- निगहबानी की जिम्मेदारी के बाद टेरी की टीम ने बरेली मंडल में तैयार की रिपोर्ट

- 4 हजार सूखे पौधों की जगह लगवाए नए पौधे, स्थानीय निवासियों को किया अवेयर

BAREILLY: प्रदेश में एक दिन में सबसे ज्यादा पौधे लगाकर बने रिकॉर्ड के मुरझाने पर अब इसकी निगरानी की जिम्मेदारी प्रदेश सरकार ने द एनर्जी रिसर्च इंस्टीट्यूट (टेरी) को दी है। सरकार प्रदेशभर में लगाए गए पौधों के सूखने, काटे जाने से बचाने और लगाए गए पौधों के हिफाजत और बडे़ स्तर पर इस्तेमाल की संभावनाओं को देखते हुए ऐसा किया है। जिसके बाद पिछले दिनों टेरी ने बरेली मंडल में लगाए गए पौधों की रिपोर्ट तैयार करने पहुंची थी। इसके बाद मंडल में मुरझा चुके चार हजार पौधों की जगह दूसरे पौधे लगाए गए।

2.60 लाख लगे हैं पौधे

पिछली यूपी सरकार ने लास्ट ईयर 10 जुलाई को एक दिन में 5 करोड़ से ज्यादा पौधे लगाने का व‌र्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था। प्रदेश में लगाए गए 5 करोड़ पौधों में बरेली मंडल मेंढाई लाख पौधे लगाए गए थे। जिसकी निगरानी करने टीम बरेली पहुंची थी। टीम की रिपोर्ट के मुताबिक पौधरोपण में शीशम, सागौन, नीम, कंजी, अर्जुन, इमली, गूलर, महुआ, जामुन, के अलावा बेल, बहेड़ा, हरड़, पीपल, पाकड़, आम, अमरूद व अन्य परंपरागत प्रजातियों के पेड़ लगाए गए हैं। टीम ने वन विभाग से ब्रीफ रिपोर्ट तैयार की उसके बाद बरेली जिले समेत अन्य चार जिलों की रिपोर्ट भी तैयार की। बरेली मंडल में 4 हजार सूखे पौधों के स्थान पर उसी प्रजाति के पौधे लगवाए। स्थानीय निवासियों को पौधों की हिफाजत के प्रति जागरुक ि1कया है।

क्या है द एनर्जी रिसर्च इंस्टीट्यूट

टेरी एक भारतीय गैर सरकारी 'एनजीओ' है। जो ऊर्जा और पर्यावरण की शैलियों में अनुसंधान और विश्लेषण करने वाला एक वैश्रि्वक संस्थान है। इसके इंस्टीट्यूट में सूक्ष्म जीवों से वैश्रि्वक जलवायु परिवर्तन और पेड़ों से होने वाले प्रभाव और उत्पन्न होने वाली ऊर्जा पर रिसर्च होती है। टेरी लास्ट ईयर यूपी सरकार द्वारा बनाए गए रिकॉ‌र्ड्स को सहेजने के साथ ही 2600 से ज्यादा अन्य प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहा है। टेरी जैव प्रौद्योगिकी, जैव संसाधन प्रबंधन, पृथ्वी विज्ञान और जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा पर्यावरण प्रौद्योगिकी, नीति विश्लेषण, जल संसाधन नीति और प्रबंधन, सामाजिक परिवर्तन के क्षेत्र में कार्य करता है।

फॉर योर इनफॉर्मेशन

- टेरी रोपित किए जाने वाले पौधे द्वारा भविष्य में किए जाने वाले कार्बन सिक्वेस्ट्रेशन का आकलन करेगी।

- जीपीएस लोकेशन आधारित पॉलीगॉन के माध्यम से रोपण क्षेत्रों का विस्तृत वितरण वेबसाइट पर उपलब्ध कराएगी।

- शिक्षण संस्थान, स्वयंसेवी संस्थाओं को भी जोड़कर पौधों को सहेजने की योजना को अमलीजामा पहनाएगी।

- रोपित पौधों की सघन सुरक्षा के लिए पुलिस, प्रशासन समेत जनप्रतिनिधि को जिम्मेदारी सोंपेंगे।

- प्रक्रिया में लगने वाला सारा खर्च इंस्टीट्यूट खुद से वहन करेगा। इसमें सरकारी मदद नहीं मिलेगी।

- बड़े होने पर पेड़ों की कटान की एनओसी भी टेरी के जरिए दी जाएगी। वन विभाग समयानुसार जानकारी देगा।

- टेरी की टीम मासिक अथवा त्रैमासिक विजिट कर पेड़ों के सूखने, कटने और उनकी प्रगति की डिटेल जुटाएगी।

व‌र्ल्ड रिकॉर्ड के लिए लगाए गए पौधों को निगरानी की जिम्मेदारी सरकार ने टेरी को सौंपी है। पिछले दिनों टीम ने पौधों का निरीक्षण कर रिपोर्ट तैयार की है।

बीएन सिंह, एसडीएफओ