- जानवलेवा हेडफोन का कहर, ट्रेन से कटकर चली गई जान

- अरगोड़ा स्टेशन के पास हादसे के बाद भी दिखे मोबाइल में व्यस्त युवा

- कान में हेडफोन और मोबाइल के साथ पटरी पार करने का जोखिम है खतरनाक

इन बातों का रखें ध्यान

- रेलवे स्टेशन पर पटरियों से होकर रेल लाइन पार न करें

- एक प्लेटफार्म से दूसरे पर जाने के लिए फुट ओवरब्रिज का यूज करें

- प्लेटफार्म पर हेड फोन लगाकर, मोबाइल फोन पर बात करते हुए अलर्ट रहे

- वीडियो या टेक्स्ट देखते हुए ट्रैक के पास भी न जाएं

- कान में हेडफोन लगाकर कर रहा था ट्रैक पार

- जल्दी पहुंचने के चक्कर में कई लोग गंवा चुके है जान

- मोबाइल और हेडफोन पर बात करते हुए पार कर रहे हैं ट्रैक

- रेलवे सुरक्षा को लेकर नहीं दे रहा है ध्यान

जिंदगी और मौत के बीच का फासला एक मोबाइल फोन बेहद कम कर सकता है। इसकी बानगी गुरुवार को अरगोड़ा रेलवे स्टेशन के पास देखने को मिली। एक रेलकर्मी कान में हेडफोन लगाकर गाना सुन रहा था। इसी बीच उसे राजधानी एक्सप्रेस ट्रेन ने अपनी चपेट में ले लिया, जिससे तत्काल उसकी मौत हो गई। इस हादसे के बाद 'दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट' ने मौका मुआयना करते हुए एक रियालिटी चेक किया, तो बेहद भयावह तस्वीरें सामने आ गईं। हादसे की वजह जानने के बावजूद लोगों पर कोई असर नहीं पड़ा और लोग मोबाइल फोन और हेडफोन लगाकर पटरी पार करने का जोखिम मोल लेते देखे गए।

गाना सुनना पड़ा महंगा

गुरुवार को अरगोड़ा स्टेशन के पास जो हादसा हुआ, उसमें रेलकर्मी को गाना सुनना महंगा पड़ गया। हेडफोन लगाकर रेलवे ट्रैक के पास खड़े रेलवे स्टाफ की राजधानी की चपेट में आने से मौत हो गई। उसकी पहचान लोधमा निवासी मनोज सांगा के रूप में हुई है। मौके पर मौजूद लोगों ने बताया कि मनोज कान में इयरफोन लगाकर गाना सुन रहा था। उसे ट्रेन की आवाज सुनाई ही नहीं दी। इसी वजह से वह ट्रेन की चपेट में आ गया और असमय ही मौत को गले लगा बैठा। हादसे के बाद शव को कब्जे में लेकर अरगोड़ा थाना पुलिस ने पोस्टमार्टम के लिए रिम्स भेज दिया है।

ट्रैक से होकर पार कर रहे पैसेंजर्स

रांची स्टेशन से कुछ दूरी पर ही रेलवे क्रासिंग है। वहीं प्लेटफार्म से निकलने के लिए सीढि़यां हैं। लेकिन टाइम की बचत करने के चक्कर में लोग शॉर्ट कट अपना रहे हैं। इतना ही नहीं फोन पर बात करते हुए रेलवे ट्रैक से होते हुए लोग अपने डेस्टिनेशन के लिए जा रहे हैं। इस बीच उनका पूरा ध्यान फोन पर होता है। इससे सामने या पीछे से आने वाली ट्रेन पर ध्यान ही नहीं होता। ऐसे में चंद सेकेंड में ही ट्रेन पास पहुंच जाती है। कई बार तो लोगों को बेहद करीब पहुंचने पर पता चलता है कि वे मौत के समीप पहुंच चुके हैं।

चेकिंग से बचने को पार कर रहे ट्रैक

हजारों की संख्या में पैसेंजर्स रांची स्टेशन से सफर करते हैं। इस दौरान कुछ पैसेंजर्स बिना टिकट वाले होते हैं। ये लोग टिकट चेकिंग से बचने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल देते हैं। फोन पर बात करते हुए ये लोग एक प्लेटफार्म से दूसरे पर चले जाते हैं। इस चक्कर में भी कई बार लोग ट्रेन की चपेट में आ चुके हैं।

हादसों से सबक नहीं ले रहे लोग

आरपीएफ और जीआरपी वाले लगातार जागरूकता अभियान चलाते हैं। इस दौरान स्टेशन पर अनाउंसमेंट भी किया जाता है कि किसी भी हाल में रेलवे ट्रैक को पार न करें। वहीं हेडफोन और मोबाइल फोन पर बात करते हुए ट्रैक पार करने से मना किया जाता है। इसके बावजूद लोग लापरवाही बरत रहे हैं।

500 रुपए फाइन या जेल

पटरियों से होकर रेल लाइन पार करते पकड़े जाने पर 500-1000 रुपए का फाइन निर्धारित है। वहीं फाइन नहीं भरने की स्थिति में जेल भी जाना पड़ सकता है। लेकिन रेलवे पुलिस और जीआरपी ऐसे लोगों पर कार्रवाई नहीं कर रही है। इसी वजह से लोगों का डर खत्म हो चुका है। वहीं स्टाफ्स भी टाइम बचाने के लिए ट्रैक पार कर दूसरे प्लेटफार्म पर जाते हैं। इससे पैसेंजर्स को भी वही काम दोहराने के लिए बढ़ावा मिल रहा है।