डायबिटीज के मरीज गर्मियों में रखें ध्यान
मई का महीना चल रहा है। इस मौसम में गर्मी ज्यादा बढऩे लगती हैं। ज्यादा गर्मी के चलते लोगों को हीट स्ट्रोक और डिहाइड्रेशन का खतरा बढ़ जाता है। हेल्थ एक्सपर्ट डॉ। मुकेश गोयल के अनुसार गर्मियों में खासकर डायबिटीज के मरीजों को गर्मियों में अपना खास ध्यान रखना चाहिए। ज्यादा गर्मी के चलते डायबिटीज के मरीजों का ब्लड शुगर ऊपर-नीचे हो सकता है। इससे डिहाइड्रेशन की संभावना अधिक बढ़ जाती है।


सामान्य की तुलना में अधिक डिहाइडे्रट
एसएन मेडिकल कॉलेज की डॉ। प्रिया का कहना है कि गर्मियों के मौसम में डायबिटीज के रोगी हीट स्ट्रोक और डिहाइड्रेशन के कारण जल्दी प्रभावित हो सकते हैं। ज्यादा गर्मी और डिहाइड्रेशन ब्लड शुगर में उतार-चढ़ाव का कारण बनती है। डॉ। प्रिया कहती हैं कि सामान्य लोगों की तुलना में डायबिटीज के रोगी गर्मियों के मौसम में तेजी से डिहाइड्रेट हो जाते हैं।


तेजी से बढ़ रहा ब्लड शुगर लेवल
ऐसे मौसम में डायबिटीज का प्रबंधन करना बहुत जरूरी है। ब्लड शुगर में उतार-चढ़ाव से बचाव के लिए डिहाइड्रेशन से बचना आवश्यक है क्योंकि शरीर में पानी का स्तर कम हो जाने से ब्लड शुगर लेवल तेजी से बढ़ता है। डायबिटीज के मरीजों को कम से कम दिनभर में दो से तीन लीटर पानी जरूर पिएं। इसके अलावा, नियमित रूप से शुगर लेवल मॉनिटर करें और उसे समय-समय पर चेक करते रहें।

कॉफी और शराब जैसे पेय पदार्थों से दूरी
गर्मियों के दिनों में शरीर इंसुलिन का इस्तेमाल अलग-अलग तरह से करता है। इसलिए ब्लड ग्लूकोज लेवल चेक करते रहें और डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही इंसुलिन की मात्रा लें। हीट स्ट्रोक से बचने के डायबिटीज के मरीज , कॉफी और शराब जैसे पेय पदार्थों से दूरी बनाकर रखें क्योंकि ये शरीर में डिहाइड्रेशन को बढ़ाते हैं।

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बच्चों को फीवर या इंफेक्शन
एक वयस्क के मुकाबले बच्चे का शरीर बदलते मौसम को एडॉप्ट करने और भीषण गर्मी में सामान्य तापमान बनाए रखने में कम सक्षम होता है.
यही कारण है कि बच्चों को लू जल्दी लगती है। हीट वेब की चपेट में आने से उन्हें बुखार, डायरिया और डिहाइड्रेशन की समस्या हो सकती है। उन्हें बुखार आने या इंफेक्शन होने का भी डर रहता है। कई बार डिहाइड्रेशन गंभीर न होने पर भी पानी की कमी से बच्चे को कमजोरी, चिड़चिड़ाहट या पढ़ाई पर फोकस करने में परेशानी हो सकती है.

पेरेंट्स समझें और बच्चों को हीट वेब के खतरे से करें आगाह
-जितना हो सके बच्चों को धूप से दूर रखें। दोपहर के समय बच्चों को बाहर न निकलने दें।
-खेलकूद के लिए सुबह और शाम का समय निर्धारित करें। बच्चे को कोल्ड ड्रिंक्स की बजाय नींबू पानी.
-ओआरएस का घोल या मौसमी फलों का ताजा जूस पिलाएं। ढीले और हल्के कपड़े पहनाएं,
-अगर बच्चा स्कूल जाता है तो उसके साथ पानी की बोतल जरूर रखें।
-बच्चे को टिफिन में हल्का खाना दें, पराठे, सैंडविच या स्पाइसी फूड देने से बचें।
-सनस्क्रीन लगाकर ही बच्चे को स्कूल के लिए भेजें। तुरंत ठंडे एसी कमरे में न बैठने दें।
-फ्रि ज के ठंडे पानी की जगह बच्चे को मटके का ठंडा पानी पिलाएं।
-बच्चे में हीट वेब का कोई भी लक्षण दिखे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।


हीटवेब से बुजुर्गों को समस्या
हीट स्ट्रोक
हीट एडिमा (टखनों और हाथों में सूजन)
मांसपेशियों में ऐंठन
थकावट, कमजोरी
चक्कर आना, सिर घूमना
अगर स्थिति गंभीर हो जाए तो व्यक्ति कोमा में भी जा सकता है.


एक वयस्क के मुकाबले बच्चे और बुजुर्ग का शरीर बदलते मौसम को एडॉप्ट करने और गर्मी में सामान्य तापमान बनाए रखने में कम सक्षम होता है। यही कारण है कि बच्चे और बुजुर्गों को लू जल्दी लगती है। हीट वेब की चपेट में आने से उन्हें बुखार, डायरिया और डिहाइड्रेशन की समस्या हो सकती है। बच्चों को बुखार आने या इंफेक्शन होने का भी डर रहता है। ऐसे में अलर्ट रहने की जरुरत है।
अरुण श्रीवास्तव, सीएमओ आगरा



अगर आप कहीं बाहर जा रहे हैं तो समय पर दवाइयां लें। शरीर को ठंडा बनाए रखने के लिए ढीले-ढाले सूती कपड़े ही पहनें। बाहर जाते वक्त पानी की बोतल साथ रखें और सीधे धूप के संपर्क में आने से बचें।
डॉ। राजेश माथुर



गर्मी के मौसम में बॉडी में पानी की कमी होती है, ऐसे में खानपान का ध्यान रखने की जरुरत है। खासतौर पर डायबिटीज और ब्लड प्रेशर के मरीजों को, तरल पदार्थ लेते रहें, बाहर का खाना हो सके तो अवोयड करें।
सुरभि उपाध्याय, डायटीशियन