परीक्षा से पहले परीक्षा

-एजूकेशन सिस्टम के दो चेहरे, चेकिंग या फिर हरासमेंट

-यूपी बोर्ड के सेंटर्स पर चेकिंग के नाम पर उतरवाया जा रहा ग‌र्ल्स का दुपट्टा, हवाई चप्पल पहन कर ग‌र्ल्स पहुंच रहीं सेंटर

--CBSE students का अलग है नजारा

balaji.kesarwani@inext.co.in

ALLAHABAD: फॉरेन टूर पर जाने वाले पॉलिटिशियंस और बालीवुड एक्टर्स को चेकिंग के लिए रोक लिया गया तो पूरे देश में बखेड़ा खड़ा हो गया। यह नेशनल इश्यू बन गया। लेकिन, यहां होने वाली चेकिंग न तो मुद्दा है और न ही किसी को कोई आपत्ति। पैरेंट्स और स्टूडेंट्स की थॉट है कि कौन जाए एग्जाम टाइम में पंगा मोल लेने और चेकिंग करने वालों का फंडा है कि रिस्क क्यों लेना? वैसे यह चेकिंग यूपी बोर्ड और सीबीएसई के बीच की खाई को भी सामने लाती है। अब आप खुद तय करें इसे चेकिंग कहेंगे या हैरेसमेंट।

दोनों बोर्डो के चल रहे हैं एग्जाम्स

वर्तमान समय में यूपी बोर्ड और सीबीएसई के हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के एग्जाम्स चल रहे हैं। दोनों जगहों पर परीक्षा में शामिल होने वाले परीक्षार्थियों का एज ग्रुप एक जैसा ही है। दोनों ने दो साल पढ़ाई की है और अब परीक्षा देने के लिए पूरी तैयारी के साथ सेंटर्स पर पहुंच रहे हैं। कोर्स में थोड़ा अंतर भले ही हो लेकिन दोनों के स्टूडेंट्स आलमोस्ट सेम एग्जाम पैटर्न का हिस्सा बन रहे हैं। दोनों पर परीक्षा का प्रेशर भी एक जैसा है और आने वाले दिनों में दोनों को कॅरियर की दिशा में कदम आगे बढ़ाने के लिए एक ही प्लेटफॉर्म पर खड़े भी होना है।

कैसा ह्मह्वद्यद्ग है यह

चेकिंग के तौर तरीके की जानकारी होने पर आई नेक्स्ट रिपोर्टर खुद पहुंचा इसे देखने। यूपी बोर्ड के एग्जाम सेंटर पर स्टूडेंट्स की तलाशी कुछ इस अंदाज में ली जा रही थी मानो हर कोई घर से नकल करने के लिए ही तैयार होकर आया हो। लड़का हो या लड़की दोनों को एक ही तरीके से चेक किया जा रहा था। मसलन जूता-मोजा पहन रखा है तो पहले उसे उतारो। दुपट्टा ले रखा है तो पूरा खोलकर दिखाओ कि कुछ लिख तो नहीं रखा है। फुल बाजू की शर्ट पहन रखी है तो बटन खोलकर पूरा हाथ दिखाओ। ब्लेजर पहन रखा है तो उतारकर दिखाओ। आदिआदि

स्लीपर पहन कर पहुंचीं एग्जाम देने

सभी स्कूल का अपना ड्रेस कोड है। आम दिनों में स्टूडेंटस वेल मेंटेन स्कूल ड्रेस में स्कूल न पहुंचें तो उन पर फाइन लगता है। पनिश किया जाता है। डांट मिलती है, सो अलग। लेकिन, यूपी बोर्ड के परीक्षार्थी एग्जाम के दौरान ऐसा बिल्कुल नहीं कर सकते। फुल ड्रेस में होना उनके लिए मुसीबत बन जा रही है। चेकिंग करने वाले खुद उन्हें स्लीपर पहन कर आने की हिदायत दे रहे हैं।

सीबीएसई में तो नहीं होता ऐसा

सीबीएसई बोर्ड के एग्जाम सेंटर्स की स्थिति बिल्कुल उलट है। यहां स्टूडेंट्स बोर्ड एग्जाम के दौरान भी स्कूल ड्रेस में पहुंचते हैं। जैकेट से लेकर जूता-मोजा सब कुछ पहनते हैं। यहां उन्हें चेक तो किया जाता है लेकिन चेकिंग के नाम पर च्उत्पीडि़तच् बिल्कुल नहीं किया जाता। सीबीएसई स्कूलों में भी ग‌र्ल्स और ब्वॉयज दोनों एग्जाम दे रहे हैं। यहां के स्टूडेंट्स एग्जाम टाइम में भी वेल मेंटेन नजर आते हैं। न ग‌र्ल्स के दुपट्टे से छेड़छाड़ होती है और न ही उन्हें चप्पल पहन कर स्कूल आने के लिए प्रेशर बनाया जा रहा है। ब्वायज स्टूडेंट भी वेल मेंटेन पूरे ड्रेस में दिखते हैं। अब सवाल यह उठता है कि आखिर ऐसा अंतर क्यों?

सिस्टम पर उठ रहे सवाल

-किसने दिए हैं इस तरह की चेकिंग करने के आदेश?

-सीबीएसई के स्कूलों की तरह यहां भी सीसीटीवी कैमरा लगा तब ऐसा क्यों?

-क्या इस तरह से चेकिंग हो जरूरी है?

-क्यों अपने ही छात्रों पर भरोसा नहीं कर पा रहे यूपी बोर्ड के सेंटर्स प्रबंधक -क्या यह दोनों बोर्डो के परीक्षार्थियों में इंफीरियारिटी काम्प्लेक्स फील नहीं कराएगा?