शहर की छवि हो रही धूमिल
दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की ओर से धूल में धरोहरÓ सीरीज के तहत ऑनलाइन सर्वे कराया गया। गूगल फॉर्म के जरिए कराए गए सर्वे में 589 लोगों ने पार्टिसिपेट किया। इसमें अधिकतर लोगों का मानना था कि अतिक्रमण और विभाग की लापरवाही के चलते सिर्फ धरोहरों की ही नहीं, बल्कि शहर की छवि भी धूमिल हो रही है।

शहर में धरोहरों की स्थिति को लेकर दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की ओर से कराया गया ऑनलाइन सर्वे।

1. ऐतिहासिक धरोहरों के आसपास अतिक्रमण की वजह से क्या शहर की छवि धूमिल हो रही है?
- हां 68 परसेंट
- नहीं 32 परसेंट

2. क्या प्रचार-प्रसार की कमी के चलते शहर के अधिकतर स्मारकों से टूरिस्ट्स रूबरू नहीं हो पाते हैं?
- हां 78 परसेंट
- नहीं 22 परसेंट

3. क्या स्मारकों में टूरिस्ट्स के लिए उचित व्यवस्था हैं?
- हां 35 परसेंट
- नहीं 65 परसेंट

4. क्या शहर में स्मारकों का एएसआई की ओर से प्रॉपर संरक्षण कार्य किया जा रहा है?
- हां 52 परसेंट
- नहीं 48 परसेंट

5. क्या शहरवासी अपनी विरासत धरोहरों को लेकर सजग हैं?
- हां 69 परसेंट
- नहीं 31 परसेंट


-इन स्मारकों पर चलाया गया अभियान

-सिकंदरा टॉम्ब
-मरियम टॉम्ब
-सलावत खां का मकबरा
-ढाकरी का महल
-ताल फिरोज खां
-रामबाग

-ऐतिहासिक धरोहरों की देखरेख में लापरवाही हो रही है। शहर में बहुत से ऐतिहासिक स्मारक हैं। इन स्मारकों की देखरेख ठीक से की जाए तो शहर के इतिहास से अधिक से अधिक पर्यटक रूबरू हो पाएंगे
-काजल गुप्ता।


आगरा में पर्यटक आते हैं और चले जाते हैं। अगर इन सभी ऐतिहासिक स्मारकों का प्रचार प्रसार ठीक से किया जाए तो शहर के पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। इसके साथ ही पर्यटकों को और अधिक स्मारक देखने को मिलेंगे।
-आशीष


-शहर में पर्यटक सिर्फ मुख्य स्मारक ताज महल फतेहपुर सीकरी और लालकिला देख कर ही लौट जाते हैं। शहर में कोने- कोने में इतिहास मौजूद है। अगर इनका ठीक से प्रचार प्रसार किया जाए तो शहर में रोजगार के अवसर भी बढ़ेगें।
-हिमांशु दीक्षित।

आगरा आ कर सिर्फ बड़े स्मारक ही देखें हालांकि कई अलग माध्यमों से आगरा शहर के इतिहास के बारे में पता चला कि ये शहर कितना ऐतिहासिक है
-विपिन।