यूपी लोक सेवा आयोग में पहले दिन आवेदन, दूसरे दिन से प्रदर्शन

ALLAHABAD: उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने गुरुवार से राजकीय इंटरमीडिएट कॉलेजेस में प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक हेतु ऑनलाइन आवेदन की शुरुआत की है। आवेदन की शुरुआत के अगले ही दिन शुक्रवार को प्रशिक्षित स्नातक भर्ती से जुड़े अभ्यर्थियों ने आयोग कार्यालय पर जुटकर प्रदर्शन किया। उनकी मांग थी कि हिंदी प्रशिक्षित स्नातक के लिए अर्हता इंटरमीडिएट में हिंदी या संस्कृत किया जाये। छात्रों की मांग है कि आयोग अगर ऐसा नहीं कर सकता तो इंटरमीडिएट में भी हिन्दी को ही योग्यता के रूप में शामिल करें।

अलग जगहों पर अलग मानदंड

बता दें कि यूपी लोक सेवा आयोग ने सहायक अध्यापक हिन्दी के लिए शैक्षिक अर्हता के रुप में एक विषय के रुप में हिन्दी के साथ स्नातक और एक विषय के रुप में संस्कृत के साथ इंटरमीडिएट अथवा संस्कृत के साथ समकक्ष परीक्षा निर्धारित की है। अर्हता के भाग दो में कहा गया है कि भारत में किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से शिक्षा स्नातक अथवा समकक्ष उपाधि होनी चाहिये। बहरहाल, इस बारे में प्रतियोगियों के अलग अलग वर्ग की राय अलग अलग है। उनका कहना है कि अलग अलग जगहों पर शैक्षिक योग्यता का मानदंड अलग होने से प्रतियोगियों का भविष्य चौपट हो रहा है।

पहले मेरिट से होती थी नियुक्ति

अभ्यर्थियों का कहना है कि प्रशिक्षित स्नातक की राजकीय इंटरमीडिएट कॉलेजेस में 2010 तक मेरिट के आधार नियुक्ति होती थी। 2016 में राजकीय इंटरमीडिएट कॉलेज में प्रशिक्षित स्नातक हेतु भर्ती आई थी। इसमें पहले की ही तरह मेरिट के आधार पर नियुक्ति की बात थी। किन्तु वर्तमान सरकार ने इस विज्ञापन को वापस लेकर लिखित परीक्षा द्वारा भर्ती का निर्णय लिया है। अभ्यर्थी इस बात से प्रसन्न हैं कि लिखित परीक्षा द्वारा भर्ती सम्पन्न हो रही है। किंतु हिंदी विषय मे विषमता को लेकर छात्रों का विरोध है।

2018 से विज्ञापन क्यों?

ज्ञापन देने वाले छात्र भानु प्रताप सिंह, सुभाष सिंह, राजेश पांडेय, दुर्गेश सिंह, जय प्रकाश जायसवाल, बलराम मिश्रा, इंद्रमणि चौरसिया, अमन चौधरी, नवीन यादव, आशीष यादव, अमित अग्रहरि, सत्येंद्र कुमार बिंद आदि शामिल रहे। वहीं अभ्यर्थियों के दूसरे वर्ग का कहना है कि जब विज्ञापन 2016 में आया था तो आयोग 2018 से विज्ञापन क्यों ले रहा है? इन दो वर्ष के अंतराल में हजारों छात्र परीक्षा से वंचित हो रहे हैं।