चाय बनाते समय हुआ हादसा
घटना शुक्रवार लगभग सुबह 10:30 बजे की है। शास्त्रीपुरम में पुराने पावर हाउस के पास एडीए के काशीराम आवास योजना के तहत चार मंजिला फ्लैट बने हुए हैं। ब्लाक एफ-16 की दूसरी मंजिल पर स्थित फ्लैट संख्या 31 में जूता कारखाना में काम करने वाले दिलीप कुमार अपनी पत्नी बिमला देवी, बच्चों प्रियंका, स्नेहा, विवेक और बड़े भाई मुकेश के साथ रहते हैं। शुक्रवार सुबह दिलीप उनका पुत्र विवेक काम से बाहर गए थे। पत्नी दोनों बेटी और भाई फ्लैट पर थे.विवेक ने बताया मां बिमला देवी चाय बनाने गई थीं। उन्होंने गैस चूल्हे को जलाने के लिए जैसे ही माचिस जलाई, लपटों के साथ जोरदार धमाका हुआ। उनके बाहर के कमरों, रसोई और बाथरूम की दीवार ढह गईं। दिलीप के सामने रहने वाले राजेश और रामवीर के फ्लैट के छज्जे गिर गए। मलबे में दबकर बाइक क्षतिग्रस्त हो गई। दिलीप के फ्लैट के ऊपर तृतीय तल पर रहने वाले लखन, प्रथम तल पर रहने वाले राजेश समेत अन्य लोग सो रहे थे। लखन ने बताया कि जबरदस्त धमाके से पूरा फ्लैट हिल गया। उन समेत अन्य लोग सोते से उठकर खुले में भागे। सीढ़ी से नीचे उतरते समय दिलीप के फ्लैट में दरवाजे से झांका तो वहां धुंआ और गुबार उठ रहा था। अंदर चीख-पुकार मची थी। बाहर आने के बाद उन्होंने कुछ युवकों की मदद से बिमला देवी, प्रियंका, स्नेहा और मुकेश को 15 मिनट में बाहर निकाला। उन्होंने 108 पर फोन करके एंबुलेंस को बुला घायलों को एसएन भिजवाया। पुलिस और अग्निशमन विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंच गए। उन्होंने आठ ब्लाक एफ-16 के आठ फ्लैट को सुरक्षा की ²ष्टि से खाली करा लिया।

कमरे में गैस का दबाव बनने से हुआ धमाका
दिलीप के बेटे ने विवेक ने पुलिस को बताया कि वह गुरुवार को एजेंसी से गैस सिलेंडर लेकर आए थे। आशंका है कि सिलेंडर से गैस लीकेज हो रही होगी। इससे घर में गैस का दबाव बन गया होगा। अग्निशमन विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंच गए। उन्हें रसोई में रखे तीन सिलेंडर सुरक्षित मिले। आशंका है कि लीकेज से दबाव बंद कमरों में गैस का दबाव बनने से धमाका हुआ। अग्निशमन अधिकारी अमर पाल ङ्क्षसह ने बताया विस्फोट के कारण की जांच की जा रही है।

बाल-बाल बची कुसुम
दिलीप के सामने वाले ब्लाक में द्वितीय तल पर रहने वाली कुसुम पत्नी रामवीर ने बताया कि वह बाल-बाल बचीं। धमाका होने से एक मिनट पहले वह छज्जे में झाडू लगा रही थीं। इसी दौरान बराबर में रहने वाली महिला ने उन्हें आवाज देकर किसी काम से अंदर बुलाया। उनके कमरे में आते ही धमाका हो गया, एक मिनट भी देर होती तो वह छज्जे के मलबे के साथ नीचे आ जातीं। नीचे ही परचून की दुकान है। वहां भी सुबह से ही बच्चों और महिलाओं की भीड़ रहती है। शुक्रवार को दुकान बंद होने के चलते वहां कोई नहीं था।

रिश्तेदारों के यहां काटी रात
अग्निशमन विभाग ने सुरक्षा की ²ष्टि से लखन, रेनू, आरिफ, शिव कुमार के फ्लैट खाली करा लिए थे। उन्हें वहां नहीं रहने को कहा था। कड़ाके की सर्दी में इन परिवारों को रिश्तदारों के यहां रात काटनी पड़ी। लखन आदि का कहना था कि विकास प्राधिकरण की टीम द्वारा निरीक्षण के बाद मरम्मत कराने पर ही लोग अब अपने फ्लैट में रह सकेंगे।