- इंटरमीडिएट में प्रदेश में पांचवे पायदान पर

- हाईस्कूल में तीन सीढ़ी चढ़कर पहुंचे 39वें स्थान पर

LUCKNOW: माध्यमिक शिक्षा परिषद इलाहाबाद की ओर से यूपी बोर्ड के हाईस्कूल और इंटरमीडिएट 2016 का रिजल्ट इस बार राजधानी के लिए काफी हद तक बेहतर रहा। स्टूडेंट्स के पक्ष की बात करें तो उन्हें पिछले सालों की तुलना में इस बार भी खूब नंबर मिले। हाईस्कूल में तो स्टेट के पिछले 12 साल में सबसे बेहतरीन रिजल्ट मिले हैं। इनकी मेहनत और लगन का नतीजा है कि प्रदेश भर में लखनऊ का सिर गर्व से ऊंचा हुआ है। वहीं इसी नतीजे में लखनऊ इंटरमीडिएट के रिजल्ट में स्टेट में टॉप फाइव में जगह बनाने में कामयाब रहा। वहीं, हाईस्कूल में भी इसकी रैंकिंग में काफी सुधार देखने को मिला है। लखनऊ प्रदेश में नतीजे देने के मामले में बाराबंकी, उन्नाव, सीतापुर, वाराणासी से जिलों को पीछे छोड़कर 39वें स्थान पर पहुंच गया है।

तीन साल बाद सबसे बेहतर रिजल्ट

हाईस्कूल के रिजल्ट में टॉपर्स स्टूडेंट्स ने अपने रिजल्ट को बेहतर बनाने के लिए पूरी कोशिश है। इसी का परिणाम संडे को जारी हुए रिजल्ट में देखने को मिला। हाईस्कूल के रिजल्ट में स्टूडेंट्स के नंबर बढ़ने के साथ ही राजधानी का ओवरऑल रिजल्ट में भी पांस फीसदी की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। सबसे अच्छी बात ये है कि 2013 के बाद एक बार फिर राजधानी में बेहतर रिजल्ट दिए हैं।

बीते सालों में राजधानी में हाईस्कूल का रिजल्ट

साल रिजल्ट

2013 87.30 प्रतिशत

2014 84.10 प्रतिशत

2015 81.96 प्रतिशत

2016 86.52 प्रतिशत

इंटरमीडिएट के रिजल्ट में एक प्रतिशत का सुधार

इस बार इंटरमीडिएट के रिजल्ट में पिछले साल की तुलना में एक प्रतिशत की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। नतीजों में करीब एक प्रतिशत का सुधार कर इस बार 95.25 प्रतिशत ने इस परीक्षा में सफ लता हासिल की है। अच्छी बात ये भी है कि 2013 के बाद एक बार फिर हमारे मेधावियों ने 95 का आंकड़ा छुआ है।

बीते सालों में राजधानी में इंटरमीडिएट का रिजल्ट

साल रिजल्ट

2013 95.92 प्रतिशत

2014 93.90 प्रतिशत

2015 94.38 प्रतिशत

2016 95.25 प्रतिशत

12 साल में पहली बार 87.66 प्रतिशत हुए पास

2016 के रिजल्ट यूपी बोर्ड हाईस्कूल के लिए काफी बेहतर रहा हैं। प्रदेश में पिछले 12 सालों में पहली बार यूपी बोर्ड हाईस्कूल में 87 प्रतिशत छात्र-छात्राएं पास हुए हैं। 2005 में 68.31 प्रतिशत से शुरू हुआ सफर अब कहीं 87.66 प्रतिशत तक पहुंचा है। 2012 में पहली बार सफलता प्रतिशत ने 80 का आंकड़ा पार किया था। यूपी बोर्ड की हाईस्कूल परीक्षा के परिणाम ने इस बार नया रिकार्ड बना दिया है। पहली बार स्टूडेंट्स की सफलता का आंकड़ा इतना अधिक पहुंचा है। वहीं इंटरमीडिएट का रिजल्ट पिछले कीर्तिमान को ध्वस्त नहीं कर सका है, क्योंकि इसके पहले दो बार रिजल्ट 92 फीसद से अधिक आ चुका है। ज्ञात हो कि हाईस्कूल में 87.66 वहीं इंटर में 87.99 फीसद स्टूडेंट्स सफल हुए हैं। हालांकि हाईस्कूल में 2013 एवं 2014 में परीक्षा परिणाम 86 फीसद से अधिक रहा है, लेकिन पहली बार स्टूडेंट्स की सफलता का ग्राफ 87 फीसद के ऊपर गया है। वहीं इंटरमीडिएट का परिणाम लगभग हर बार हाईस्कूल से बेहतर आता रहा है, इस मर्तबा इंटरमीडिएट के छात्र-छात्राओं से और बेहतर रिजल्ट की उम्मीद थी, लेकिन वह नहीं हो सका है। 2008 और 2009 को छोड़ दिया जाए तो इंटर का रिजल्ट 80 फीसद से ऊपर ही रहा है। ऐसे में इस बार का परिणाम उसी के इर्द-गिर्द ही आया है।

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दस साल के रिजल्ट पर नजर

साल हाईस्कूल इंटरमीडिएट

2005 68.31 89.38

2006 71.66 89.00

2007 74.41 89.34

2008 40.07 65.05

2009 56.67 79.52

2010 70.79 80.54

2011 70.82 80.14

2012 83.75 89.40

2013 86.63 92.68

2014 86.71 92.21

2015 83.74 88.83

बदले पैटर्न ने खोली झोली, नम्बर बटोरना हुआ आसान

यूपी बोर्ड की इस बदली हुई तस्वीर का विशेषज्ञ बोर्ड के पैटर्न में आए बदलावों और लखनऊ में सुधार की प्रक्रिया से जोड़कर देख रहे हैं। क्वींस इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ। आरपी मिश्र कहते हैं कि पिछले सत्र ने 12वीं और 11वीं के कोर्सेस को अलग कर दिया। इस फैसले नें बच्चों पर पड़ने वाले अनावश्यक दबाव को काफी कम कर दिया है। नतीजा बच्चे अच्छा कर रहे हैं। लखनऊ में आए सुधार को वह 2015 के परिणामों से देखते हैं। डॉ। मिश्र की मानें तो सत्र 2014-15 की एग्जाम में सख्ती की गई। नकल माफियाओं पर लगाम लगाई गई। फर्जीवाड़े पर नकेल कसी उस साल नतीजों में कुछ गिरावट आई थी। लेकिन, फर्जी पंजीकरण करना वालों में नकल कसने का नतीजा है कि अब अच्छे बच्चे ही यूपी बोर्ड की ओर रुख करेंगे।