आई-स्पेशल

राज्य के 75 और नगर निकायों में चलेंगे शहरी गरीबी उन्मूलन के कार्यक्रम

- अभी तक मुख्य रूप से जिला मुख्यालयों के निकायों में ही चल रही थीं गतिविधियां।

- दो लाख तक के लोन, रैन बसेरों का निर्माण, महिला समूहों को प्रशिक्षण जैसे कार्यक्रमों की खुलेगी राह।

DEHRADUN: उत्तराखंड में शहरी गरीबी पर अब करारी चोट हो पाएगी। शहरी विकास विभाग अब 7भ् ऐसे नगर निकायों में भी शहरी गरीबी दूर करने के मकसद से कार्यक्रम चला पाएगा, जो अभी तक छूटे हुए थे। अभी तक प्रमुख रूप से जिला मुख्यालयों के नगर निकायों में ही यह कार्यक्रम संचालित हो रहे थे। केंद्र सरकार की हरी झंडी के बाद अब राज्य सरकार नगर निकायों में कार्यक्रम की रूपरेखा बनाने में जुट गई है।

शहरों में है फ्0 फीसदी तक गरीबी

केंद्रीय शहरी विकास विभाग की ओर से कराए गए सर्वे के आधार पर शहरों में गरीबी का जो आकलन उभरा है, उसके अनुसार शहरों में फ्0 फीसदी तक गरीबी है। हालांकि हर राज्य की अपनी-अपनी स्थितियों के अनुसार, कहीं कम, तो कहीं ज्यादा प्रतिशत की संभावना भी है। मसलन, उत्तराखंड में ही पर्वतीय और मैदानी क्षेत्रों के नगर निकायों के मिजाज में जमीन-आसमान का अंतर है।

अभी तक क्म् निकायों में संचालन

केंद्र सरकार की फंडिंग से उत्तराखंड का शहरी विकास विभाग अभी तक सिर्फ क्म् नगर निकायों में ही शहरी गरीबी को खत्म करने के लिए कार्यक्रम चला रहा था। इन क्म् निकायों में से क्फ् जिला मुख्यालयों में स्थित नगर निकाय थे, जबकि खास परिस्थितियों में ऋषिकेश, मसूरी और हल्द्वानी जैसे शहरों में भी कार्यक्रम संचालित किए जा रहे थे। अब सभी 9क् नगर निकायों में कार्यक्रम चलेंगे, चाहे फिर कोई छोटी नगर पंचायत हो या नगर निगम।

कई कार्यक्रम होंगे संचालित

शहरी गरीबी को दूर करने के लिए कई तरह के कार्यक्रम संचालित किए जाएंगे, इसमें बेरोजगारी दूर करने के लिए दो लाख रुपए तक के लोन की योजना प्रमुख हैं। इसके अलावा, महिला समूहों को कई उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण कार्यक्रम, रैन बसेरों का निर्माण जैसी स्कीम पर भी काम किया जाएगा।

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पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पहले सिर्फ क्म् नगर निकायों में कार्यक्रम शुरू किए गए थे, अब उत्तराखंड का कोई नगर निकाय इन कार्यक्रमों से वंचित नहीं रहेगा। शहरों में रहने वाले गरीबों की सहायता के लिए अब ज्यादा प्रभावी ढंग से काम किया जा सकेगा।

- राजीव पांडे, परियोजना अधिकारी, सूडा।

सभी नगर निकायों के लिए योजना की मंजूरी मिल जाने के बाद अब कार्यक्रमों की रूपरेखा तय की जा रही है। योजना का दायरा अब पहले से ज्यादा बढ़ गया है, जाहिर तौर पर लोगों को इससे काफी फायदा पहुंचेगा और यही हमारा मकसद भी है।

संजय राणा, स्टेट मिशन प्रबंधक, सूडा।