- सपा के साथ गठबंधन कर टूट पाएगा कांग्रेस का वनवास

आगरा। प्रथम चरण के मतदान में आगरा मंडल की बात करें, तो त्रिकोणीय मुकाबले में राजनीतिक दलों के अपने दावे हैं, तो वोटरों की अपनी मंशा है। आगरा की 9 विधानसभा सीटों पर त्रिकोणीय स्थिति के हालात बन गए हैं।

रैलियों ने तैयार की चुनावी जमीन

भाजपा ने आगरा समेत प्रदेश में परिवर्तन रैलियां कर केन्द्र की नीतियों का गुणगान किया। इसमें सर्जिकल स्ट्राइक के जरिए पैठ बनाई सभा कर लोगों की तालियां बटोरी। इसके बाद नोटबंदी के बाद भ्रष्टाचार व काले धन के खात्मे की बात कही। वहीं बसपा ने भाईचारा सम्मेलनों के माध्यम से अपने परंपरागत वोटरों को जोड़ने का काम किया। तो कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने बुन्देलखण्ड समेत पूर्वाचल में खाट सभाएं की। सपा ने अपनी फसल तो बो दी, अब उसके अकुंरण का इंतजार है।

परंपरागत वोटरों पर भरोसा

भाजपा और बसपा को अपने परंपरागत वोटरों पर पूरा भरोसा है। इसमें भाजपा वैश्य, ब्राह्माण, ठाकुर वोटों को अपना परंपरागत वोट मानती है, जबकि बसपा को अपने दलित और मुस्लिम वोटों पर नजर है। वहीं सपा को मुस्लिम वोटरों से आश लगाए हुए है।

27 वर्ष के वनवास खत्म करने की चुनौती

कांग्रेस के सामने पश्चिमी यूपी की बात करें तो 27 वर्ष पुराने वनवास को खत्म करने की चुनौती होगी। एक मथुरा सदर को छोड़कर कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली। गत 2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने रालोद के साथ गठबंधन किया था। इस दौरान भी कांग्रेस को कोई सीट प्राप्त नहीं हो सकी थी, जबकि रालोद ने मांट और छाता दोनों सीटों पर विजय पाई थी।