लखनऊ (आईएएनएस)। डायरेक्टर इन्फेक्टियस डिसीजेस के अधिकारी ने कहा कि ऐसे लोगो की भी निगरानी की जा रही है, जो किसी भी बीमारी से ग्रस्‍त नहीं है पर उनके चकत्‍ते है। साथ ही ऐसे लोगों की भी निगरानी की जरूरत है, जिन्‍होंने हाल ही में एक ऐसे देश की यात्रा कर चुके हैं जहां मंकीपॉक्स के मामले सामने आए हो, या फि वह किसी मंकीपॉक्स रोगी के संपर्क में आए थे। उन्‍होंने कहा कि ऐसे लोगो की निगरानी की जाए और आइसोलेशन में रहने को कहा जाए। विभाग ने गुरुवार शाम को एक एडवाइजरी जारी कर कहा कि अंतरराष्ट्रीय यात्रा करने वाले या फिर अन्य राज्यों से आने वाले यात्रियों पर ध्यान दिया जाएगा। स्वास्थ्य अधिकारियों को स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोड्यूसर (एसओपी) का पालन करने का निर्देश दिया गया है।
22 मई तक भारत में मंकीपॉक्स का कोई मामला नहीं आया है सामने
एक वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा कि संदिग्ध मरीजों को तब तक आइसोलेशन में रहने की जरूरत है जब तक कि उन्हें रैशेज वाली जगह ठीक ना हो जाए या डॉक्टर आइसोलेशन खत्म करने की सलाह न दें। सभी राज्य के चीफ मेडिकल ऑफिसर को भेजे गए एडवाजरी के अनुसार, रक्त और थूक के सैंपल नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, पुणे को भेजे जाएंगे। साथ किसी मरीज के संपर्क में आने वाले लोगों का संपर्क-ट्रेसिंग पिछले 21 दिनों की अवधि तक किया जाना चाहिए। एसोसिएशन ऑफ इंटरनेशनल डॉक्टर्स के स्क्रेटरी जनरल डॉ अभिषेक शुक्ला ने कहा कि अधिकांश मंकीपॉक्स रोगियों ने बुखार और चकत्ते और सूजन लिम्फ नोड्स की सूचना दी है। हालांकि 22 मई तक भारत में मंकीपॉक्स का कोई मामला सामने नहीं आया है। लेकिन सतर्क रहने की जरूरत है। मंकीपॉक्स एक सेल्फ लिमटिंग बीमारी है और इसके लक्षण चार सप्ताह तक रह सकते हैं। यूके, यूएस, यूरोप, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया से मामले सामने आए हैं।

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