यूपी बोर्ड परीक्षा में लगातार घट रही छात्रों की संख्या बनी चिंता का कारण

ALLAHABAD: यूपी बोर्ड परीक्षा में छात्रों की लगातार घटती संख्या अब चिंता का कारण बनती जा रही है। लास्ट ईयर के मुकाबले इस बार परीक्षा छोड़ने वाले परीक्षार्थियों की संख्या दो गुनी से अधिक हो गई है। ऐसे में परीक्षा छोड़ने के पीछे कारणों पर भी मंथन होने लगा है। स्टूडेंट्स के परीक्षा छोड़ने के पीछे बोर्ड की सख्ती तो वजह है ही। लेकिन और भी कई वजहें हैं, जिनमें बड़े स्तर पर सुधार की जरूरत है।

पढ़ाई पर बढ़ना चाहिए फोकस

सरकार की मंशा बोर्ड परीक्षा में नकल को पूरी तरह समाप्त करने की थी। इसके लिए सरकार की ओर से कड़े कदम भी उठाए गए। लेकिन ठीक इसी तरह से पढ़ाई पर भी फोकस बढ़ाना चाहिए था। इससे स्टूडेंट्स को नकल की जरूरत ही नहीं पड़ती। इस बारे में कई स्कूलों के टीचर्स व प्रिंसिपल भी इस बात को मानते हैं स्कूलों में सही व्यवस्था और माहौल की कमी भी एक बड़ा करण है।

पढ़ाई के लिए नहीं मिला समय

शिक्षकों की मानें तो इस बार स्टूडेंट्स को बोर्ड परीक्षा की तैयारी के लिए प्र्याप्त समय नहीं मिला। लास्ट ईयर विधान सभा चुनावों के कारण सेशन की शुरुआत जुलाई में हुई। जुलाई से लेकर दिसंबर तक अगर छुट्टियों को अलग कर दें तो क्लासेस चलाने के लिए सिर्फ तीन से चार मंथ ही मिले। ऐसे में कोर्स भी समय से पूरा नहीं हो सका। जनवरी में बोर्ड के प्रैक्टिकल एग्जाम शुरू हो गए। बोर्ड परीक्षा भी इस बार छह फरवरी से शुरू हो गई। ऐसे में तैयारी के लिए स्टूडेंट्स को पर्याप्त समय नहीं मिल सका। बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स के एग्जाम छोड़ने के पीछे यह भी एक वजह हो सकती है। मंगलवार को ही प्रतापगढ़ में घटी एक घटना भी इसी ओर इशारा करती है। जहां पेपर खराब होने के कारण इंटरमीडिएट की एक छात्रा ने फांसी लगाकर आत्म हत्या कर ली। ऐसे में स्कूलों में शिक्षा की सही व्यवस्था को भी लेकर कदम उठाया जाना चाहिए।

प्रमुख कारण

- स्कूलों में शिक्षकों की भारी संख्या में कमी।

- पाठ्यक्रम का उचित निर्धारण ना होना।

- एकेडमिक कैलेंडर का सही तरीके से पालन न होना।

- स्कूलों में किताबों का सही समय पर वितरण में होने वाली ढिलाई।

- कई स्कूलों में गणित, विज्ञान व अंग्रेजी के अध्यापकों की नियुक्ति न होना।

अध्यापकों को अपनी समस्याओं के लिए बार-बार कार्यालयों का चक्कर लगाना पड़ता है। इसके कारण वह कई बार क्लास लेने में असमर्थ हो जाते हैं। टीचर्स की प्रॉब्लम जल्द सॉल्व करने की व्यवस्था होनी चाहिए।

-डॉ। शैलेश पाण्डेय, शिक्षक

वित्तविहीन स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों की सेवा सुरक्षा हेतु नियमावली बनाई जाए। ताकि वह भी निर्बाध रूप से अपना मन अध्यापन में लगा सके।

-इन्द्रदेव, शिक्षक

स्कूलों में विशेष रूप से गणित, अंग्रेजी और विज्ञान के टीचर्स की नियुक्ति हो। इससे क्लासेस सही प्रकार से चल सकेंगी और पढ़ाई का माहौल बना रहेगा।

-वंदना सिंह, शिक्षिका

एकेडमिक कैलेंडर का स्कूलों में कड़ाई से पालन होना चाहिए। जिससे समयानुसार कोर्स को पूरा कराया जा सके।

-दुर्गा विजय यादव, प्रिंसिपल

स्कूलों की प्रयोगशाला में पर्याप्त मात्रा में उपकरणों की कमी है। सरकार को उनको दूर करने के लिए कदम उठाया जाना चाहिए। इससे प्रयोगात्मक विषयों की पढ़ाई पर टीचर्स और स्टूडेंट्स ध्यान दे सकेंगे।

-डॉ। हरि प्रकाश यादव, शिक्षक

बोर्ड परीक्षा छोड़ने वाले स्टूडेंट्स की संख्या पर नजर

- 6 फरवरी को परीक्षा छोड़ने वाले स्टूडेंट्स की संख्या 2,89,308

- सात फरवरी को परीक्षा छोड़ने वाले स्टूडेंट्स का आंकड़ा 5,05,069

- 8 फरवरी को परीक्षा छोड़ने वाले स्टूडेंट्स आंकड़ा 6,33,217

- 9 फरवरी को परीक्षा छोड़ने वाले स्टूडेंट्स का आंकड़ा 10,44,819

- 10 फरवरी को परीक्षा छोड़ने वाले स्टूडेंट्स का आंकड़ा 10,47,406

- 12 फरवरी को परीक्षा छोड़ने वाले स्टूडेंट्स का आंकड़ा 10,54,992

- 13 फरवरी को परीक्षा छोड़ने वाले स्टूडेंट्स का आंकड़ा 10,56,344

नोट-

ये आंकड़े बोर्ड की तरफ से जारी किए गए हैं, इनमें पिछले दिनों के आंकड़ों को जोड़ते हुए परीक्षा छोड़ने वाले स्टूडेंट्स की बढ़ती संख्या को दर्शाया गया है।