भीषण गर्मी में भी नहीं बसों में शीशे
जिले ईदगाह डिपो, भदाबर डिपो, फाउंडरी नगर डिपो, बुधबिहार डिपो से बीस-बीस बसें संचालित हो रही हैं। इन बसों में लगभग आधा दर्जन बसें नई हैं लेकिन बाकी बसों की हालात रामभरोसे ही चल रही है। हालत इतनी बुरी है कि कई बसों में शीशे तक नहीं है। 45 से 48 डिग्री के तापमान में बिना शीशे की बस में यात्रा करने पर यात्रियों की हालत खराब हो जा रही है। बावजूद परिवहन विभाग को सिर्फ अपने मुनाफे की फिक्र है। लेकिन बसों की स्थिति को सुधारने पर कोई फोकस नहीं है। इससे रोडवेज बसों में सफर करने वाली सवारियों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है।


लू के थपेड़ों से बचने को गमछे का सहारा
डिपो से दूसरे जिलों की यात्रा करने वाली सवारियों की स्थिति और भी खराब हो जा रही है। डिपो से ठंडा पानी लेकर चली सवारियों का पानी गन्तव्य तक जाते-जाते पूरी तरह से गर्म हो जाता है। और बस का स्टॉपेज एक से दो घंटे रहता है, ऐसे में लू के थपेड़ों से बचने के लिए सवारी गमछे का सहारा लेकर अपना काम चला रहे हैं। इस बात से सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता कि सवारियों को इस भीषण गर्मी में पेयजल व लू से कितनी समस्या उठानी पड़ रही है। इस पर रोडवेज अधिकारियों का कहना है कि इसके लिए प्रयास जारी है। जल्द ही टूटे बसों की मरम्मत करा दी जाएगी।


कब होनी चाहिए बसों की मरम्मत
परिवहन निगम के मानक के अनुसार दस साल की अवधि पूरी होने पर बसों की अंदर और बाहर से पूरी मरम्मत होनी चाहिए। तभी यह सड़कों पर चलने योग्य होती हैं। इसके अलावा जिन बसों ने 15 लाख किमी की दूरी तय कर ली है, उन्हें भी अंदर और बाहर से मरम्मत की जरुरत है। इसके बाद ही यह बसें अगला तीन लाख किमी की दूरी तय कर सकती है।


केवल सुबह ही मिलती हैं सवारियां
आजकल डिपो की बसों को दिन में सवारियों के मिलले के लाले पड़े हैं। यात्री प्राइवेट रोडवेज डिपो के बजाय प्राइवेट टैक्सी स्टैंड की ओर रुख कर रहे हैं। वहां आधुनिक सुविधाओं से लैस अच्छी स्पीड वाली छोटी गाडिय़ां या लग्जरी बस मिल रही है। ऐसे में प्राइवेट टैक्सी वाहन सवारियों की पसंद है। वहीं रोडवेज की बसों में केवल सुबह-शाम सवारियां मिल रही हैं। सुबह इस बस से सफर ठीक रहता है। दिन में तो गर्मी में हालत खराब हो जाती है। वहीं तेज धूप में डिपो की बस प्राइवेट गाडिय़ों की अपेक्षा बहुत धीमी गति से चलती है। यात्रियों की हालत खराब हो जाती है।


रोडवेज बसों में ये हैं बड़े हादसे
- आगरा-जयपुर हाईवे पर रोडवेज बस मेें सवार 5 सवारियों की मौत
-मथुरा से नूंह जा रही बस में आग, 10 लोगों की जलकर मौत
-फतेहाबाद रोड पर रोडवेज बस के ब्रेक फेल, तीन सवारी घायल
-जगनेर में बस पलटने से दो सवारियों की मौत

प्रमुख समस्याएं
- वर्कशॉप की खराब स्थिति, नहीं टूल्स
-दस साल से ऊपर की बसों का संचालन
-बदहाल बसों में यात्रा करना यात्रियों की मजबूरी
-खराब सड़कों की वजह से एसी बसों नहीं हो पा रहा
-गाजियाबाद डिपो की बस के ब्रेक फेल, चालक की मौत


मरम्मत के लिए बसों का मानक समय-समय पर चेंज होता है। यह मुख्यालय निर्धारित करता है। स्थानीय स्तर पर किलोमीटर के हिसाब से मरम्मत कराकर बसें निकाली जा रही हैं। रोजाना बसों की फिटनेस पर ध्यान दिया जाता है।
- आरएस चौधरी, एआरएम,फोर्ट डिपो



रोडवेज बसों में सफर करने से डर लगता है, इसलिए अधिक रुपए देकर प्राइवेट टैक्सी का ही इस्तेमाल करते हैं। अधिकतर बसें पुरानी हैं। सीटें भी बैठने लायक नहीं हैं।
मानवेन्द्र, सवारी


सरकार को सभी बसों में अब आधुनिक सुविधा देनी चाहिए, हर व्यक्ति चाहता है कि उसको सफर में कोई समस्या न हो। लोग सुविधा के लिए पैसा खर्च करने को तैयार हैं।
मोनू, सवारी