लखनऊ (एएनआई)। उत्तर प्रदेश के लखनऊ निवासी प्रताप चंद्रा ने दावा किया है कि कोरोना वायरस वैक्सीन कोविशील्ड की पहली खुराक लेने के बाद भी उनमें एंटीबाॅडी नहीं बनी है। उन्होंने आशियाना थाने में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) के सीईओ अदार पूनावाला और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के प्रमुख डॉक्टर बलराम भार्गव के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। प्रताप चंद्रा ने वैक्सीन का पहला डोज 8 अप्रैल को लगवाया था और एंटीबाॅडी जानने के लिए बीते 25 मई को अपना चेकअप कराया था।

एंटीबॉडी टेस्ट की निगेटिव रिपोर्ट देखकर हुई हैरानी

प्रताप चंद्रा का कहना है कि 21 मई को आईसीएमआर और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक प्रेस वार्ता में यह कहा था कि कोविशील्ड वैक्सीन लगाने के बाद शरीर में एंटीबॉडी का उत्पादन अच्छे स्तर पर होता है। वैक्सीन की पहली खुराक लेने के बाद कोरोना वायरस के खिलाफ शरीर में पर्याप्त मात्रा में एंटीबॉडी बनने लगते हैं। इस पर उन्होंने 25 मई 2021 को थायरोकेयर से एंटीबॉडी टेस्ट करवाया। यह एक अथराइज्ड लैब है। इस चेकअप की 27 मई को रिपोर्ट आई थी, जो उन्हें 28 मई 2021 को मिली थी। एंटीबॉडी टेस्ट की निगेटिव रिपोर्ट देखकर वह हैरान हो गए।

चंद्रा का दावा पानी का इंजेक्शन लगाया जा रहा

वैक्सीन लगवाने के बाद भी बाॅडी में एंटीबॉडी न्यूनतम मात्रा में भी नहीं बने थे। उनके साथ धोखा किया गया है। यह एक नकली सुरक्षा परत की तरह है जो किसी भी चीज से रक्षा नहीं करेगी। चंद्रा ने आगे आरोप लगाया, जैसा कि नाम से पता चलता है, कोविशील्ड हमें वायरस से बचाने वाला है। अधिकांश लोगों ने पहले ही यह मान लिया है कि ये टीके हमारी रक्षा कर रहे हैं। इस दाैरान यह भी कहा कि केके अग्रवाल, रोहित सरदाना समेत तमाम लोगों की टीका लगवाने के बाद भी माैत हो गई। ऐसे में कोई नहीं जानता कि उनके शरीर में एंटीबॉडी बनी या नहीं। इसका मतलब सिर्फ इतना है कि पानी का इंजेक्शन लगाया जा रहा है।

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