एरेना फार्मासिट्यूकल्स द्वारा बनाई गई बेल्विक नामक यह दवा भूख को काबू करने में मददगार होगी। जांच से पता चला है कि इससे मोटे या वजनी व्यक्ति को बहुत ज्यादा तो नहीं, बल्कि थोड़ा सा लाभ होगा। इस दवा के सेवन से मोटे व्यक्ति के मोटापा में पांच फीसदी की कमी आ सकती है।

भूख नहीं लगती

बेल्विक नामक इस दवा को वर्ष 2010 में खारिज कर दिया गया था क्योंकि इसकी जांच के लिए जब इसे पशु पर प्रयोग किया गया तो उसे ट्यूमर हो गया था। सैन डिएगो स्थित कंपनी एरेना ने अमरीकी सरकार के पास नए आकड़ों के साथ दोबारा आवेदन किया। इसमें कंपनी का दावा था कि अब इस दवा से किसी तरह की बीमारी नहीं होती है, उसके बाद अमरीका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने इसे मंजूरी दे दी।

अब अमरीकी सरकार से मंजूरी मिलने के बाद उसे 2013 में बाजार में लांच किया जाएगा। बेल्विक ऐसी दवा है कि उसे खाने से मस्तिष्क में भूख का एहसास मिट जाता है और अगर भूख लगती भी है तो लोगों को कम खाने पर भी पेट भरे होने का एहसास होता है।

अमरीका सरकार ने इसे कम से कम 30 या उससे अधिक बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) पर इस्तेमाल करने की इजाजत दी है। इस दवा का इस्तेमाल वे मोटे व्यक्ति कर सकते हैं जिनका बीएमआई 27 है और जिन्हें मधुमेह या कोलेस्ट्रोल में से कोई एक बीमारी है। वैसे अमरीका के खाद्य एवं दवा प्रबंधन विभाग (एफडीए) ने गर्भवती महिलाओं और इलाज करा रही महिलाओं को चेतावनी दी है कि वे इसका सेवन न करें।

खर्च बढ़ा

अमरीका के 35 फीसदी युवा मोटापा के शिकार हैं और इसके कारण सहायक दवा पर आने वाला खर्च बढ़ गया है। वैसे बदले हालात में डॉक्टरों ने स्वास्थ्य निरीक्षकों से अपील की थी कि वजन घटाने के लिए इस तरह के इलाज को मंजूरी दी जाए। इसलिए स्वास्थ्य निरीक्षकों ने वजन घटाने को मंजूरी तो दे दी है, लेकिन इसके लिए कड़े नियम कानून लगा दिए हैं।

इससे पहले 1997 में वजन घटाने की दवा को बाजार से वापस कर लिया गया था क्योंकि इससे हृदय के वाल्व को नुकसान पहुंचता था। अमरीका के खाद्य एवं दवा प्रबंधन विभाग (एफडीए) ने एक बयान जारी कर कहा है कि बेल्विक में ऐसी कोई परेशानी नहीं है। हालांकि बेल्विक के सेवन से डिप्रेशन, माइग्रेन और याददाश्त पर असर पड़ता है।

वैसे एफडीए ने मोटापा से परेशान लोगों को सलाह दी है कि अगर 12 हफ्ते तक बेल्विक दवा के इस्तेमाल के बाद भी पांच फीसदी मोटापा कम न हों तो इसका इस्तेमाल न करें। अमरीकी सरकार ने दवा निर्माता कंपनी एरेना को निर्देश दिया है कि इसे बाजार में उतारने से पहले छह सर्वे करे जिसमें यह पता चले कि भविष्य में लोगों के स्वास्थ्य पर इसका क्या असर पड़ता है।

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