-बारह साल की कड़ी तपस्या के बाद प्रशेन को मिली मंजिल

-छह बार पीसीएस, चार बार दिया आईएएस

ALLAHABAD: लाखों प्रतियोगियों के बीच में सफलता हासिल करना बड़ी बात होती है। जिन्हें ये सफलता मिलती है उसके पीछे उनकी सालों की मेहनत, लगन और बिना रुके-थके निरंतर प्रयास करने का जुनून महत्वपूर्ण भूमिका होती है। ऐसे शख्स दूसरों के लिए प्रेरणा बन जाते हैं। उत्तर प्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन (यूपीपीएससी) की कम्बाइंड लोअर सबआर्डिनेट सर्विसेस 2009 परीक्षा में सफल एक ऐसे ही प्रतिभागी से आपको रूबरू कराते हैं, जिन्होंने अपने हौसले और जज्बे से सफलता की नई इबारत लिखी है।

अंत तक नहीं डिगा हौसला

बिहार, भोजपुर (आरा) के रहने वाले प्रशेन कुमार राय ऐसे शख्स हैं, जिन्होंने वर्ष 2002 में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी शुरू की थी। इस दौरान उन्होंने पांच बार मेंस सहित कुल छह बार पीसीएस एग्जाम दिया। एक बार इंटरव्यू सहित कुल चार बार आईएएस की परीक्षा में भी सम्मिलित हुए। लेकिन उन्हें इन एग्जाम्स में अंतिम रूप से सफलता हासिल नहीं हो सकी। इस दौरान उन्होंने और भी कई एग्जाम्स दिए। बावजूद उन्होंने हौसला नहीं खोया और खुद पर विश्वास कायम रखते हुए निरंतर प्रयास करते रहे।

मैं पीछे, कई मुझसे आगे

आखिरकार 12 साल की कड़ी तपस्या के बाद नौ सितंबर 2014 प्रशेन के लिए स्वर्णिम दिन साबित हुआ, जब उनका फाइनली चयन लोअर सबआर्डिनेट एग्जाम में एक्साइज इंस्पेक्टर के पद पर हो गया। प्रशेन कहते हैं कि उनके आसपास कई ऐसे हैं जो उनसे भी ज्यादा समय से तैयारी करते आ रहे हैं। बावजूद इसके उनका साहस नहीं डिगा है। ऐसे प्रतियोगियों को देखकर उन्हें भी ऊर्जा मिली और वे अपने लक्ष्य पर निगाह लगाए रहे।

37 साल के प्रशेन की चाहत प्रोफेसर बनना

खास बात यह है कि इससे पहले हाल ही में आए लोअर सबआर्डिनेट 2008 के रिजल्ट में भी प्रशेन का चयन डिप्टी जेलर के पद पर हो चुका था। वे भले ही प्रशासनिक परीक्षाएं दे रहे हों। लेकिन उनकी इच्छा प्रोफेसर बनने की है, जिससे वे आने वाली पीढ़ी का बतौर शिक्षक मार्गदर्शन कर सकें। उन्हें इस बात पर कोफ्त महसूस होती है कि युवा पीढ़ी शिक्षक बनने को प्राथमिकता क्यों नहीं देती।

औसत छात्रों के लिए भी हैं एग्जाम्पल

वैसे आंकड़ों के लिहाज से देखा जाए तो प्रशेन कुमार राय औसत छात्रों के लिए भी बड़ा एग्जाम्पल हैं। प्रशेन को हाईस्कूल में म्0 फीसदी, इंटर में भ्क्, बीए में म्7 और एमए में भ्ब् फीसदी अंक हासिल हुए। बावजूद इसके वे नेट में न केवल जेआरएफ हुए बल्कि इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से प्राचीन इतिहास विषय से अपनी पीएचडी भी पूरी भी। इसके बाद उन्होंने सीएमपी डिग्री कॉलेज में गेस्ट फैकल्टी के रुप में अध्यापन का कार्य भी किया।

विकल्प साथ लेकर चलना भी जरूरी

प्रशेन ने प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर अभ्यर्थियों के लिए कहा कि उन्हें कोचिंग के भरोसे नहीं रहना चाहिए बल्कि सेल्फ स्टडी करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि छात्रों को खुद नोट्स तैयार करना चाहिए और किसी भी चीज को रटने की बजाय गहराई से अध्ययन करना चाहिए। उन्होंने पाजिटिव थिंकिंग के साथ नियमित अध्ययन किए जाने पर जोर दिया साथ ही एक बेहतर मार्गदर्शक का भी होना जरूरी बताया। प्रशेन ने कहा कि प्रतिस्पर्धा से भरे दौर में प्रतियोगियों को प्रशासनिक परीक्षाओं के अलावा दूसरे विकल्प को भी साथ लेकर चलना चाहिए। उन्होंने कहा खुद पर विश्वास करें। धैर्य बनाए रखें, सफलता अपने आप चलकर आएगी।