आगरा। वाइल्डलाइफ एसओएस और उत्तर प्रदेश वन विभाग द्वारा चलाए गए संयुक्त अभियान में पांच मंदिरों के बाहर सपेरों की अवैध हिरासत से 24 सांपों को मुक्त कराया गया। सभी सांपों को वर्तमान में वाइल्डलाइफ एसओएस के उपचार एवं देखभाल में रखा गया है।

इस प्रजाति के सांप

सोमवार को वाइल्डलाइफ एसओएस और यूपी वन विभाग ने आगरा में कैलाश, बल्केश्वर, मनकामेश्वर, राजेश्वर और रावली मंदिरों के बाहर सपेरों से 24 सांपों को मुक्त कराया। कुल 16 कोबरा, 4 रैट स्नेक और 4 कॉमन सैंड बोआ को सपेरों से बचाया गया। बाद में वाइल्डलाइफ एसओएस की रेस्क्यू फैसिलिटी में स्थानांतरित कर दिया गया। सभी सांप भूखे और निर्जलित स्थिति में पाए गए, जिसमे एक गैर-विषैले प्रजाति का सांप- रैट स्नेक भी पाया गया, जिसका मुंह सिल दिया गया था। वाइल्डलाइफ एसओएस के पशु डॉक्टर्स ने तुरंत रैट स्नेके के मुंह से टांके हटाए और सभी सांपों को हाइड्रेट किया। फिलहाल में, वाइल्डलाइफ एसओएस प्रत्येक सांप का इलाज कर उनका निरीक्षण कर रहा है। यह निर्धारित करने के लिए की क्या वे अपने प्राकृतिक आवास में छोड़ने के लिए पर्याप्त फिट हैं या नहीं।

लोगों की आस्था से खिलवाड़

जुलाई के अंत में सावन का महीना शुरू हो गया। हिंदू मान्यताओं के अनुसार यह महीना भगवान शिव के भक्तों के लिए बेहद शुभ है, जिन्हें सांपों के भगवान के रूप में भी जाना जाता है। इस महीने के हर सोमवार को 'सावन का सोमवार' के रूप में जाना जाता है, जिसका विशेष महत्व है क्योंकि भक्त इस दिन उपवास रखते हैं या आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए मंदिरों में आते हैं। सांपों के साथ भगवान शिव के संबंध और लोगों की श्रद्धा का मजाक उड़ाते हुए और उसका लाभ उठाते हुए, सपेरे अक्सर भक्तों को सांपों के प्रदर्शन और आशीर्वाद के वादे के साथ लुभाते हैं। पैसों के लालच में, कुछ सपेरे भक्तों को सांप को दूध चढ़ाने के लिए भी प्रोत्साहित करते हैं, जो की असलियत में सांप के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। ऐसे किसी भी मनोरंजन को बढ़ावा देना संरक्षित वन्यजीव प्रजातियों के अवैध कब्जे को बढ़ावा देता है और यह वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत एक दंडनीय अपराध है।

वर्जन

इन सांपों को भयानक परिस्थितियों में रखा जाता है, जिसकी वास्तविकता को उजागर करने की जरूरत है। सांप इस हद तक घायल और दयनीय स्थिति में होते हैं कि वे अक्सर अपने प्राकृतिक आवास में वापस नहीं लौट पाते। हमारी टीम यह सुनिश्चित कर रही है कि इन सांपों को सभी आवश्यक चिकित्सकीय सहायता मिले।

काíतक सत्यनारायण, सह-संस्थापक और सीईओ, वाइल्डलाइफ एसओएस

मुंह सिला हुआ रैट स्नेक दर्द के कारण आक्रामक व्यवहार का प्रदर्शन कर रहा था। हमने सावधानी से टांके हटा दिए हैं। कोई भी जानवर इस तरह के बर्बर व्यवहार का हकदार नहीं है।

डॉ। इलियाराजा, उप निदेशक, पशु चिकित्सा, वाइल्डलाइफ एसओएस

सपेरों द्वारा सांपों का उपयोग किया जाना एक अवैध और दंडनीय अपराध है, जो वर्षो से चला आ रहा है। इसकी रोकथाम के लिए, वन विभाग हर साल इन सपेरों से सांपों को बचाने के लिए वाइल्डलाइफ एसओएस के साथ मिलकर काम करता है।

अखिलेश पांडेय, डीएफओ, आगरा