आगरा(ब्यूरो)। शहर में हर पांचवें दिन एक मासूम को शिकार बनाया जा रहा है। ये मासूम आपके घर का, पड़ोसी का बच्चा, कॉलोनी में खेलने वाला नौनिहाल या अन्य कोई परिचित बच्चा हो सकता है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2021 में आगरा में 79 बच्चों से आपराधिक घटना हुईं। इसमें अपहरण से लेकर सेक्सुअल क्राइम तक के मामले दर्ज हुए।


घर के बाहर खेल रहा था
घटना मंगलवार शाम साढ़े पांच बजे की है। शाहगंज के आजमपाड़ा स्थित सत्यम नगर निवासी जय प्रकाश की बस्ती में किराना की दुकान है। वह मंगलवार की दोपहर अपनी मां कांता देवी के साथ अपनी ननिहाल दौरेठा नंबर दो आए थे। पत्नी ममता और पुत्र ढाई वर्षीय मयंक व चार वर्ष का निशांत भी साथ थे। कांता देवी दरवाजे पर बैठी थीं। इसी दौरान मयंक घर से निकलकर सामने खेलने लगा। कुछ देर बाद दादी अंदर चली आईं। शाम करीब छह बजे दोनों ने मयंक को घर में न पाकर उसकी तलाश शुरू की लेकिन उसका पता नहीं चला। पिता ने आसपास के सीसीटीवी कैमरे देखना शुरू किए। फुटेज में एक युवक मयंक को गोद में लेकर जाते हुए दिखाई दिया। इसके बाद परिजन ने दौरेठा से पृथ्वीनाथ फाटक तक लगे सारे सीसीटीवी कैमरे देखने शुरू किए। इसमें एक जगह मासूम के रोने पर संदिग्ध युवक उसे दुकान से चॉकलेट दिलाता दिखाई दिया। साथ ही फाटक की ओर जाता दिखा।

सीसीटीवी फुटेज से नहीं मिल रहा चेहरा
परिवार ने देर रात शाहगंज थाने पहुंचकर पूरी घटना की जानकारी दी। साथ ही फुटेज के आधार पर एक संदिग्ध को पकड़कर पुलिस को सौंप दिया। खेरिया मोड़ का रहने वाला संदिग्ध नशे की हालत में था। पुलिस ने फुटैज से उसका मिलान कराया तो संदिग्ध का चेहरा नहीं मिल रहा था। इसके बाद पुलिस ने पृथ्वीनाथ फाटक से जाने वाले सभी मार्गों पर लगे कैमरे जांचे। चौकी से भोगीपुरा की ओर आने वाले मार्ग पर संदिग्ध ई-रिक्शा में मासूम को लेकर जाता दिखाई दिया।

दूसरे शहर में भागने की आशंका
मासूम के अपहरणकर्ता की सीसीटीवी फुटेज पुलिस और परिजन को मिली है। इसमें उसका मार्ग कैंट रेलवे स्टेशन की ओर मिला है। इससे आशंका है कि अपहरणकर्ता किसी दूसरे शहर में तो नहीं भाग गया। पुलिस अब कैंट रेलवे स्टेशन और ईदगाह बस स्टैंड के सीसीटीवी कैमरों को खंगाल रही है।


मासूम की बरामदगी के लिए सर्विलांस समेत कई टीम लगाई गई हैं। फुटैज के आधार पर संदिग्ध की पहचान और मासूम की बरामदगी के प्रयास किए जा रहे हैं।
प्रभाकर चौधरी, एसएसपी


बच्चों के सॉफ्ट टारगेट बनने की वजह
- विरोध नहीं कर पाते
- आसानी से बहकावे में आ जाते हैं
- बच्चों को आसानी से काबू किया जा सकता है
- अपने साथ हुई घटना को सही से नहीं बता पाते
- अंजान व्यक्ति बच्चे को ले जा रहा है तो आसानी से शक नहीं होता


अपने बच्चे को किस तरह महफूज रखें
- बच्चे को घर के बाहर अकेला न छोड़ें
- अंजान व्यक्ति से घुलने-मिलने की आदत छुड़वाएं
- बच्चों के साथ संपर्क में रहने वाले लोगों के बिहेवियर पर भी नजर रखें
- अगर बच्चे के बिहेवियर में कोई अचानक से बदलाव हुआ है तो अलर्ट हो जाएं
- बच्चे को बेवजह न डांटें, जिससे वह अपनी परेशानी खुलकर बता सके


गैंग सक्रिय तो नहीं!
आगरा। शहर में बच्चों को शिकार बनाने वाला कोई गैंग सक्रिय है! एनसीआरबी के आंकड़े, चाइल्ड राइट एक्टिविस्ट की चिंता और पिछले कुछ दिनों में शहर में हुईं घटनाएं, इसकी तस्दीक करती दिख रहीं हैं। चाइल्ड राइट एक्टिविस्ट और संस्था महफू ज के को-ऑर्डिनेटर नरेश पारस ने बताया कि ये पहली घटना नहीं है जब किसी बच्चे को उठाकर ले जाया गया हो। इससे भिक्षावृत्ति गैंग के सक्रिय होने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता।

शहर में मंगवाई गई थी भीख
चाइल्ड राइट एक्टिविस्ट ने बताया कि पिछले दिनों एक 13 वर्षीय लड़की को रामबाग में एक गैंग ने शिकार बनाया था। उसे भिक्षावृत्ति के कार्य में लगा दिया गया। बाद में दिल्ली ले जाया गया, जहां उसे देह व्यापार में धकेलने की कोशिश की गई। दिल्ली में मौका पाकर लड़की शातिरों के चंगुल से भागकर पुलिस के पास पहुंची। यहां उसे चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के समक्ष पेश किया गया। शहर में परिवार को ट्रेस किया गया। बाद में किशोरी को दिल्ली से रेस्क्यू कराया गया। गत वर्षों में फुटपाथ पर सो रही एक बच्ची आगरा कॉलेज ग्राउंड में मृत मिली थी। पुलिस ने आरोपी युवक को अरेस्ट किया था।