लखनऊ (एएनआई)। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने शनिवार को यूपी गैरकानूनी धर्मांतरण निषेध अध्यादेश 2020 को मंजूरी दे दी है। अब इस बिल को 6 महीने के भीतर विधानसभा और विधानमंडल में पास कराना होगा। 24 नवंबर को योगी आदित्यनाथ मंत्रिमंडल द्वारा अध्यादेश को मंजूरी देने के बाद, लव जिहाद से संबंधित अपराध के लिए अधिकतम 10 साल की सजा का प्रस्ताव आया। मंगलवार को उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने गैरकानूनी धार्मिक धर्मांतरण के खिलाफ अध्यादेश लाने के राज्य मंत्रिमंडल के फैसले की जानकारी दी थी। 100 से अधिक घटनाओं की सूचना दी गई थी जिसमें जबरदस्त धार्मिक रूपांतरण किया जा रहा था।
Uttar Pradesh Governor promulgates UP Prohibition of Unlawful Conversion of Religion Ordinance 2020 pic.twitter.com/bXLSmb07y5
— ANI UP (@ANINewsUP) November 28, 2020
एक से पांच साल के बीच की जेल की सजा, 15,000 रुपये जुर्माने का प्रावधान
इसके अलावा, यह बताया गया था कि राज्य में धोखेबाज साधनों का उपयोग करके धार्मिक रूपांतरण चल रहे थे। सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा था कि इसलिए इस पर कानून बनाना अब नीति का एक महत्वपूर्ण मामला बन गया है। नए कानून में अगर शादी के लिए जबरदस्ती धर्मांतरण के लिए दोषी पाए जाने पर एक से पांच साल के बीच की जेल की सजा, 15,000 रुपये जुर्माने का प्रावधान है। अगर एससी / एसटी समुदाय के नाबालिगों और महिलाओं के साथ ऐसा होता है तो 25,000 रुपये के जुर्माने के साथ 3-10 साल की जेल होगी।
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