लखनऊ (ब्यूरो)। योगी सरकार का पहला मंत्रिमंडल विस्तार बुधवार को संपन्न हुआ। जिसमें छह कैबिनेट, छह राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार और 11 राज्यमंत्री बनाए गए। शामिल किये गए मंत्रियों में दो महिलाएं शामिल हैं। आइये आपको परिचित कराते हैं मंत्रिमंडल में शामिल हुए इन मंत्रियों से...

डाॅ. महेंद्र कुमार सिंह

कैबिनेट मंत्री

शिक्षा: एमए, पीएचडी

व्यवसाय: एडवोकेट

डाॅ. महेंद्र कुमार सिंह ने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत भारतीय जनता युवा मोर्चा से शुरू की। भारतीय जनता युवा मोर्चा की प्रदेश कार्यकारिणी में रहने के साथ ही वे राजधानी के जयप्रकाश नगर से पार्षद भी रहे हैं। उनकी संगठन क्षमता को देखते हुए उन्हें असोम विधानसभा चुनाव का प्रभारी बनाया गया। बीजेपी की बंपर जीत के बाद उनका कद बढ़ा और प्रदेश में बीजेपी सरकार बनने पर उन्हें राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार बनाया गया। जिसके बाद उन्हें एमएलसी भी बनाया गया।

सुरेश राणा

कैबिनेट मंत्री

शिक्षा: इंटरमीडिएट

व्यवसाय: कृषि

पश्चिमी यूपी के कद्दावर नेता सुरेश राणा को हिंदूवादी छवि के लिये जाना जाता है। वर्ष 2012 विधानसभा चुनाव में उन्होंने शामली के थाना भवन सीट से महज 265 वोटों से जीत दर्ज की। हालांकि, वर्ष 2017 विधानसभा चुनाव में उन्होंने बीएसपी उम्मीदवार को 16 हजार से भी ज्यादा के अंतर से हराया। उनकी यह जीत इस विधानसभा क्षेत्र में अब तक की सबसे बड़ी जीत है। दोबारा जीतने पर उन्हें योगी सरकार में राज्यमंत्री बनाया गया।

भूपेंद्र सिंह चौधरी

कैबिनेट मंत्री

शिक्षा: इंटरमीडिएट

मुरादाबाद निवासी भूपेंद्र सिंह चौधरी शुरुआत से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे। युवा मोर्चा के बाद भारतीय जनता पार्टी संगठन में उन्हें अहम जिम्मेदारियां मिलीं। उनकी संगठनकर्ता के गुण को देखते हुए उन्हें बीजेपी में प्रदेश महामंत्री बनाया गया। साथ ही वर्ष 2016 में पार्टी ने उन्हें एमएलसी बनाया। वर्ष 2017 में योगी सरकार में उन्हें राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार बनाया गया और पीडब्लूडी विभाग की जिम्मेदारी दी गई।

अनिल राजभर

कैबिनेट मंत्री

शिक्षा: एमए

व्यवसाय: कृषि

वाराणसी के शिवपुर विधानसभा सीट से विधायक अनिल राजभर के पिता रामजीत राजभर बीजेपी के टिकट पर धानापुर और चिरईगांव से विधायक रहे। अनिल राजभर ने सकलडीहा पीजी कॉलेज से छात्रनेता के तौर पर अपना सफर शुरू किया। 1994 में वे कॉलेज छात्रसंघ के अध्यक्ष भी बने। इसके बाद जिला पंचायत सदस्य चुने गए। वर्ष 2003 में पिता के देहांत के बाद उपचुनाव लड़े लेकिन, हार गए। वर्ष 2017 विधानसभा चुनाव में वे वाराणसी के शिवपुर सीट से विधायक चुने गए। जिसके बाद उन्हें राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार बनाया गया।

रामनरेश अग्निहोत्री

कैबिनेट मंत्री

शिक्षा: एलएलबी

व्यवसाय: खाद्य व्यवसाय

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे रामनरेश अग्निहोत्री ने मैनपुरी की भोगांव सीट से 2017 विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की। भोगांव सीट को समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता है। उल्लेखनीय है कि इससे पहले कभी भी बीजेपी इस सीट पर विजय हासिल नहीं कर सकी। समाजवादी पार्टी के गढ़ में कमल खिलाने वाले अग्निहोत्री को पुरस्कार स्वरूप कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। इससे पहले उन्होंने कोई भी चुनाव नहीं जीता।

कमला रानी वरुण

कैबिनेट मंत्री

शिक्षा: एमए

व्यवसाय: समाजसेवा

वर्ष 1989 में कानपुर नगर के सीसामऊ क्षेत्र से पार्षद निर्वाचित होने के साथ कमला रानी वरुण की राजनीतिक पारी की शुरुआत हुई। बीजेपी की समर्पित कार्यकर्ता कमला रानी ने 1996 और 1998 में घाटमपुर लोकसभा सीट से बीजेपी के टिकट पर जीत हासिल की। वर्ष 2017 में कमला रानी ने बीजेपी के टिकट पर घाटमपुर सुरक्षित सीट से चुनाव लड़ा और विजयश्री हासिल की। जमीन से उठकर खुद को साबित करने वाली कमला रानी को पार्टी ने पहली ही बार में कैबिनेट मंत्री बनाकर सम्मान दिया।

डाॅ. नीलकंठ तिवारी

राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार

शिक्षा:  एलएलबी, पीएचडी

व्यवसाय: एडवोकेट

वाराणसी के हरिश्चंद्र पीजी कॉलेज में छात्र राजनीति में कदम रखा। वर्ष 1989 में वे इसी कॉलेज छात्रसंघ के महामंत्री चुने गए। जिसके बाद बीजेपी के संगठन की राजनीति जारी रखी। उन्होंने विनायका वार्ड से पार्षदी का चुनाव भी लड़ा लेकिन, तब उन्हें सपा के प्रत्याशी डाॅ. महेंद्र नाथ पांडेय ने बुरी तरह पराजित कर दिया था। हालांकि, बीजेपी ने उनकी संगठन क्षमता की वजह से युवा मोर्चा वाराणसी का अध्यक्ष बनाया। उन्हें वाराणसी दक्षिण सीट से सात बार के विधायक रहे श्यामदेव राय चौधरी की जगह प्रत्याशी बनाया गया। पीएम मोदी ने उनके लिये प्रचार किया और उन्हें विजयश्री हासिल हुई। योगी सरकार बनने पर उन्हें राज्यमंत्री बनाया गया।

कपिल अग्रवाल

राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार

शिक्षा: पोस्ट ग्रेजुएट

व्यवसाय: पत्रकारिता

पत्रकारिता से अपना करियर शुरू करने वाले कपिलदेव अग्रवाल शुरुआत से ही आरएसएस से जुड़े रहे। 2006 से 2011 तक नगर पालिका के अध्यक्ष रहे।  वर्ष 2016 में अखिलेश सरकार के   मंत्री चितरंजन स्वरूप के निधन के बाद हुए उपचुनाव में बीजेपी ने उन्हें अपना प्रत्याशी बनाया। जिसमें उन्होंने भारी मतों से जीत हासिल की। इसके बाद उन्होंने 2017 में हुए विधानसभा चुनावों में भी जीत हासिल की। क्षेत्र के लोगों के लिये हमेशा उपलब्ध रहने वाले कपिलदेव को मुजफ्फरनगर में डायल 100 भी कहा जाता है, वजह वे कई बार पुलिस से भी पहले मौके पर पहुंच जाते हैं।

सतीश चंद्र द्विवेदी

राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार

शिक्षा: पीएचडी

व्यवसाय: एसोसिएट प्रोफेसर

पेशे से शिक्षक सतीश चंद्र द्विवेदी शुरुआत से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे। गोरखपुर यूनिवर्सिटी से पीजी और फिर पीएचडी करने वाले सतीश चंद्र द्विवेदी को बीजेपी ने 2017 में सिद्धार्थनगर की इटवा विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया। उनके सामने समाजवादी पार्टी सरकार में विधानसभा स्पीकर माता प्रसाद पांडेय प्रत्याशी थे। पांडेय छह बार इस सीट से  विजय हासिल कर चुके थे। हालांकि, सतीश चंद्र द्विवेदी ने उन्हें इस चुनाव में  धूल चटा दी।

अशोक कटारिया

राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार

शिक्षा: एमए

व्यवसाय: एमएलसी समाजसेवा

बिजनौर के निवासी अशोक कटारिया किशोरावस्था से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे। विद्यार्थी परिषद से छात्र राजनीति में कदम रखा। रूहेलखंड यूनिवर्सिटी में पोस्ट ग्रेजुएट की पढ़ाई करने के बाद वे बीजेपी संगठन से जुड़े। युवा मोर्चा में प्रदेश कार्यकारिणी के  बाद विभाग संगठन मंत्री से होते हुए बीजेपी के प्रदेश मंत्री फिर प्रदेश उपाध्यक्ष और प्रदेश महामंत्री बनाए गए। संगठन के प्रति निष्ठा को देखते हुए उन्हें एमएलसी बनाया गया और अब वे योगी सरकार में जगह बनाने में सफल रहे।

श्रीराम चौहान

राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार

शिक्षा: पोस्ट ग्रेजुएट

व्यवसाय: पेट्रोल पंप व्यवसायी

संतकबीर नगर के धनघटा विधानसभा सीट से चुनाव जीते श्रीराम चौहान शुरुआत से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे। 1775 में पोस्ट ग्रेजुएट कंपलीट करने के बाद उन्होंने बीजेपी की राजनीति शुरू की। 1984 में उन्होंने खलीलाबाद सीट से चुनाव लड़ा लेकिन, हार गए। 1989 में धनघटना क्षेत्र से चुनाव लड़कर पहली बार विधायक बने। 1991 में भी उन्हें जीत हासिल हुई। इसके बाद 1996 में बस्ती लोकसभा सीट से सांसद चुने गए। इसके बाद 1998 और 1999 में भी सांसद चुने गए और अटल बिहारी सरकार में पहले उन्हें खाद्य व रसद राज्यमंत्री फिर संसदीय कार्य राज्यमंत्री बनाया गया।

रविंद्र जायसवाल

राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार

शिक्षा: एलएलबी

व्यवसाय: एडवोकेट

रविंद्र जायसवाल के पिता रामशंकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नगर कार्यवाह थे।  पिता के अनुसरण करते हुए रविंद्र भी बचपन से ही आरएसएस के स्वयंसेवक बने। पूर्वांचल यूनिवर्सिटी से बीए, एलएलबी करने के बाद उन्होंने एडवोकेट का प्रोफेशन शुरू किया। हालांकि, उन्होंने बीजेपी में राजनीति जारी रखी। 2012 में उन्हें वाराणसी उत्तरी से बीजेपी ने प्रत्याशी बनाया। उन्होंने जीत हासिल की। 2017 में भी वे इसी सीट से विधायक चुने गए। उनके चुनाव जीतने के बाद से ही उन्हें मंत्री बनाए जाने की मांग की जा रही थी।

राज्य मंत्री

अनिल कुमार शर्मा

राज्यमंत्री

विधायक: शिकारपुर, बुलंदशहर

शिक्षा: इंटरमीडिएट

व्यवसाय: कृषि

महेश चंद्र गुप्ता

राज्यमंत्री

विधायक: बदायूं

शिक्षा: हाईस्कूल

व्यवसाय: दुग्ध व बर्फ व्यवसायी

आनंद स्वरुप शुक्ल

राज्यमंत्री

विधायक: बलिया नगर

शिक्षा: एमएससी

व्यवसाय: समाजसेवा

विजय कुमार कश्यप

राज्यमंत्री

विधायक:

शिक्षा: एमए

व्यवसाय: बिजनेस

डाॅ. गिर्राज सिंह धर्मेश

राज्यमंत्री

विधायक: आगरा कैंट

शिक्षा: एमबीबीएस

व्यवसाय: चिकित्सक

लाखन सिंह राजपूत

राज्यमंत्री

विधायक: दिबियापुर

शिक्षा: एलएलबी

व्यवसाय: एडवोकेट

नीलिमा कटियार

राज्यमंत्री

विधायक: कल्याणपुर

शिक्षा: एमए

व्यवसाय: कृषि

चौधरी उदयभान सिंह

राज्यमंत्री

विधायक: फतेहपुर सीकरी

शिक्षा: एमए

व्यवसाय: कृषि

चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय

राज्यमंत्री

विधायक: चित्रकूट

शिक्षा: एमए

व्यवसाय: रिटायर्ड

रमाशंकर सिंह पटेल

राज्यमंत्री

विधायक: मडि़हान

शिक्षा: एमए

व्यवसाय: कृषि

अजित सिंह पाल

राज्यमंत्री

विधायक: सिकंदरा

शिक्षा: एमटेक

व्यवसाय: इंजीनियर व कृषि

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