यूपीए की ओर से मेन प्राब्लम उसके दो सहयोगी बने हैं एक तो तृणमूल कांग्रेस की चीफ वेस्ट बंगाल की चीफ मिनिस्टर ममता बनर्जी और दसरे समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव। दोनो ही अपनी पसंद का प्राइम मिनिस्टर चाहते हैं पर प्राब्लम यह है कि एक ही गवरमेंट का पार्ट होने के बावजूद इन तीनों की च्वाइस एक नहीं हो पा रही है।

पहले ममता और मुलायम ने कांग्रेस के सजेस्ट किए हुए कैंडीडेटस को रिजेक्ट कर दिया अब कांग्रेस इन दोनों के बताए कैंडीडेटस को एक्सेसप्ट करने के लिए रेडी नहीं है। कांग्रेस की ओर से प्रणव मुखर्जी का नाम सबसे फेवरेट था पर इस पर ममता को आब्जेक्शन था। ममता और मुलायम की ओर से प्राइम मिनिस्टर मनमोहन सिंह का नाम सजेस्ट किया गया लेकिन इस बात को काग्रेस ने नामंजूर कर दिया है। अब प्रेसिडेंट इलेक्शन को लेकर यूपीए गठबंधन में डेस्यूट गहराते जा रहे हैं।
 
फाइनेंस मिनिस्टर प्रणब मुखर्जी का कहना है, "कांग्रेस यूपीए के सभी दलों के साथ मिलकर प्रेसिडेंट के लिए एक कैंडीडेट का नाम डिसाइड करेगी और जल्द ही आपको इसकी जानकारी मिल जाएगी." उन्हों ने आज सुबह कांग्रेस प्रेसिडेंट सोनिया गांधी से मुलाकात की वे अब तक कांग्रेस के हॉट फेवरेट समझे जा रहे हैं, जबकि उनके बाद वाइस प्रेसिडेंट हामिद अंसारी का नाम है।

वेडनेस डे को तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने यूपीए को पहला शॉक दिया कि उन्होंने प्रेसिडेंट  के लिए जिन तीन नामों पर सलेक्ट  किया है वे हैं एपीजे अब्दुल कलाम, प्राइम मिनिस्टर मनमोहन सिंह और फॉरमर स्पीकर सोमनाथ चटर्जी। तो दूसरा वार कांग्रेस का था जब आज मार्निंग में उसने कहा कि मनमोहन सिंह 2014 तक का अपना टर्म पूरा करेंगे क्योंकि कांग्रेस नहीं समझती कि बीच टर्म में प्राइम मिनिस्टर चेंज करना कोई अच्छी बात है। और बाकी दोनों नाम उन्हें  मंजूर नही हैं।
 
दूसरी ओर बाकी सहयोगियों की राय को भी इग्नोर करना पॉसिबल नहीं है.  डीएमके प्रेसिडेंट के लिए मनमोहन का नाम उछाले जाने पर हैरान है। पार्टी चीफ एम करुणानिधि ने कहा, मनमोहन सिंह के नाम को सजेस्ट करने पर वे कुछ नहीं कहेंगे लेकिन उनकी च्वाइस प्रणव मुखर्जी हैं और इन सारे चेंजेस पर वे सरप्राइज्ड हैं। शरद पवार तो किसी भी नाम पर कमेंट नहीं करना चाहते वे तो बस फाइनल नाम के इंतजार में हैं और देखना चाहते हैं कि यह कैसे पॉसिबल होता है।

जबकि की अपोजीशन इस सारे तमाशे का मजा ले रही है। जैसा कि जेडीयू के स्पोक्समैन के कमेंट से दिख रहा है। उनका कहना है कि यूपीए युनैनिमस ओपिनियन कैसे बनाती है यह देखने की बात होगी। क्योंकि ममता और मुलायम दानो ही यूपीए के साथी हैं।
 
बहरहाल चाहे कितनी भी प्राब्लम्स हो पर कांग्रेस को अपने साथियों के साथ मिल कर जल्दी  से जल्दी सॉल्यूशन निकालना ही होगा और एक नाम सामने रखना होगा। तब तक चलिए जानते हैं कैसे होता है प्रेसिडेंट का इलेक्शन और कौन डालता है प्रेसिडेंट के लिए वोट। साथ ही जानिए किसके वोट का कितना वेटेज होता है।

2012 के प्रेसिडेंट के लिए कितने लोग वोटिंग करेंगे

 

President election

लोकसभा एमपी - 543
राज्यसभा एमपी - 243
कंट्री के टोटल एमएलए - 4,120
टोटल वोटरों की काउंटिंग - 4,896
टोटल 4,120 एमएलएज के वोटों की काउंटिंग - 5,49,474
टोटल 776 एमपीज के वोटों की काउंटिंग- 5,49,408
स्टेट वाइज एमएलएज के वोटस की वेटेज
उत्तर प्रदेश - 208, तमिलनाडु - 176, झारखंड - 176, महाराष्ट्र - 176, बिहार - 173, केरल - 152, प। बंगाल - 151, गुजरात - 147

जिन स्टेटस में एक एमएलए की वेटेज 10 से कम है
सिक्किम - 7, अरुणाचल प्रदेश - 8, मिजारेम - 8, नागालैंड - 8

दिल्ली के एक एमएलए की वेटेज - 58

मैक्सिमम वोट वाले स्टेटस
यूपी - 83,824, महाराष्ट्र - 50,400, प। बंगाल - 44,304,

वोट कैसे डिसाइड होते हैं

प्रेसिडेंट इलेक्शन में कंट्री के सभी इलेक्टेड एमएलए और एमपी वोट देते हैं और उनकी वेटेज डिसाइड की जाती है।
 
कैसे होती है वोटों के लिए वेटेज डिसाइड?
एक एमएलए के वोट की कीमत निकालने के लिए स्टेट विधानसभा की जनसंख्या को डिवाइड करेंगे टोटल एमएलए के नंबर्स से और इसे 1000 से मल्टीटप्लायई करेंगे। जो रिजल्ट आएगा वही होगी उनके वोट की वेटेज. 
एक एमपी के वोट की वेटेज
एक एमपी के वोट की वेटेज निकालने के लिए सभी स्टेसट के एमएलए के वोट को जोड़कर उसे लोकसभा के इलेक्टेड 543 और राज्यसभा के इलेक्टेड 243 मेंबर्स से डिवाइड किया जाता है।

 

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