- उर्स ए रजवी में तकरीर के दौरान नजीब मियां ने दिया पैगाम

- अयोध्या मामले में फैसले पर बोले, सियासी लोगों के बहकावे में न आएं

बरेली: तीन रोजा उर्स-ए-रजवी का फ्राइडे को कुल शरीफ की रस्म के साथ समापन हो गया। इस दौरान देश-विदेश से आए उलेमा की तकरीरों का दौर चला। आला हजरत के पीरखाना मारहरा शरीफ के सज्जादानशीन रफीक-ए-मिल्लत नजीब मियां ने उर्स के स्टेज से मुसलमानों को पैगाम देते हुए कहा, कि अयोध्या मसले पर बड़ा फैसला आने वाला है। अगर फैसला तुम्हारे हक में आये तो खुदा का शुक्र करना और हक में न आये तो सब्र करना। सियासी लोगो के भड़काने में हरगिज मत आना, सड़कों पर मत उतरना। हर हाल में मुल्क में अमन कायम रखना। यहीं पैगाम खानकाह-ए-मारहरा का है और यही पैगाम खानकाह-ए-बरेली का है। इस दौरान मुफ्ती सलीम नूरी, मुफ्ती आकिल रजवी, मुफ्ती कफील हाशमी, मुफ्ती अय्यूब भी मौजूद रहे।

कुरान और हदीस पर करें अमल

दरगाह प्रमुख मौलाना सुब्हान रजा खान 'सुब्हानी मियां' की सरपरस्ती सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रजा कादरी 'अहसन मिया' की सदारत व उर्स प्रभारी सय्यद आसिफ मियां की देखरेख में महफिल का आगाज कारी रिजवान रजा ने तिलावत-ए-कुरान से किया। इससे पहले हाजी गुलाम सुब्हानी ने मिलाद शरीफ का नजराना पेश किया। निजामत संचालन कारी यूसुफ रजा संभली ने किया। तकरीर के दौरान मारहरा शरीफ के ही सज्जादानशीन अमीन मियां ने नजीब मियां के बयान की ताईद करते हुए कहा कि मुसलमानों के दो बड़े हथियार सब्र और शुक्र हैं इसको हरगिज नहीं छोड़ना। कुरान और हदीस की तालीमात पर अमल करते हुए मसलक-ए-आला हजरत पर मजबूती से कायम रहना।

पानी बचाएं, बच्चों को दिलाएं शिक्षा

उलेमा ने तकरीर के दौरान पानी बचाने और बच्चों को दीनी और दुनियावी तालीम दिलाने की अपील की। दरगाह आला हजरत के सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रजा कादरी अहसन मियां ने 'जान देकर भी उसूले वफा छोड़ सकते नहीं, मर तो सकते है लेकिन उनसे वफा छोड़ सकते नहीं शेर के साथ मुल्क में अमन ओ सुकून की दुआ की।

विदेशों से आए जायरीन

यूरोप से आए अल्लामा फरोग उल कादरी ने अपने खिताब में कहा कि खानकाहों व दर्सगाहों का वाकर जो आज कायम है। ये आला हजरत ही की देन है। इसके साथ बांग्लादेश, अफ्रीका, अमेरिका, यूरोप, एशिया, मारीशस, तुर्की, ऑस्ट्रेलिया, साउथ अफ्रीका, अमेरिका, बंग्लादेश, श्रीलंका के अलावा मुल्क भर की खानकाहों से उलेमा पहुंचे। खानकाह-ए-तहसीनिया के सज्जादानशीन हस्सान रजा खान, सूफी रिजवान रजा, दरगाह वली मियां के सज्जादानशीन अल्हाज अनवर मियां, मुफ्ती गुलफाम, मु़फ्ती बशीर कादरी, कारी अब्दुर्रहमान कादरी, कारी इकबाल, कारी सखावत, मुफ्ती अनवर अली आदि शामिल रहे।

2:38 बजे कुल की रस्म

दोपहर ठीक 2 बजकर 38 मिनट पर रिजवान रजा कारी, अमीर हमजा कारी, रजा-ए-रसूल ने फातिहा व मौलाना मुख्तार बहेड़वी ने शजरा पढ़ा। कुल के बाद इसलामिया मैदान में ही हजारों लोगों ने जुमा की नमाज मुफ्ती अहसन मिया की इमामत में अदा की। आखिर में दरगाह प्रमुख सुब्हानी मियां से काफी तादात में लोग मुरीद हुए

सुबह से चला चादरों का जुलूस

फ्राइडे को उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की ओर से पूर्व मंत्री जाहिद रजा ने चादर पेश की। उर्स की व्यवस्था हाजी जावेद खान, शाहिद खान, राशिद अली खान, परवेज नूरी, नासिर क़ुरैशी, अजमल नूरी, औरंगजेब नूरी, ताहिर अल्वी, हाजी अब्बास, मंज़ूर खान, मोहसिन खान, अदनान खान, अश्मीर रज़ा, फारूक खान, यूनुस साबरी, तारिक सईद, आसिम नूरी, शारिक उल्लाह खान, जोहेब रजा, आलेनबी, आसिफ रजा, सय्यद माजिद, सय्यद एजाज और काशिफ सुब्हानी आदि मौजूद रहे।

देश-विदेश में सुना गया प्रोग्राम

दरगाह-ए-आला हजरत आईटी सेल के प्रभारी मो। जुबैर रजा खां कादरी ने बताया कि आला हजरत से अकीदत रखने वाले दूर-दराज के अकीदतमंद जो उर्स में शिरकत नहीं कर पाये और महिलाओं के लिए आला हजरत अजीमुल बरकत के 101 वें उर्से-रजवी के सारे प्रोग्रामों का तीनों दिन लाइव ऑडियो प्रसारण पूरी दुनिया में इंटरनेट के माध्यम से किया गया।