आगरा : जल संकट से जूझते ग्रामीण क्षेत्रों में बारिश की एक-एक बूंद को सहजने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए जिले के 1,380 तालाबों का जीर्णोद्धार कराया जाएगा। 259 तालाबों पर काम भी शुरू हो गया है। मानसून के दौरान बारिश का जो पानी बहकर चला जाता है, उसे गांवों में ही सहेजा जाएगा। इससे पशुओं और ¨सचाई के लिए तो पानी उपलध रहेगा ही, भूमिगत जल स्तर में भी सुधार होगा। तालाबों का जीर्णोद्धार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) से कराया जा रहा है। जिले के सभी 15 लाकों की 690 ग्राम पंचायतों में 1,380 तालाब जीर्णोद्धार के लिए चिह्नित कर लिए गए हैं। इनमें से 388 तालाबों के संरक्षण कार्य को तकनीकी और वित्तीय स्वीकृति भी मिल चुकी है। जिले के 15 लाकों में से अधिकांश डार्क जोन में हैं। यानि इन लाकों में भूमिगत जल का अति दोहन किया गया है। कई क्षेत्रों में खारा पानी है। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में पशुओं और ¨सचाई के लिए पानी का संकट है। इसी समस्या से बचने के लिए बारिश की बूंद-बूंद सहजने पर जोर दिया जा रहा है। जीर्णोद्धार के लिए सबसे अधिक तालाब फतेहाबाद लाक में चिह्नित किए गए हैं।

जिले में जीर्णोद्धार के लिए तालाब चिह्नित कर लिए गए हैं। मनरेगा के माध्यम से इनकी खोदाई का कार्य कराया जा रहा है। हमारी कोशिश है कि मानसून से पहले अधिक से अधिक तालाबों का जीर्णोद्धार हो जाए।

ए। मनिकंडन, सीडीओ