आगरा(ब्यूरो)। हादसे के बाद आनन-फानन में 'जिम्मेदार' पहुंचे। हादसे के निशान मिटा दिए और 2 घंटे बाद ऐसा लगने लगा मानों यहां कुछ हुआ ही न हो। साहब? 6 'जिम्मेदारों' की गैरजिम्मेदारी ने 6 बेगुनाहों की जिंदगी निगल ली। जिनके परिवार पोस्टमार्टम हाउस के बाहर छाती पीटपीटकर रो रहे थे और बेहोश हो रहे थे।


रोंगटे खड़े कर दे, ऐसा हुआ हादसा
दिल्ली राजमार्ग-19 पर गुरुद्वारा गुरु का ताल के निकट शनिवार की दोपहर 3:35 बजे ट्रक की टक्कर से ऑटो रिक्शा में सवार 6 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। जिनमें तीन पुरुष, शिक्षिका समेत 2 महिलाएं और एक बच्चा शामिल है। हादसे की सूचना पर डीएम भानु चंद्र गोस्वामी और डीसीपी सूरज कुमार राय घटनास्थल पर पहुंचे और घायलों को अस्पताल भेजा। आरटीओ की प्रारंभिक जांच में निकलकर आया कि ऑटो, मनोज सिंह, निवासी दीप नगर के नाम से रजिस्टर्ड है जबकि ट्रक ट्रांसपोर्ट नगर, लुधियाना के योगेश्वर सिंह का है। घटनाक्रम के अनुसार ऑटो चालक मनोज भगवान टॉकीज से ऑटो में सवारियां भरकर सिकंदरा की ओर जा रहा था। गुरुद्वारा गुरु का ताल के कट पर ऑटो के आगे एक ट्रक चल रहा था, इसी बीच पीछे से आए तेज रफ्तार ट्रक ने ऑटो को टक्कर मार दी। जिससे ऑटो दोनों ट्रकों के बीच में फंस गया। हादसा इतना वीभत्स था कि ड्राइवर समेत ऑटो में सवार 6 सवारियों की सड़क पर कुचलकर मौत हो गई, जबकि 2 गंभीर घायल हैं।


जानलेवा2 हजार कदम
आगरा में नेशनल हाइवे 19 पर सिकंदरा स्मारक क्रॉसिंग से गुरुद्वारा गुरु का ताल क्रॉसिंग तक दो किमी की दूरी तक यह सड़क जानलेवा है। यहां आए दिन हादसे होते हैं्र, नेशनल हाइवे की इस सड़क पर दो यहां करीब 3 किमी की दूरी तक कोई सर्विस रोड नहीं है। शहर की एक तिहाई आबादी का इस दो किमी के 'खूनी हाइवे' से गुजरना रहता है.रोज हादसे हो रहे हैं और 'जिम्मेदारÓ भूल जा रहे हैं। लेकिन यह गलत बात है, कभी उन परिवारों से मिलें जिन्होंने अपना सबकुछ आपकी लापरवाही के चलते खो दिया। हादसे के उन 'जिम्मेदारोंÓ से हम आपको रूबरू कराते हैं, जो कभी इस दुर्घटना की जिम्मेदारी नहीं लेंगे।


समझें हादसे की वजह
हाइवे पर हुआ यह हादसा, हो सकता है लोगों की नजर में एक सड़क दुर्घटना भर हो। किंतु ऐसा नहीं है, इस हादसे को टाला भी जा सकता था। एनएच 19 पर सिकंदरा स्मारक और गुरुद्वारा गुरु का ताल दो बड़ी क्रॉसिंग हैैं। जिन पर फ्लाईओवर नहीं बना है, इसके अलावा इसी 2 किमी की दूरी तक हाइवे के साथ सर्विस रोड नहीं है। ऐसे में देश के अलग-अलग हिस्सों से आने वाला हैवी ट्रैफिक शहर के स्लो ट्रैफिक में मर्ज हो रहा है। जिसमें साइकिल से लेकर कार तक शामिल है। इस हाइवे पर पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर रोकटोक नहीं है। कामायनी हॉस्पिटल के सामने और कैलाश मोड़ पर एनएचएआई द्वारा कट को बंद करके भी हादसों में बढ़ोत्तरी का काम ही किया गया है।

जानिए, कौन हैं हादसे के '6 जिम्मेदार'
पब्लिक रिप्रजेंटेटिव
घटनास्थल सांसद एवं केंद्र सरकार के राज्यमंत्री प्रो। एसपी सिंह बघेल के संसदीय क्षेत्र में है। एक अन्य फतेहपुर सीकरी के सांसद राजकुमार चाहर का संसदीय क्षेत्र भी सटा हुआ ही है। जनपद की सभी 9 विधानसभा पर प्रदेश की भाजपा सरकार के विधायक काबिज हैं, दो विधायक तो कैबिनेट का हिस्सा भी हैं। आगरा की मेयर हेमलता दिवाकर कुशवाह भी सत्ताधारी दल भाजपा से हैं। बाद इसके, इस समस्या का लोकल जनप्रतिनिधियों द्वारा समाधान नहीं कराया गया, कोई प्रयास किया है तो इसकी हमें जानकारी नहीं। दर्दनाक हादसा शहर की मेयर के घर के बाहर हुआ है।
एडमिनिस्ट्रेशन
लोकल एडमिनिस्ट्रेशन को चाहिए कि वो जनता की जान की हिफाजत का हवाला देकर उन समस्त जिम्मेदार विभागों को एकजुट करे। योजना बनाए और उसके समयबद्ध तरीके से अमली जामा पहनाए। योजनाएं तो कई बार बनीं किंतु परवान नहीं चढ़ीं। क्यों हादसे हो रहे हैं? और इन्हें कैसे रोका जा सकता है? यह सवाल तो एडमिनिस्ट्रेशन कर ही सकता है। स्थायी न ही सही, अस्थायी समाधान निकाला जा सकता है। क्यों हाइवे पर ट्रक और ऑटो के लिए अलग-अलग रास्ता नहीं है? यह तो एडमिनिस्ट्रेशन सुनिश्चित करा सकता है।
पुलिस कमिश्नरेट
भइया? हाइवे पर खड़े होकर बाहर के नंबर की गाड़ी को रोक देना, उसे पेड़ की छांव तक ले जाना ही आपका काम नहीं है। ट्रैफिक कैसे सुचारु रहे, जरा इसपर भी ध्यान दिया जाए। कम से कम हाइवे पर इन दो किमी के पैच में ट्रेंड ट्रैफिक पुलिसकर्मियों की तैनाती की जाए। देखने के आया है कि ट्रैफिक पुलिस रुकने के लिए इशारा कर रही है और ट्रक बेधड़क ट्रैफिक में घुसता चला आ रहा है। इस हादसे की वजह भी यही है, गुरुद्वारा गुरु के ताल पर ट्रैफिक का संचालन ठीक से नहीं किया गया।
एनएचएआई
नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया, कम से कम आप ही कुछ जिम्मेदारी समझ लिए होते। आपके पास तो डाटा भी होगा कि माह में या एक साल में यहां कितने लोगों की जान जा रही है? या कितने लोग हादसे का शिकार हो रहे हैं? हाइवे क्षतिग्रस्त है, किनारों पर नाला खाई बन चुका है। होल ऐेसे हैं जिसमें कार समा जाए। क्यों नहीं इन चौराहों को ब्लैक स्पॉट घोषित करके सुरक्षा के कड़े इंतजाम आपके द्वारा किए जाने चाहिए?
नेशनल मॉन्यूमेंट अथॉरिटी
आप दिल्ली में बैठे हैं, कसूर आपका नहीं है। क्योंकि आप तक तो इन हताहतों के परिजनों की चीख भी नहीं पहुंच पाएगी। अगर ऐसा नहीं होता तो आगरा मेट्रो को आपने एलीवेटेड ट्रैक बनाने की मंजूरी विश्वदाय स्मारक सिकंदरा के समीप दे दी जबकि हाइवे पर एलीवेटेड की मांग लंबे समय से चली आ रही है। पुरातत्व स्मारक अधिनियम का हवाला देना अच्छी बात है किंतु आप समस्या के समाधान पर भी गौर करते तो ठीक था। वैसे जिस तरह से देश की आबादी बढ़ रही है, उसे देखते हुए कब तक इन चौराहों के लिए फ्लाईओवर या एलीवेटेड को मंजूरी नहीं देंगे। हादसे तो हो ही रहे हैं।
नगर निगम/आगरा विकास प्राधिकरण
हादसा स्थल के सामने सर्विस रोड पर एक नाला नगर निगम बना रहा है। मेयर के मकान के सामने यह नाला एक महीने से बन रहा है। जल्दी बना लेते तो शायद यह ऑटो सर्विस रोड से निकल रहा होता। खैर, आपको यहां से टैक्स नहीं मिल रहा है तो समाधान की जिम्मेदारी आपकी क्यों होगी? नगरायुक्त अपने घर के सामने से हाइवे पर जलभराव का समाधान नहीं निकाल सके। हां, आगरा विकास प्राधिकरण जरूर सीधी तरह से जिम्मेदार है। हाइवे के दोनों ओर भगवान टॉकीज से लेकर सिकंदरा तक सर्विस रोड अतिक्रमणकारियों ने कब्जा ली। भगवान टॉकीज पर तो एक पूर्व माननीय फुटपाथ कब्जा कर बैठे हुए हैं। किंतु आप इन अवैध निर्माणों पर कार्रवाई नहीं करेंगे।
आप और हम
और अंत मेंसबसे बड़ी जिम्मेदारी आपकी और हमारी है। इस दो किमी के पैच में 'रांग साइडÓ पर कोई कंट्रोल नहीं है। कोई क्यों करे, जान आपकी है। फिक्र आपको करनी चाहिए। कम से कम सिकंदरा क्रॉसिंग से लेकर गुरुद्वारा गुरु के ताल तक इस जानलेवा हाइवे पर बेहद सर्तकता से और नियमों का पालन करते हुए गुजरें। ऑटो चालक, ऑटो सड़क पर न रोंके, भारी वाहनों के बीच ऑटो को न घुसाएं। दोपहिया और चार पहिया वाहन रांग साइड न चलें। ऐसा करके आप अपनी और अपने परिजनों की जान सुरक्षित कर सकते हैं।