- जनवरी से पहले नहीं होगा विधान सभा चुनाव

-सितंबर से दिसंबर तक होगा वोटर लिस्ट पुनरीक्षण का काम

-यूपी, उत्तराखंड और पंजाब समेत पांच राज्यों में होने हैं चुनाव

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LUCKNOW: प्रदेश में विधानसभा चुनाव तय समय पर ही होंगे। पिछले कई दिनों से यह कयास लगाये जा रहे थे कि सूबे में चुनाव दिसंबर अथवा जनवरी में हो सकते हैं। पिछले विधानसभा चुनाव की तरह जनवरी के अंत से शुरू होकर मार्च के पहले हफ्ते में चुनाव प्रक्रिया पूरी होगी। सूत्रों की मानें तो भारत निर्वाचन आयोग ने उन पांच राज्यों के मुख्य सचिवों से इलेक्शन की तैयारियों को लेकर रिपोर्ट मांगी है। जल्द ही भारत निर्वाचन आयोग इन सभी मुख्य सचिवों के साथ दिल्ली में मीटिंग करेगा।

इसलिए मुश्किल है जनवरी से पहले चुनाव

निर्वाचन आयोग के एक अधिकारी की मानें तो प्रदेश में जनवरी से पहले चुनाव होना मुश्किल है। क्योंकि सितंबर से यहां वोटर लिस्ट रिवीजन का काम शुरू होगा। जो दिसंबर के अंत तक चलेगा। ऐसे में दिसंबर से पहले चुनाव कराये जाने की उम्मीद ना के बराबर है। सूत्रों का कहना है कि पिछले विधानसभा इलेक्शन की तरह जनवरी, फरवरी में ही यूपी में चुनाव हों या फिर अप्रैल और मई में कराये जा सकते हैं।

28 मई से पहले होना है नई विधानसभा का गठन

प्रदेश में विधानसभा का गठन 28 मई 2012 को हुआ था। यह बात अलग है कि अखिलेश यादव ने 15 मार्च 2012 को शपथ ली थी, लेकिन विधानसभा की पहली बैठक 28 मई को हुई थी। चुनाव आयोग छह माह पहले इलेक्शन करा सकता है। ऐसे में 28 नवंबर के बाद कभी भी चुनाव की तारीख का एलान किया जा सकता है, लेकिन आयोग की तैयारियों को देखते हुए जनवरी से पहले चुनाव की तारीखों का एलान मुश्किल ही लग रहा है।

तारीख से पहले इनका ख्याल

चुनाव की तारीखों के एलान से पहले मुख्य रूप से दो चीजों का खास ख्याल रखा जाता है। इसमें स्कूलों और कालेजों में होने वाले एग्जाम और दूसरा बड़े त्यौहारों का ख्याल रखा जाता है। साथ ही गृह मंत्रालय से अर्धसैनिक बलों की उपलब्धता के बारे में भी जानकारी ली जाती है। क्योंकि यूपी, उत्तराखंड और पंजाब समेत पांच राज्यों में चुनाव होना है। ऐसे में बड़ी तादाद में अर्धसैनिक बलों की भी जरूरत पड़ेगी।

सितंबर में जिलाधिकारियों के ट्रांसफर पर रोक

मुख्य निर्वाचन अधिकारी अरुण सिंघल की मानें तो प्रदेश में एक सितंबर के बाद से जिलाधिकारियों के तबादलों पर रोक लग जाएगी, क्योंकि इस दौरान पूरे प्रदेश मे एक साथ बड़े पैमाने पर वोटर लिस्ट रिवीजन का काम शुरू हो जाएगा। यह काम पहली जनवरी तक चलेगा। ऐसे में सितंबर से लेकर जनवरी तक प्रदेश में तबादले नहीं हो सकेंगे। वहीं अगर जनवरी में ही आचार संहिता लागू हो जाती है तो फिर तबादलों की पावर आयोग के पास आ जाएगी।

इलेक्शन की तारीखों के बारे में अभी से कुछ कहना जल्दबाजी होगा। यह तय करना भारत निर्वाचन आयोग के हाथ में है कि कहां कब इलेक्शन कराये जाएं। यूपी में 28 मई से पहले चुनाव कराया जाना है। उम्मीद की जा सकती है यूपी में समय से चुनाव संपन्न होगा।

- अरुण सिंघल, मुख्य चुनाव अधिकारी, उत्तर प्रदेश।