आगरा(ब्यूरो)। मधुनगर निवासी ऐश्वर्या इससे पहले उप्र लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) में भी नौवीं रैंक प्राप्त करने की उपलब्धि अपने नाम कर चुकी हैं। अब उनका लक्ष्य भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयन पाना है।

खुशी से झूम उठे परिजन
परिणाम जारी होने के बाद पूरे परिवार का उत्साह देखने लायक था। परिवार के साथ पड़ोसियों और पहचान वालों ने घर पहुंचकर उन्हें बधाइयां दीं। उत्साहित ऐश्वर्या दुबे ने बताया कि मैंने हमेशा भारतीय प्रशासनिक सेवा में जाने का सपना देखा है, यूपीएससी में 300 वीं रैंक पाना उत्साहित करता है। मैंने वर्ष 2019 से यूपीएससी की तैयारी शुरू की, विषय के रूप में समाजशास्त्र को चुना और 2021 में पहला प्रयास दिया, लेकिन प्रारंभिक परीक्षा में ही सफल नहीं मिली।

असफलता से नहीं हुई निराश, की तैयारी
एग्जाम में असफलता मिलने पर निराश होने की जगह कमियों को चिह्नित कर सेल्फस्टडी से तैयारी की। एनसीईआरटी के साथ अच्छे लेखकों की पुस्तकों से पढ़ाई की और दूसरे प्रयास में प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा के साथ साक्षात्कार में सफलता पाते हुए 300वीं रैंक प्राप्त की है। लगातार सफलता मिलना एक चमत्कार की तरह होता है.परिवार को उन पर नाज है, उन्होंने बताया कि तैयारी के समय वे मोबाइल फोन और सोशल मीडिया से दूर रहती थीं।

मार्गदर्शन प्राप्त करने में हुई समस्या
ऐश्वर्या ने अपनी 12वीं तक की शिक्षा सेंट क्लेयर्स स्कूल से की। इसके बाद चार वर्षीय बीएससी-एमएससी कंप्यूटर साइंस की डिग्री दयालबाग से करने के बाद एनसीईआरटी से यूपीएससी की तैयारी शुरू की। 2019 में कोङ्क्षचग ज्वाइन की, लेकिन कोविड-19 के कारण सिर्फ छह महीने ही जा सकीं। इसके बाद सेल्फ तैयारी की। वह बताती हैं कि परिवार में कोई भी इस क्षेत्र में नहीं होने से मार्गदर्शन प्राप्त करने में दिक्कत हुई। विषय चयन से लेकर तैयारी करने, पाठ्यक्रम समझने आदि में अधिक प्रयास करना पड़ा, लेकिन इससे ही काम आसान हुआ और लक्ष्य स्पष्ट होने से तैयारी में ज्यादा स्पष्टता आई। ऐश्वर्या के पिता हरेंद्र दुबे ताज व्यू होटल में मैनेजर और मां रचना दुबे गृहणी हैं। भाई अर्चित दुबे आईटी प्रोफेशनल हैं।

850वीं रैंक : पापा सपना पूरा करना था इसलिए मृतक आश्रित नौकरी नहीं ली

DAINIK J<strong>AGRA</strong>N INEXT
आगरा: यूपीएससी में शीतलाधाम कॉलोनी, दयालबाग निवासी जोविएल प्रभात ने 850वीं रैंक प्राप्त की है। वह वर्तमान में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन, इंदौर में प्रवर्तन निरीक्षक पद पर कार्यरत हैं। जोविएल ने 10वीं और 12वीं सेंट कानरेड इंटर कॉलेज से की। इसके बाद बीएचयू आईआईटी से सिविल ब्रांच में बीटेक किया। इंजीनियङ्क्षरग पूरी करने के बाद उन्होंने राजनीतिक शास्त्र विषय से दिल्ली में कोङ्क्षचग ली। बाद में स्वयं से पढ़ते हुए तैयारी को आगे बढ़ाया। वर्ष 2019, 2020 और 2021 में यह मेंस तक पहुंचे, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। 2022 में इन्होंने प्रारंभिक, मुख्य परीक्षा के साथ साक्षात्कार में सफल होकर 850वीं रैंक प्राप्त की। वह बताते हैं कि यूपी सिडको में सिविल इंजीनियर रहे पिता गजेंद्र ङ्क्षसह प्रभात का सपना था कि मैं आईएएस अधिकारी बनूं, उनकी ही प्रेरणा से मैंने तैयारी शुरू की। मई, 2021 में वह कोविड-19 की चपेट में आकर दुनिया से चले गए। मेरे पास मृतक आश्रित कोटे में नौकरी पाने का विकल्प था लेकिन मुझे पापा का सपना पूरा करना था। तीन महीने पहले इन्होंने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) में प्रवर्तन निरीक्षक पद पर ज्वॉइन किया और इस परिणाम में 850वीं रैंक प्राप्त की। परिवार में मां सर्वेश प्रभात विश्वविद्यालय के नेशनल मॉडल स्कूल में शिक्षिका हैं। भाई जोंटी प्रभात फोटोग्राफी बिजनेस में हैं। इनका चयन इंटेलीजेंस ब्यूरो (आइबी) में भी हुआ था, लेकिन पारिवारिक कारणों से उन्होंने छोड़ दी।


739वीं रैंक: दीवानी में कार्यरत चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की बेटी ने यूपीएससी में पायी

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आगरा: यूपीएससी में दयालबाग, ओम नगर निवासी सुषमा सागर की 739वीं रैंक प्राप्त की है। वर्तमान में वह गाजियाबाद में राज्यकर विभाग में असिस्टेंट कमिश्नर पद पर कार्यरत हैं। उनके पिता रमेश चंद सागर दीवानी न्यायालय में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी हैं, जबकि मां मलतेश सागर गृहणी हैं। सुषमा सागर ने बताया कि उनका लक्ष्य यूपीएससी से प्रशासनिक (आईएएस) या पुलिस (आईपीएस) सेवा में चयन पाना है। इन्होंने 10वीं और 12वीं दयालबाग के प्रेम विद्यालय से की। इसके बाद दयालबाग शिक्षण संस्थान से फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ से बीएससी डायरेक्टर गोल्ड मेडल के साथ किया। गणित में बीएससी ऑनर्स करने के बाद 2016 में इन्होंने ङ्क्षहदी साहित्य विषय से सिविल परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। दो वर्ष की तैयारी के बाद इन्होंने यूपीपीसीएस में सफल होकर राज्यकर विभाग (जीएसटी) में असिस्टेंट कमिश्नर पद प्राप्त किया, वर्तमान में इनकी तैनाती गाजियाबाद में है। परिवार में माता-पिता के अलावा एक भाई नरेंद्र सागर रेलवे में चयनित हो चुके हैं। बहन सुमन सागर शिक्षिका हैं। छोटा भाई दीक्षांत सागर बीएड कर रहे हैं। पिता रमेश चंद सागर बेटी की सफलता से उत्साहित हैं। उनका कहना था कि बेटी ने उनके साथ पूरे परिवार और समाज का नाम रोशन कर दिया।