इसके लिए कुछ अलग-अलग कलर्स के

कंटेनर्स को ले लें और उन्हें धूप में रख दें। आप देखेंगे कि हर रंग पर पड ̧ने वाली सूरज की किरणें अलग रंग का रिफ्लेक्शन देंगी। ऐसे ही हमारे भगवान हैं। वा हैं तो एक, पर उनकी कृपा हम अलग-अलग रूपों में मिलती है। असल जिंदगी में कोई जब हमसे पूछता है कि 'तुम कौन हो?' तो हम जवाब देते हैं, मैं मेल हूं, मैं फीमेल हूं, मैं अमेरिकन हूं, मैं संन्यासी हूं पर असल में हमारा ये जवाब सही नहीं है। हम सब जो भी कुछ हैं, वो भगवान की कृपा से हैं और उनके ही हैं।

दोनों आंखों के बीच का तिलक की जगह होती है तीसरा नेत्र

वहीं अगर भगवान को देखने की बात करें, तो हम अपनी इन दो आंखों से उनके वास्तविक स्वरूप को नहीं देख सकते। लोग पूछते हैं कि हम दोनों आखों के बीच में तिलक क्यों लगाएं? इसका क्या मतलब होता है? बता दें कि तिलक लगाने का एक अहम पहलू है कि तीसरी आंख चक्र वास्तव में विवेक की शक्ति व ऊर्जा का केंद्र है और हमारी दोनों आंखों के बीच में वह तीसरा नेत्र मौजूद है, जिससे हम असल मायने में ईश्वर की अनुभूति कर पाते हैं, इसलिए यहां पर तिलक किया जाता है।

-साध्वी भगवती सरस्वती