- सीएम योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में पेश किया यूपीकोका विधेयक

- विपक्ष ने बताया काला कानून, कल सदन में चर्चा के दौरान हंगामे की संभावना

- संगठित अपराध को लेकर किए गये कड़े प्रावधान, फांसी तक की सजा मिलेगी

LUCKNOW:

विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में बुधवार को सीएम योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में उत्तर प्रदेश संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक, 2017 (यूपीकोका) पेश कर दिया। इसके साथ ही विपक्षी दलों के नेताओं ने इस विधेयक का विरोध भी तेज कर दिया। विधानसभा में गुरुवार को इस विधेयक पर चर्चा होनी है, इस दौरान विपक्ष इसका पुरजोर तरीके से विरोध करने की रणनीति बनाने में जुट गया है। राज्य सरकार द्वारा पेश किए गये इस विधेयक में संगठित अपराध करने वाले तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का प्राविधान किया गया है जिसमें उन्हें फांसी और आजीवन कारावास, पच्चीस लाख रुपये तक का जुर्माना, संपत्तियां जब्त किया जाना आदि शामिल है।

कैबिनेट से हुआ था पास

ध्यान रहे कि विगत 6 दिसंबर को कैबिनेट ने यूपीकोका कानून के मसौदे को हरी झंडी दी थी। दरअसल राज्य सरकार ने संगठित अपराधों की रोकथाम के लिए सख्त कानून बनाने को महाराष्ट्र, दिल्ली और बिहार में लागू इस तरह के कानूनों का अध्ययन किया था। तत्पश्चात गृह सचिव, एडीजी क्राइम और विशेष सचिव न्याय की कमेटी ने इसका प्रस्ताव तैयार किया। महाराष्ट्र में लागू 'मकोका' की तर्ज पर इसे तैयार किया गया है। साथ ही गैंगस्टर एक्ट से तुलनात्मक अध्ययन कर 28 नये बिंदु भी जोड़े गए हैं। यूपीकोका के तहत राज्य सरकार दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के अलावा अदालत की अनुमति लेकर उनकी संपत्तियों को जब्त कर सकेगी। साथ ही जो उन्हें शरण देंगे अथवा उनकी संपत्तियों को खरीदेंगे, उनके खिलाफ भी यूपीकोका के तहत सख्त कार्रवाई होगी। राज्य सरकार ने इस कानून का दुरुपयोग रोकने का इंतजाम भी किया है। यूपीकोका के तहत केस दर्ज करने की अनुमति कमिश्नर और डीआईजी की संयुक्त कमेटी करेगी जबकि विवेचना पूरी होने पर चार्जशीट लगाने से पहले आईजी जोन से अनुमति लेनी होगी।

राज्य, जिला के अलावा अपीलीय प्राधिकरण भी

पूरे प्रदेश में संगठित अपराध करने वाले गिरोहों पर नियंत्रण और उनकी गतिविधियों पर निगरानी के लिए प्रमुख सचिव गृह की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय 'संगठित अपराध नियंत्रण प्राधिकरण' की स्थापना होगी। इसमें एडीजी कानून-व्यवस्था, एडीजी क्राइम, राज्य सरकार द्वारा प्रस्तावित एक न्याय विभाग का अधिकारी (विशेष सचिव से नीचे नहीं) सदस्य होंगे। इसी तरह जनपद स्तर पर जिला मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में 'जिला संगठित अपराध नियंत्रण प्राधिकरण' की स्थापना की जाएगी। साथ ही अधिनियम में हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस की अध्यक्षता में 'अपीलीय प्राधिकरण' के गठन का प्राविधान भी किया गया है। इसमें राज्य सरकार द्वारा नामित प्रमुख सचिव स्तर का अधिकारी, डीजी स्तर का अधिकारी सदस्य होंगे।

फैक्ट फाइल

- यूपीकोका में दर्ज मामलों की सुनवाई को विशेष न्यायालय का होगा गठन। साठ दिन का मिलेगा रिमांड तो जमानत कराना नहीं होगा आसान।

- विभिन्न सरकारी, अ‌र्द्धसरकारी, सार्वजनिक उपक्रमों आदि की निविदा वेबसाइट पर अनिवार्य रूप से प्रकाशित किए जाने तथा निविदा फॉर्म भरने की सुविधा भी इंटरनेट के माध्यम से करने की व्यवस्था।

- निविदा खोलते समय कमरे में किसी को अस्त्र, शस्त्र के साथ प्रवेश करने पर प्रतिबंधित करने की व्यवस्था। ब्लैकलिस्टेड फर्मो के नाम वेबसाइट पर डालने होंगे।

- बाहुबली, संगठित अपराधों में लिप्त अपराधियों के विरुद्ध गवाही देने वालों को सुरक्षा प्रदान करने तथा आवश्यकतानुसार उनकी गवाही बंद कमरे में लेने का प्राविधान।

- कोई भी संगठित अपराध करने में लिप्त व्यक्ति सरकारी सुरक्षा नहीं पा सकेगा।

ये अपराध आएंगे दायरे में

- अकेले या संयुक्त रूप से, संगठित अपराध सिंडीकेट के सदस्य के रूप में हिंसा का प्रयोग, दबाव की धमकी या उत्कोच, प्रलोभन या लालच के साधन द्वारा या आर्थिक लाभ के उद्देश्य से बगावत को बढ़ावा देना

- आतंक फैलाने या बलपूर्वक या हिंसा द्वारा सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए विस्फोटकों या अग्नि या आग्नेयास्त्र या अन्य हिंसात्मक साधनों का प्रयोग कर जीवन या संपत्ति को नष्ट करना। राष्ट्रविरोधी या विध्वंसात्मक गतिविधियों में लिप्त होना या अन्य लोक प्राधिकारी को मृत्यु या बर्बादी की धमकी देकर फिरौती के लिए बाध्य करना।

- फिरौती के लिए किसी को अगवा करना या अपहरण करना।

- किसी भी सरकारी ठेके में बोली लगाने से या हिस्सा लेने से किसी अन्य अवैध साधनों द्वारा शक्ति से या शक्ति प्रदर्शन से किसी को रोकना।

- धन लेकर किसी व्यक्ति को जान से मारना या मरवाना।

- रिक्त सरकारी या निजी भूमि या विवादित भूमि या भवन पर शक्तिपूर्वक या जाली दस्तावेजों के द्वारा कब्जा करना।

- भवनों या भूमि या उसके किसी भाग को उसके विधिक अध्यासियों से अवैध रूप से हटाने के आशय से क्रय करना या जाली दस्तावेज बनाना।

- बाजारों, फुटपाथों, विक्रेताओं, मंडियों, ठेकेदारों और व्यवसाय करने वालों से अवैध रूप से सुरक्षा धन का संग्रह करना।

- शक्ति का प्रयोग या धमकी या अन्य अवैध साधनों द्वारा अवैध खनन कार्य में लिप्त होना या वन उपज का अवैध दोहन करना या वन्य जीवन में व्यापार करना।

- मनी लांड्रिंग एक्ट का अपराध करना

- मानव दुव्र्यापार में लिप्त होना

- नकली/जाली दवाओं या अवैध मदिरा का विक्रय करना या निर्माण करना या निर्माण में सहायता करना

- मादक पदार्थो के अनैतिक व्यापार में लिप्त होना

उठे विरोध के सुर

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कहना है कि कानून का डर होगा तो अपराधी प्रदेश से भाग जाएंगे। इसके लिए एनकाउंटर शुरू किए गये फिर भी राजधानी में पूर्व विधायक के पुत्र की हत्या हो गयी। भाजपा सरकार कानून-व्यवस्था संभाल नहीं पा रही तो नया फार्मूला ले आई। यूपीकोका जनता को धोखा देने और अपने राजनीतिक विरोधियों को दबाने के लिए ला रहे हैं।

अखिलेश यादव

पूर्व मुख्यमंत्री एवं सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष

यूपीकोका का इस्तेमाल सर्वसमाज के गरीबों, दलितों, पिछड़ों व धार्मिक अल्पसंख्यकों के दमन के लिए होगा। बसपा इस कानून का विरोध करती है और इसे वापस लेने की मांग करती है।

- मायावती

पूर्व मुख्यमंत्री एवं बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष

यूपीकोका काला कानून है। इस कानून का दुरुपयोग पत्रकारों के साथ भी होगा। इमरजेंसी के दौरान भी ऐसे ही हालात बने थे। ऐसी ही स्थिति अब प्रदेश में आने वाली है। हम इसका सदन में पुरजोर विरोध करेंगे।

- राम गोविंद चौधरी

नेता विरोधी दल, विधानसभा

यूपीकोका डरावना और भयावह कानून है। भाजपा सरकार लोकतंत्र में अपनी आवाज उठाने वालों के खिलाफ यह कानून ला रही है। पहले ही सीआरपीसी में सख्त प्राविधान हैं तो इसकी क्या जरूरत आन पड़ी। यह कानून राजनेताओं को परेशान करने के उद्देश्य से लाया जा रहा है।

- अजय कुमार लल्लू

नेता कांग्रेस दल, विधानसभा