लखनऊ (ब्यूरो)। उपभोक्ता परिषद की माने तो बिजली दरों में 12 से 15 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी की गई है। गुपचुप तरीके से दर बढ़ोत्तरी संबंधी टैरिफ जारी किए जाने से उपभोक्ता परिषद नाराज है। परिषद अध्यक्ष ने टैरिफ पर रिव्यू याचिका फाइल करने तथा सड़कों पर संघर्ष करने की चेतावनी दी है। बस उपभोक्ताओं के लिए राहत की बात यह है कि रेग्यूलेटरी सरचार्ज को समाप्त कर दिया गया है, हालांकि इसका बहुत अधिक असर बिजली बिल बढ़ोत्तरी पर नहीं पड़ेगा।

सभी कैटेगरी पर पड़ेगा बोझ

प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं की समस्त श्रेणियों में औसत 12 से 15 प्रतिशत की दर बढ़ोत्तरी की गई है। जहां रेग्यूलेटरी सरचार्ज 4.8 प्रतिशत को समाप्त कर दिया गया, वहीं रेग्यूलेटरी असेट 11,852 करोड़ का उपभोक्ताओं को फौरी तौर पर लाभ नहीं दिया गया है। ग्रामीण अनमीटर्ड बिजली उपभोक्ता जो पहले 1 किलोवाट पर 400 रुपया देते थे, अब उन्हें 500 रुपया देना पड़ेगा यानी कि 25 प्रतिशत बृद्धि। गांव का अनमीटर्ड किसान जो 150 रुपया प्रति हॉर्सपावर देता था, अब उसे 170 रुपया प्रति हॉर्सपावर देना होगा यानी कि उसकी दरों में लगभग 14 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। सबसे बड़ा चैकाने वाला मामला यह है कि शहरी बीपीएल जो अभी तक 1 किलोवाट तक 100 यूनिट तक 3 रुपया प्रति यूनिट देता था, अब उसे 50 यूनिट (1 किलोवॉट) तक 3 रुपया सीमित कर दिया गया है यानी कि शहरी बीपीएल यदि 100 यूनिट खर्च करेगा तो उसकी दरों में लगभग 36 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि हो गई है।

इस तरह समझें दर वृद्धि

- 12 प्रतिशत की दर बढ़ोत्तरी शहरी उपभोक्ताओं पर

- 12 से 15 प्रतिशत तक कुल टैरिफ बढ़ोत्तरी

- 4।8 प्रतिशत रेग्यूलेटरी सरचार्ज समाप्त

- 5 से 10 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी उद्योगों की

- 400 रुपए के स्थान पर 500 रुपए देने होंगे ग्रामीण अनमीटर्ड उपभोक्ताओं को

- 14 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी अनमीटर्ड किसानों की

- 36 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी शहरी बीपीएल उपभोक्ताओं की

शहरी उपभोक्ताओं पर भी भार

प्रदेश के शहरी घरेलू बिजली उपभोक्ताओं की दरों में स्लैबवाइज लगभग 12 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। वहीं उद्योगों की दरों में 5 से 10 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है।

यूपी : बिजली दर बढ़ोत्तरी के खिलाफ उपभोक्ता परिषद ने भरी हुंकार

उपभोक्ताओं के साथ धोखा

उप्र राज्य उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहाकि जिस प्रकार से नियामक आयोग ने पावर कारपोरेशन की प्रस्तावित व्यवस्था पर मुहर लगाई है, वह पूरी तरह असंवैधानिक है। प्रदेश के 2 करोड़ 70 लाख उपभोक्ताओं के साथ आयोग ने धोखा किया है। जिस प्रकार से आम जनता की सुनवाई में किसानों, ग्रामीणों व घरेलू उपभोक्ताओं ने आयोग के सामने अपनी बात रखी, लेकिन आयोग ने उस पर कोई ध्यान नहीं दिया, जो अपने आप में बड़ा सवाल है।

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