वाशिंगटन (एएफपी)। अमेरिका ने ईरान पर एक बार फिर कड़ा प्रतिबंध लगा दिए हैं। प्रतिबंधों के पहले दो हिस्सों में अमेरिका ने ईरान के बैंकनोट्स और मुख्य कारोबार जैसे कार और कारपेट उद्योगों को निशाने पर रखा। इसके बाद दूसरे चरण के प्रतिबंधों में अमेरिका ने पेट्रोलियम संबंधित लेन-देन और ईरान के ऊर्जा क्षेत्र को निशाना बनाया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को ईरान प्रतिबंध को लागू करते हुए कहा कि अमेरिका द्वारा ईरान पर परमाणु से जुड़े प्रतिबंध फिर से लागू किये जा रहे हैं। इन प्रतिबंधों को 2015 में संयुक्त वृहद कार्रवाई योजना (जेसीपीओए) के तहत हटा लिया गया था।'

नवंबर से लागू होगा प्रतिबंध
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि ईरान पर परमाणु से जुड़े प्रतिबंध 5 नवंबर, 2018 से लागू होंगे। इसके साथ उन्होंने यह भी कहा कि ईरान के ऑटोमोटिव सेक्टर और सोना व अन्य बहुमूल्य धातुओं का व्यापार भी इन प्रतिबंधों के दायरे में आएगा। प्रतिबंधों से ईरान का ऊर्जा क्षेत्र खासतौर से पेट्रोलियम से जुड़ा कारोबार प्रभावित होगा। सेंट्रल बैंक ऑफ ईरान के विदेशी आर्थिक संगठनों के लेन-देन पर भी रोक लगाई गई है। इससे ईरान की मुद्रा रियाल में और ज्यादा गिरावट आएगी और देश की अर्थव्यवस्था खराब होगी।

ऑफर से खुश नहीं हैं रूहानी

ट्रंप ने इन प्रतिबंधों को तोड़ने वालों को गंभीर दुष्परिणामों की चेतावनी दी है। इसके साथ ही राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि ईरान यदि अपनी गलत गतिविधियां को रोक लें तो अमेरिका उसके साथ नया परमाणु समझौता और संबंधित बाकी सहयोग करने के लिए तैयार है। इसके लिए ईरान को परमाणु हथियार विकसित करने, बैलेस्टिक मिसाइल बनाने और आतंकवाद के समर्थन वाले काम रोकने पड़ेंगे। हालांकि ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी ट्रंप के इस प्रस्ताव से खुश नहीं हुए। ईरानी नेता ने टीवी पर एक इंटरव्यू में कहा, 'यदि आप एक दुश्मन हैं और आप चाकू सामने रखकर कहते हैं कि बातचीत करना चाहते हैं, तो सबसे पहले आपको चाकू को हटा लेनी चाहिए।'

दोनों देशों के बीच तनातनी
गौरतलब है कि परमाणु समझौते से अमेरिका के बाहर आने के बाद से ही दोनों देशों के बीच तनातनी बढ़ गई है। अमेरिका अब ईरान पर नई शर्तो के साथ परमाणु समझौता करने का दवाब डाल रहा है लेकिन ईरान इसके लिए तैयार नहीं है। दरअसल, ईरान, जर्मनी और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थाई सदस्यों- ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, रूस और अमेरिका के बीच जुलाई 2015 में जेसीपीओए समझौता हुआ था। इस समझौते के तहत ईरान आर्थिक मदद और खुद पर लगे अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों को हटाने की एवज में अपने परमाणु हथियार कार्यक्रमों को रोकने पर सहमत हुआ था लेकिन मई में अमेरिका ने इस समझौते को एकतरफा बताते हुए अपने आप को इस प्रोग्राम से अलग कर लिया था।


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