फतेहाबाद : बेटे होनहार थे, पिता सुरेंद्र के भी बड़े अरमान थे। उन्हें देखकर निहाल होते और उन पर जान छिड़कते थे। बड़े बेटे को एयरफोर्स में और छोटे को अध्यापक बनाने के सपने देखे थे। बेटों के साथ उनकी उम्मीद भी मर गई है। पहाड़ सरीखे इस दुख से सुरेंद्र टूट गए हैं। अब वे बेसुध हैं।

प्रतापपुरा निवासी सुरेंद्र शर्मा किसान हैं। सीमित आय है, लेकिन बच्चों की पढ़ाई पर खर्च में कभी कोताही नहीं की। बड़ा बेटा हरिमोहन(17 वर्ष) 12वीं कक्षा में पढ़ रहा था। हाईस्कूल में उसने 72 फीसद अंक हासिल किए थे। फतेहाबाद में मेधावी छात्र के रूप में उसका सम्मान भी हुआ था। सुरेंद्र हरिमोहन को एयरफोर्स में भेजना चाहते थे। वे उसकी सुविधाओं का विशेष ध्यान रखते थे। हर माह पांच किग्रा बादाम और किसमिस लेकर आते थे। हरिमोहन के घुड़सवारी के शौक को देख एक घोड़ी भी ले आए थे। दूध की कमी न हो इसके लिए दो गाय खरीद ली थीं। जुलाई में वह 18 वर्ष का हो रहा था। तभी उसे भर्ती देखने जाना था। सुबह वह दौड़ लगाने जाता था। बुधवार को रोज की तरह सुरेंद्र टकटकी लगाकर कमरे की ओर देख रहे थे। बेटा दौड़ने को निकलेगा। मगर, ऐसा नहीं हुआ। वह तो उनके घर के आंगन में हमेशा के लिए सोया हुआ था। सुरेंद्र ने बताया कि वे 15 वर्षीय बेटे अविनाश को अध्यापक बनाना चाहते थे। अनुराग (12वर्ष) सबसे छोटा था। कभी वे बेटों को अपने काम में नहीं लगाते थे। सेप्टिक टैंक के लिए गड्ढा खोदने में तीनों बेटों ने उनका साथ दिया। उन्हें क्या पता था कि यही गड्ढा उनका काल बनेगा। तीन बेटों की मौत के बाद गड्ढे को चारपाई से ढंक दिया गया है।

अब कौन कहेगा मम्मी

तीन बेटों की मां और सुरेंद्र की पत्नी राधा का हादसे के बाद बुरा हाल है। उनकी आंखों के आंसू सूख गए हैं। बस, एक ही धुन। अब कौन मुझे मम्मी कहेगा। कौन शरारत करेगा। सामने पड़े बेटों के शव को झिंझोड़कर कह रही थीं कि बेटों आवाज लगाओ, मम्मी से कुछ मांगों। बेटों की अर्थी उठी तो वे बेसुध हो गईं।

दम घुटने से हुई पांचों की मौत

पुलिस ने देर रात पांचों के शवों का पोस्टमार्टम कराया। एसपी पूर्वी के वेंकट अशोक ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण दम घुटना बताया गया है। जहरीली गैस से शरीर में आक्सीजन की कमी होने से पांचों की मौत हो गई।