लखनऊ (ब्यूरो)। यूपी रेरा अधिनियम की धारा 3 के तहत किसी भी प्रोमोटर को प्लानिंग एरिया में चल रही अपनी परियोजना का प्रचार, बुकिंग, मार्केटिंग या बिक्री शुरू करने से पहले रेरा में रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी है। यूपी रेरा अधिनियम के प्रावधानों के मुताबिक रियल एस्टेट प्रोजेक्ट के एलॉटी से समय-समय पर प्राप्त हुई 70 फीसद धनराशि को एक अलग बैंक एकाउंट में जमा करना होगा। इसका प्रयोग सिर्फ  प्रोजेक्ट की निर्माण लागत और जमीन की कीमत को अदा करने के लिए ही किया जा सकता है। रेरा के अध्यक्ष राजीव कुमार की  अध्यक्षता में मंगलवार को सार्वजानिक और निजी क्षेत्र के बैंकों के उच्चाधिकारियों के साथ गोमतीनगर के बड़ौदा हाउस में आयोजित जागरूकता बैठक में यह जानकारी दी गयी।

बैंक लगाए पैसा निकालने पर रोक

यूपी रेरा के अध्यक्ष राजीव कुमार ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि रेरा अधिनियम की इस धारा को ध्यान में रखते हुए संबंधित बैंक की ब्रांच को यह सुनिश्चित करना होगा कि रियल एस्टेट प्रोजेक्ट के लिए एलॉटी से प्राप्त होने वाली 70 फीसद धनराशि का प्रयोग परियोजना की निर्माण लागत और लैंड कॉस्ट के लिए किया जा रहा है। अगर प्रोमोटर द्वारा एलॉटी से प्राप्त 70 फीसद धनराशि को उपरोक्त दोनों कार्यों के लिये प्रयोग नहीं किया जा रहा है, ऐसे में उसे तब तक किसी और कार्य के लिए बैंक से किसी भी तरह की राशि निकासी की अनुमति प्राप्त नहीं होगी। जब तक वह 70 फीसद राशि का प्रयोग निर्माण लागत या भूमि की लागत पर खर्च नहीं कर देता है। बैंक द्वारा यह भी  सुनिश्चित किया जाए कि प्रोमोटर को तभी बैंक खाते से धनराशि निकालने की अनुमति मिले जब वह रेरा के द्वारा निर्धारित प्रारूप में इंजीनियर, आर्किटेक्ट और चार्टर्ड एकाउंटेंट का सर्टिफिकेट जमा कर दे। जिसमें इस बात की पुष्टि की गई हो कि प्रोजेक्ट में कितना काम हो गया है।

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प्रोजेक्ट और प्रोमोटर की मॉनीटरिंग

राजीव कुमार ने कहा कि यूपी रेरा की कोशिश है कि लोगों को बिना घर की लागत बढ़ें, उनका घर मिल जाए। हमारे यहां रजिस्टर्ड प्रोजेक्ट में बॉयर्स के द्वारा दिया गया पैसा एक अलग प्रोजेक्ट एस्क्रो एकाउंट में आए जिससे उसकी मॉनिटरिंग की जा सके। इससे रियल एस्टेट प्रोजेक्ट और प्रोमोटर दोनों की मॉनिटरिंग की जा सकेगी। रेरा के सचिव अबरार अहमद ने कहा कि सभी बैंकों के जोनल हेड और ब्रांच मैनेजरों को 3 अप्रैल 2019 को पत्र भेजकर रेरा अधिनियम का अनुपालन करवाने को कहा गया था। इस विषय में कुछ नियमों का पालन हुआ और कुछ का नहीं। इस बैठक का मकसद है कि आगे इस विषय में कोई असमंजस न रहे। प्रोमोटर को यूपी रेरा की वेबसाइट पर प्रोजेक्ट एस्क्रो एकाउंट की जानकारी देनी होगी। यह एकाउंट सार्वजनिक या निजी क्षेत्र के बैंक में होना चाहिए। इसके बगैर प्रोमोटर अपना प्रोजेक्ट नहीं चला सकते। इस मौके पर महानिदेशक संस्थागत वित्त विभाग शिव सिंह यादव, महाप्रबंधक एवं संयोजक राज्य स्तरीय

बैंकर्स समिति रामजस यादव, रेरा के वित्त नियंत्रक सुधांशु त्रिपाठी व क्रेडाई यूपी के पदाधिकारी मौजूद थे।

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