लखनऊ (ब्यूरो)। योगी सरकार ने गुरुवार को राज्य कर्मचारियों को मिलने वाले छह भत्तों को समाप्त करने का बड़ा फैसला लिया है। अपर मुख्य सचिव वित्त संजीव मित्तल ने इसका शासनादेश जारी कर दिया है जिसके बाद कर्मचारी संगठनों में आक्रोश है। राज्य सरकार का तर्क है कि इन भत्तों की प्रासंगिकता खत्म हो चुकी थी लिहाजा इनको समाप्त किया जा रहा है। वहीं कर्मचारी संगठन इसके विरोध में लामबंद होने लगे हैं। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी ने राज्य सरकार के समक्ष इस फैसले का विरोध करने का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि सरकार सेवा शर्तों का उल्लंघन कर रही है। यदि सरकार को इस पर रोक लगानी है तो वह नई भर्तियों पर इसे लागू करे।

इन भत्तों को किया समाप्त

वित्त विभाग द्वारा इस बाबत गुरुवार को जारी आदेश में कहा गया है कि प्रदेश सरकार द्वारा राजकीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों को समय-समय पर कतिपय ऐसे भत्ते अनुमन्य किए गये हैं जिनके संबंध में यह अनुभव किया गया है कि ऐसे भत्तों की प्रासंगिकता नहीं रह गयी है। इस वजह से शासन द्वारा विचार के बाद निर्णय लिया गया है कि इन भत्तों को लेकर पूर्व में जारी शासनादेशों को समाप्त किया जाता है। राज्य सरकार ने जिन छह भत्तों को समाप्त किया है उनमें द्विभाषी प्रोत्साहन भत्ता, कंप्यूटर संचालन हेतु प्रोत्साहन भत्ता, स्नातकोत्तर भत्ता, कैश हैंडलिंग भत्ता, परियोजना भत्ता (सिंचाई विभाग) और स्वैच्छिक परिवार कल्याण कार्यक्रम के अंतर्गत अतिरिक्त प्रोत्साहन भत्ता शामिल है। सचिवालय संघ के अध्यक्ष यादवेंद्र मिश्र ने इस फैसले का विरोध करते हुए कहा कि खासतौर पर परिवार कल्याण भत्ते को समाप्त किया जाना केंद्र सरकार की नीतियों के इतर है।

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