार लोगों की चार साल में मौत हुई है।

-डा। एके गुप्ता आरटीओ