वाशिंगटन (पीटीआई)। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में बृहस्पतिवार को कहा कि भारत और चीन पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारे से सेनाओं को पीछे हटाने पर राजी हो गए हैं। दोनों सेनाएं चरणबद्ध तरीके से पीछे हटेंगीं। अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेंट के प्रवक्ता ने कहा कि वे करीब से सेनाओं के पीछे हटने की प्रक्रिया पर नजर बनाए हुए है।

रिपब्लिकन नेता ने किया शांतिपूर्ण प्रक्रिया का स्वागत

पूर्वी लद्दाख से दोनों देश की सेनाओं के पीछे हटने संबंधी एक सवाल के जवाब में प्रवक्ता ने कहा कि शांति बहाली की प्रक्रिया के समझौते पर हम दोनों ओर से लगातार करीबी नजर बनाए हुए हैं। विदेश मामलों की समिति के प्रमुख रिपब्लिकन कांग्रेसमैन माइकल मैककॉल ने भारत और चीन के इस शांतिपूर्ण प्रक्रिया के तहत सेनाओं के पीछे हटने का स्वागत किया है।

सीसीपी लगातार दिखाता रहा है क्षेत्र में आक्रमकता

एक ट्वीट में उन्होंने कहा कि अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए भारत मजबूती से खड़ा रहा। यह देखकर हमें बहुत हर्ष हो रहा है। मैककॉल ने कहा, 'चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) 21वीं शताब्दी में शांति बहाली से अलग लगातार क्षेत्र में पूर्वी और दक्षिण चाइना सी से लेकर हिमालय तक आक्रमकता दिखाता रहा है।

जून से तनाव के बाद भारी संख्या में तैनाती

जून में तनाव के बाद पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी के हाई एल्टीट्यूड एरिया में भारत और चीन ने बड़ी संख्या में युद्धक टैंक, बख्तरबंद वाहन और भारी हथियार तैनात कर रखे हैं। 15 जून को गलवान घाटी में हैंड-टू-हैंड झड़प में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे। दशकों के दौरान यह दोनों देशों के बीच पहली हिंसक झड़प थी। हालांकि चीन ने हिंसक झड़प में हताहतों की संख्या का खुलासा नहीं किया था। अमेरिकन इंटेलीजेंस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस झड़प में चीन के 35 सैनिक मारे गए थे।

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