- कोर्ट के आदेश के अनुपालन में समाज कल्याण विभाग ने जारी किया शासनादेश

- अदालत ने अनुसूचित जाति का जाति प्रमाण पत्र जारी करने के दिए थे आदेश

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LUCKNOW : योगी सरकार ने सूबे की 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति की कैटगरी में शामिल करने का आदेश जारी कर दिया है। राज्य सरकार ने यह फैसला अदालत के उस आदेश के अनुपालन में जारी किया है जिसमें उसने अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति का जन्म प्रमाण पत्र जारी करने को कहा था। लंबे समय से इन जातियों को अनुुसूचित जाति में शामिल करने की कवायद कई सरकारें भी कर चुकी हैं पर उनको इसमें सफलता नहीं मिल सकी। इस फैसले से 17 पिछड़ी जातियों को अब अनुसूचित जातियों को मिलने वाले सरकारी लाभ का फायदा मिल सकेगा हालांकि योगी सरकार के इस फैसले का दारोमदार भी इस बाबत निकट भविष्य में कोर्ट द्वारा दिए जाने वाले अंतिम आदेश पर टिका है।

इन जातियों को मिलेगा फायदा

बीते दो दशक से 17 अति पिछड़ी जातियों कहार, कश्यप, केवट, मल्लाह, निषाद, कुम्हार, प्रजापति, धीवर, बिंद, भर, राजभर, धीमर, बाथम, तुरहा, गोडिया, मांझी व मछुआ को अनुसूचित जाति में शामिल करने की कोशिशें की जारी हैं। सपा और बसपा सरकार में भी इसे चुनावी फायदे के लिए अनुसूचित जाति में शामिल तो किया गया पर उनका यह फैसला परवान नहीं चढ़ पाया। इस बीच यह मामला अदालत में भी पहुंचा और वर्ष 2016 में अदालत ने इस बाबत जारी किए गये राज्य सरकार के आदेश पर स्टे लगा दिया। वहीं केंद्र सरकार में भी इन जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल कराने की कोशिशें जारी रहीं। इसके पीछे यह तर्क दिया जाता रहा कि इन सभी जातियों की सामाजिक, आर्थिक व शैक्षणिक स्थिति निम्न स्तर की है और ये जातियां अनुसूचित जाति की सूची में शामिल होने की सभी शर्तें पूरी करती हैं। साथ ही इन जातियों को एससी की सूची में शामिल किए जाने से वर्तमान अनुसूचित जातियों को कोई नुकसान भी नहीं होगा।

सभी कमिश्नर व डीएम को भेजा आदेश

प्रमुख सचिव समाज कल्याण मनोज सिंह की ओर से इस बाबत सभी कमिश्नर और डीएम को आदेश जारी किया गया है जिसमें कहा गया है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में इस बाबत जारी जनहित याचिका पर पारित आदेश का अनुपालन सुनिश्चित किया जाए। इन जातियों को परीक्षण और सही दस्तावेजों के आधार पर एससी का जाति प्रमाण पत्र जारी किया जाए। वहीं दूसरी ओर इस फैसले के सियासी मायने भी तलाशे जाने लगे है और उपचुनाव में इसका फायदा मिलने की संभावना जताई जा रही है।

अदालत के आदेश के बाद सभी मंडलायुक्तों और डीएम को इस बाबत आदेश जारी किया गया है। इसके जरिए उनको अनुसूचित जाति का जाति प्रमाण पत्र जारी किया जा सकता है। हालांकि हाईकोर्ट द्वारा इस मामले में जो अंतिम आदेश जारी होगा, उसके मुताबिक ही आगे की कार्यवाही की जाएगी।

- मनोज सिंह, प्रमुख सचिव, समाज कल्याण

फैक्ट मीटर

- 2006 में मुलायम सरकार ने 17 पिछड़ी जातियों को एससी में शामिल करने की कवायद की

- 2009 में मायावती सरकार ने केंद्र सरकार से इनको एससी में शामिल करने को कहा

- 2016 में अखिलेश सरकार ने भी इन जातियों एससी में शामिल करने की कोशिश की

- 2016 में अदालत ने एससी कैटगरी में शामिल करने पर रोक लगाने को स्टे जारी किया

- 2017 में हाईकोर्ट ने इन जातियों को एससी का जाति प्रमाण पत्र जारी करने के आदेश दिए

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