- बिजली का बिल कम कराने और नौकरी का झांसा देकर फंसाया था जाल में

- सिकंदरा थाने में दर्ज हुआ था मुकदमा, आरोपित को गिरफ्तार कर भेजा जेल

आगरा: बिजली का बिल कम कराने और नौकरी लगवाने का झांसा देकर शातिर ने 12 गांव के लोगों को जाल में फंसा लिया था। मीटर री¨डग लेने वाले आरोपी ने खुद को जेई बताकर तीन वर्ष में 30-40 लोगों से करीब 50 लाख रुपये की ठगी कर ली। एक पीडि़त ने सिकंदरा थाने में मुकदमा दर्ज कराया। पुलिस ने बुधवार को उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।

बिजली के ठेकेदार का कर्मचारी है शातिर

भरतपुर के डींग निवासी राजकुमार सिकंदरा मंडी के सामने 33/31 केवी विद्युत उपकेंद्र के पास रह रहा था। इंस्पेक्टर सिकंदरा कमलेश सिंह ने बताया कि राजकुमार बिजली विभाग में कार्य कर रहे ठेकेदार का कर्मचारी था। इस कारण सब स्टेशन में आता था। जानकारी मिली है कि उसने सिकंदरा, अछनेरा और फरह के 12 गांव के 30-40 लोगों से ठगी की है।

छह माह से चल रहा फरार

पीडि़तों ने पुलिस को बताया कि राजकुमार कहता था कि बिजली बिल आधा हो जाएगा, कुछ रकम देनी होगी। उसकी रेलवे और बिजली विभाग में से¨टग अच्छी है। दो से तीन लाख रुपये में नौकरी लगवा देगा। लोग उसके झांसे में आ जाते थे। उसने रुपये लेने के बाद बिजली का बिल जमा नहीं कराया। किसी की नौकरी भी नहीं लगी। फोन करके रकम वापस मांगने पर टालमटोल करता था। लोग उसकी तलाश कर रहे थे।

थाने पहुंचे पीडि़त

अछनेरा के गांव कीठम निवासी सारिफ से राजकुमार ने वर्ष 2020 में रेलवे में नौकरी लगवाने के नाम पर दो लाख रुपये लिए थे। नौकरी नहीं लगने पर उन्होंने मुकदमा दर्ज कराया था। इसमें 50 लाख रुपये ठगी की बात लिखी गई है। आरोपी की गिरफ्तारी की जानकारी पर बड़ी संख्या में लोग बुधवार और गुरुवार को थाना सिकंदरा पहुंचे। उन्होंने भी आरोपी के खिलाफ लिखित शिकायत दीं। पुलिस पूर्व के मुकदमे में ही इन्हें शामिल करेगी। डौकी के कौलारा कलां में रहने वाली सारिका की बहन निशा से बिजली का बिल कम कराने के लिए 65 हजार रुपये लिए थे। उनका बिल एक लाख रुपये आया था। बिल ही जमा नहीं हुआ। डौकी निवासी सूरज से 65 हजार, कीठम निवासी विशनस्वरूप से 21300, श्रीकृष्ण शर्मा से 22 हजार, ओमप्रकाश से 60 हजार, रामकुमार से 53 हजार, उमेश से 15 हजार, अरसेना निवासी बद्री प्रसाद से 15 हजार और विमलादेवी से 20 हजार रुपये बिजली का बिल कम कराने के नाम पर लिए थे। इनके बिल 50 हजार से दो लाख रुपये तक थे। लिखा-पढ़ी में न फंसे, इसलिए रकम नकद लेता था।