हैदराबाद (एएनआई)। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने उत्तर प्रदेश के लोनी में एक बुजुर्ग व्यक्ति के साथ हुई मारपीट की घटना के संबंध में यूपी पुलिस को घेरा है। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने लोनी में हुई घटना के संबंध में दर्ज शिकायतों में पीड़ित के बेटे द्वारा उपलब्ध कराए गए तथ्यों को शामिल नहीं किया। ओवैसी की टिप्पणी उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा की गई इस पुष्टि के बाद आई कि लोनी की घटना में कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं है। ओवैसी ने न्यूज एजेंसी एएनआई को बताया कि 72 वर्षीय पीड़ित के बेटे ने मीडिया को बताया था कि घटना के सभी तथ्यों का वर्णन करते हुए एक लिखित शिकायत दर्ज की गई है कि उसके पिता का अपहरण कर लिया गया है, एक अवैध कारावास में रखा गया है और उसकी दाढ़ी को जबरन काट दिया गया है, लेकिन पुलिस प्राथमिकी में उन तथ्यों को शामिल नहीं किया है।

नौ लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई

इतना ही नहीं असदुद्दीन ओवैसी ने यह भी कहा कि आरोपी के एक भाई आदिल ने दावा किया है कि वह 72 वर्षीय व्यक्ति को बचाने गया था। उन्होंने कहा, पीड़ित और उसके बेटे ने खुद घटना को रिकॉर्ड में बताया। हमें मामले के उस पहलू को भी देखना चाहिए। उत्तर प्रदेश पुलिस ने बुधवार को जानकारी दी कि लोनी में एक बुजुर्ग के साथ मारपीट करने वाले कुल पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने यह भी कहा कि गलत तथ्य प्रदान करने के लिए शिकायतकर्ता के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। गाजियाबाद पुलिस ने मंगलवार को लोनी की घटना के सिलसिले में ट्विटर इंडिया सहित नौ लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की।

लोनी की घटना का कोई धार्मिक एंगल नहीं

पुलिस ने एफआईआर में कहा, लोनी की घटना का कोई धार्मिक एंगल नहीं है जहां बुजुर्ग के साथ मारपीट की गई थी। इस मामले की जांच की जा रही है। वहीं राणा अय्यूब, मोहम्मद जुबैर, डॉ शमा मोहम्मद, सबा नकवी, मस्कूर उस्मानी, सलमान निजामी ने इस घटना की जांच किए बिना ट्विटर पर धार्मिक रंग देना शुरू कर दिया था। इतना ही नहीं उन्होंने शांति भंग करने और धार्मिक समुदायों के बीच मतभेद पैदा करने के लिए तेजी से संदेश फैलाना शुरू कर दिया था।

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