इस अभियान के तहत दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम शाहगंज, राजमंडी, सदर बाजार, सिंधी मार्केट, बेलनगंज, फ्रीगंज, बालूगंज, सुभाष बाजार, न्यू आगरा, फब्बारा मार्केट, नाई की मंडी, लोहामंडी की मार्केट पहुंचे। जहां टीम ने देखा कि एक-एक छोटे से छोटे मकान पर तीन-तीन दुकानें बनीं हुई हैं। पतली-पतली गलियों में मल्टीस्टोरीज बिल्डिंग बना दीं गईं है। गलियां इतनी पतली हैं कि यहां फायर ब्रिगेड को छोड़ो बाइक भी पहुंचना मुश्किल है। कुछ जगहों पर तो यह हालात हैं कि दो लोग एक साथ बराबर नहीं चल सकते हैं। दिन के उजाले में भी यहां हैवी वाट के बल्व जलाने पड़ते हैं।

दुकानदार नहीं हैं अवेयर
इन बाजारों में आग से निपटने के साधनों को छोड़ दीजिए। यहां के दुकानदार इतना भी अवेयर नहीं है कि अगर कोई छोटी सी आग की घटना हो गई तो उस पर उन्हें काबू कैसे पाना है ताकि वह ज्यादा न फैले।


सघन बाजरों में आग से निपटने के लिए इंतजाम होने चाहिए। यहां सिलेंडर लगाए जाने चाहिए। ताकि घटना कोई भयावह रूप न लेले।
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प्रशासन को आग से कैसे बचा जाए। इसको लेकर अभियान चलाना चाहिए। ताकि व्यापारियों और कर्मचारियों को आग बुझाने के बारे में थोड़ी बहुत जानकारी हो।
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जिस तरह अग्निशमन विभाग द्वारा स्कूलों और सोसाइटीज में अभियान चलाया जाता है। उसी पर अमल करते हुए कम अंतराल से बाजारों में इस अभियान को कंटन्यू रखना चाहिए।
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अधिकतर पुराने बाजारों में यही हालात हैं। तपती दोपहरी में भी यहां धूप की एक किरण तक भी नहीं पहुंचती है। दुकानदारों को दिन में भी लाइट जलाकर रखनी पड़ती है।
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1- क्या शहर के प्रमुख सघन बाजारों में आग से सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम हैं?
हां-
नहीं-
2- क्या आपको लगता है कि दुकानदार आग से बचाव के प्रति अवेयर हैं?
हां -
नहीं -
3- क्या आपको लगता है कि सरकार द्वारा इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है?
हां
नहीं
4- बचाव के उपाय के प्रति जागरूकता से कितना प्रभाव पड़ सकता है?
हां -
नहीं-
5- आग लगने में बचाव के लिए रियल टाइम पर फायर बिग्रेड पहुंच रही है?
हां -
नहीं-
कुछ ही क्षेत्रों में -