-सज्जादानशीन और दरगाह प्रमुख ने अदा की परचम कुशाई की रस्म

-देश-विदेश से पहुंचने लगे जायरीन, की चादरपोशी

बरेली : आला हजरत इमाम अहमद रजा खां के 101वें उर्स-ए-रजवी का वेडनसडे को आगाज हो गया। शाम को दरगाह प्रमुख मौलाना सुब्हानी मियां और सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन मियां ने रजवी परचम लहराया। इस्लामिया इंटर कॉलेज मैदान पर परचम फहराते ही फूलों की पंखुडि़यां बरस पड़ीं और फिजा में रजाकारों के नारे गूंजने लगे।

सुबह से पहुंचने लगे जायरीन

सुबह फज्र की नमाज के बाद दरगाह पर कुरानख्वानी हुई। इसी के साथ देश-विदेश के जायरीन का दरगाह पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया। दोपहर बाद से चादरों के जुलूस निकले। ठिरिया निजावत खां से अंजुमन इसासुल मुस्लेमीन के नेतृत्व में जुलूस दरगाह पहुंचा। शाम को करीब पांच बजे आजमनगर स्थित अल्लाह बख्श के आवास से दरगाह के सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन मियां की कयादत में अकीदतमंद परचम लेकर दरगाह गए। जुलूस का रास्ते भर फूलों से इस्तकबाल होता रहा। दरगाह से दरगाह प्रमुख सुब्हानी मियां की सरपरस्ती में जुलूस इस्लामिया पहुंचा। पहले से परचम कुशाई के गवाह बनने के लिए उमड़ा जायरीन का हुजूम मसलके आला हजरत की सदाएं बुलंद करने लगा। परचम कुशाई के दौरान सय्यद आसिफ मियां, मुफ्ती आकिल रजवी आदि मौजूद रहे। दरगाह से जुड़े नासिर कुरैशी के मुताबिक जायरीन के लिए पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।

कन्नड़ में होगा कुरान का अनुवाद

बरेली : मजहब-ए-इस्लाम का असल पैगाम कुरान में है। कुरान अरबी भाषा में है। भारत में अरबी बोलने और उसका अर्थ समझने वाले कम हैं। हर मुसलमान कुरान के संदेश को समझे। आला हजरत ने इसी मकसद से वर्ष 1911 में कंजुल ईमान (कुरान का अनुवाद) किया। देश में अब तक उर्दू, अंग्रेजी, बंगाली, तमिल, मलयालम आदि भाषा में कंजुल ईमान प्रकाशित हो चुकी है। अब कन्नड़ भाषी लोग भी कुरान के पैगाम को कन्नड़ में जान सकेंगे। कंजुल ईमान को कन्नड़ में प्रकाशित किए जाने के लिए दिल्ली के मटिया मार्केट के एक प्रकाशक को सैंपल मिला है। पहचान जाहिर न करने का हवाला देते हुए बताते हैं कि सैंपल का अध्ययन करने के बाद किताब की छपाई शुरू होगी।

मायने जानना हुआ आसान

उर्स-ए-रजवी में आला हजरत की किताबें लेकर पहुंचे दिल्ली के फारूकिया बुक डिपो के एमएम हाशमी का मानना है कि आला हजरत ने कंजुल ईमान के रूप में बड़ा तोहफा दिया है। भारत विविधताओं का मुल्क है। क्षेत्रीय स्तर पर अलग भाषाएं हैं। अरबी भारतीयों की मूल भाषा नहीं है, इसलिए लोगों को कुरान का अर्थ यहीं की भाषाओं में समझाने की जरूरत है। कंजुल ईमान के जरिये कुरान में दिए संदेश के मायने जानना आसान हुआ है। खास बात यह है कि ¨हदी भाषा में कंजुल ईमान की सबसे ज्यादा मांग है। सालभर में ¨हदी में इसकी करीब 1.50 लाख प्रतियां बिक जाती हैं। दूसरी भाषाओं के जानकार भी इसे अपनी भाषा में खरीद रहे हैं। एमएम हाशमी के मुताबिक, आला हजरत ने जब कुरान का उर्दू में अनुवाद लिखा, तब लोग उर्दू के अच्छे जानकार होते थे। इसलिए किताब में भाषाई कसावट है। अब लोगों की उर्दू पर वैसी पकड़ नहीं रही।

50 परसेंट डिस्काउंट पर मजहबी किताबें

उर्स-ए-रजवी देश में मजहबी किताबों के बड़े मेले के रूप में भी जाना जाता है। यहां आला हजरत की सभी 1400 से अधिक लिखी किताबें हैं। देशभर के सुन्नी मदरसों के शिक्षक, छात्र किताबें ले जाते हैं, क्योंकि यहां उन्हें 50 फीसद छूट पर किताबें मिलती हैं।

पुराना रोडवेज पर नहीं पहुंची बसें

पुलिस प्रशासन ने पुराना रोडवेज बस स्टैंड पर वेडनसडे से ही बसों को नहीं जाने आने दिया। जो भी बस पैसेंजर्स को लेकर पुराना रोडवेज पर जा रही थी उसको सीधे सैटेलाइट भेज दिया। इससे पैसेंजर्स को प्रॉब्लम हुई, तो कई पैसेंजर्स आरएम के पास भी पहुंचे, और शिकायत की। वहीं आरएम ने बताया कि पुराना रोडवेज बस स्टैंड 25 अक्टूबर को एक दिन के लिए शिफ्ट किया जाना था लेकिन उर्स के चलते प्रशासन के आदेश पर आज से ही से ही पुराना रोडवेज से बसों का संचालन बंद कर दिया गया।

होटल में रूम फुल

उर्स में देश-विदेश से पहुंचने वाले जायरीन ने पहले से ही होटल में रूम बुक करा लिए इससे शहर के अधिकांश होटल में नो रूम की स्थित है। वहीं इमरजेंसी में आने वाले पैसेंजर्स को ठहरने के लिए दोगुने रुपए लिए जा रहे हैं। ऑनलाइन बुकिंग एप से रूम बुक कराने पर भी कस्टमर्स से डेढ़ गुने से दोगुने रुपए वसूले जा रहे हैं।