लखनऊ (ब्यूरो)। योगी सरकार के पहले मंत्रिमंडल विस्तार में चुने गये चेहरों से साफ हो गया कि पार्टी ने विरासत और सिफारिश के बजाय केवल सरकार के काम और छवि को ही तवज्जो दी है। गत दिवस जिस तरह कई मंत्रियों पर गाज गिरी और आज नये चेहरों ने शपथ ली, उससे यह भी स्पष्ट हो गया कि सरकार वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव के रोड मैप को ध्यान में रखकर पूरी पारदर्शिता के साथ ही अपने फैसले ले रही है। बीते ढाई साल के दौरान अपने कुछ मंत्रियों की कारगुजारियों की वजह से सरकार ने फूंक-फूंक कर कदम बढ़ाए हैं। अब देखना यह है कि नये चेहरों को मौका दिए जाने का सरकार को क्या नतीजा मिलता है।

नहीं मिला कई बड़े नामों को मौका

मंत्रिमंडल विस्तार से पहले कुछ बड़े नामों को लेकर तमाम अटकलें लगाई जा रही थी। खासतौर पर केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के पुत्र एवं नोएडा से विधायक पंकज सिंह, भाजपा प्रदेश महामंत्री विजय बहादुर पाठक और विद्यासागर सोनकर के नाम तय माने जा रहे थे पर उनको मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिल सकी। राजभवन में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में आए विजय बहादुर पाठक से जब कुछ पत्रकारों ने इसकी वजह जाननी चाही तो उन्होंने कहा कि मुझे पार्टी ने एमएलसी बनाया है लिहाजा मुझे संगठन का काम करने की जिम्मेदारी ही सौंपी गयी है। दरअसल मंत्री बनने के लिए बीते कई दिनों से पार्टी में सिफारिश और परिक्रमा का दौर जारी था। यही वजह है कि मंत्रिमंडल विस्तार से एक दिन पहले राजधानी के एक रिजॉर्ट में सरकार, संगठन और संघ के बीच बैठक कर विस्तार के तमाम मुद्दों पर गहन चर्चा भी की गयी थी।

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पोर्टफोलियो से साफ होगी तस्वीर

मंत्रिमंडल विस्तार के बाद अब सबकी नजरें विभागों के बंटवारे पर टिकी है। कुछ ऐसे मंत्री, जिनकी छवि को लेकर बीते कई दिनों से सवाल उठ रहे हैं, उन पर विभागों के बंटवारे के दौरान गाज गिर सकती है। यही वजह है कि मंत्रिमंडल विस्तार से पहले इस्तीफा देने से बचे कई मंत्रियों को अब अपने विभाग खोने का डर सताने लगा है।

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