लखनऊ (पीटीआई)। उत्तर प्रदेश विधानसभा का तीन दिवसीय मानसून सत्र गुरुवार से शुरू हो रहा है। ऐसे में मानसून सत्र से पहले समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार को बेरोजगारी और कानून व्यवस्था सहित विभिन्न मुद्दों पर विपक्ष के सवालों का जवाब देने की जरूरत है। अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा कि यूपी विधान सभा का यह सत्र कई मायनों में ऐतिहासिक होने जा रहा है। सरकार को विपक्ष और उसके अपने लोगों द्वारा कोरोनो वायरस, बेरोजगारी, जातिवादी अत्याचार और बदहाल कानून-व्यवस्था के मोर्चे पर विपक्ष के साथ अपने लोगों के सवालों का भी जवाब देना होगा। पूर्व मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि भाजपा सरकार की ठोको-नीति सुलह के स्थान पर आंतरिक कलह का कारण बन गई है।

मायावती ने भी साधा निशाना

अखिलेश यादव से पहले यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री व बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती ने भी दो दिन पहले मंगलवार को उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने प्रदेश सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति और महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों को 'बेहद दयनीय' बताया है। राज्य में पिछली सरकारों के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार की कार्यशैली की तुलना करते हुए मायावती ने कहा था कि आए दिन द्वेष, उत्पीड़न, बलात्कार, हत्या जैसे जघन्य घटनाओं से स्पष्ट तौर पर जनता को सपा व भाजपा सरकार की कार्यशैली में कोई खास अन्तर देखने को नहीं मिल रहा है।

सभी सदस्यों का कोविड-19 टेस्ट होगा

मानसून सत्र के दाैरान कोरोना वायरस को फैलने से रोकने वाले सभी नियमों का पालन किए जाने का आदेश दिया गया है। विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने दो दिन पहले कहा था कि सभी सदस्य का कोविड-19 परीक्षण होगा। सदन के बाहर थर्मल स्क्रीनिंग सुविधा भी होगी। विधायकों को उनके बीच एक सीट (खाली) छोड़कर बैठा दिया जाएगा। विधायकों के बैठने के लिए इस बार एक दर्शक दीर्घा भी आरक्षित की गई है। कैंटीन नहीं खोली जाएगी। सभी को मास्क पहनने के साथ सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा।

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