क्वालिटी इनवेस्टिगेशन के साथ होगी टाइम लिमिट
पुलिस कमिश्नरेट आगरा में साक्ष्य आधारित विवेचना प्रणाली की शुरूआत पुलिस कमिश्नर जे। रविन्दर गौड ने की। क्राइम इनवेस्टिगेशन को लेकर बड़ा बदलाव किया गया है। नए इनवेस्टिगेशन का उद्देश्य फोरेंसिक साक्ष्य, पारदर्शिता और निष्पक्ष बनाना है। इसी क्रम में एत्मादपुर सर्किल में एक वर्कशॉप का आयोजन किया, जिसमें वारदात के बाद घटनास्थल से जुटाए साक्ष्य, पुलिस इनवेस्टिगेशन अधिकारियों के साथ शेयर किए गए। वर्कशॉप में केस से जुड़े मजबूत साक्ष्य, इनवेस्टिगेशन की टाइम लिमिट और क्वालिटी पर अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की गई।

ऐसी घटनाएं जिनके सुराग आज तक नहीं लगे
क्रिमिनल्स ने शहर में कुछ ऐसी संगीन वारदातों को अंजाम दिया है, जिनके साक्ष्य आज तक पुलिस के पास नहीं है। साक्ष्य के आधार पर संगीन वारदात को अंजाम देने वाले क्रिमिनल आज तक पुलिस की पकड़ से दूर बेखौफ घूम रहे हैं। खंदारी स्थित ग्रोवर दंपति के आज भी पुलिस की फाइलों में पेंडिंग है। कमला नगर मेें बिट्टू अपहरण के मामले में पुलिस के खाली हाथ हैं। यानी घटना स्थल पर पुलिस को अपराधी का कोई साक्ष्य नहीं मिला। इससे पुलिस की जांच आगे नहीं बढ़ पा रही और अपराधी पकड़ से दूर हैं। ऐसे अपराधियों को पकडऩे के लिए पुलिस ने इस बार मजबूत प्लानिंग की है, जिसमें विवेचना, साक्ष्य और क्रिमिनल्स के बारे में जानकारी करना बहुत मुश्किल नहीं होगा। इनमें पतले, कम मोटे और अधिक मोटे हर आकार के क्रिमिनल्स के बारे में डिटेल आसानी से हासिल की जा सकेगी।

लोगों को पतले, मोटे समेत तीन भागों में बांटा
डब्ल्यूएचओ ने बॉडी मास्क इंडेक्स (बीएमआई) के आधार पर भारत के लोगों को तीन भागों में विभाजित किया है, जिसमें सामान्य व्यक्ति का बीएमआई 18.5 से 22.9, मोटापे की ओर बढ़ रहे व्यक्ति का बीएमआई 23 से 27.5 जबकि मोटे व्यक्ति का बीएमआई 27 से ऊपर रखा गया। बीएमआई व्यक्ति की लंबाई व वजन के अनुसार निकाली जाती है। इसे आसान भाषा में समझा जा सकता है कि सामान्य व्यक्ति के पैर का भार हल्का होगा जबकि मोटे व्यक्ति के पैर का भार अधिक होगा। घटना स्थल पर मिले फुटप्रिंट को लेकर फोरेंसिक जांच बता देगी। इन तीनों श्रेणियों में से यह किस श्रेणी के व्यक्ति का फुटप्रिंट है। इसके बाद पुलिस संदिग्धों से उसका मिलान कर क्रिमिनल्स तक पहुंच जाएगी।

फुटप्रिंट को लेकर वैज्ञानिकों के तर्क
मारपीट की घटना हो या फिर हत्या केस। ऐसे मामलों में दोनों पक्षों में छीनाझपटी होती है। ऐसी स्थिति में अक्सर जूता या चप्पल उतर ही जाता है और क्रिमिनल जल्दबाजी में भाग जाता है। मनोविज्ञानी भी कहते हैं कि वारदात के बाद अपराधी को भागने की जल्दी होती है। ऐसे में वारदात स्थल पर मिले साक्ष्य या जूते-चप्पल से क्रिमिनल्स तक आसानी से पकड़ा जा सकेगा। दुष्कर्म के केस में अक्सर देखा गया है कि वारदात से पहले अपराधी जूता उतार देता है और वारदात के बाद जल्दबाजी में नंगे पांव भाग निकलता है। घटना स्थल पर पुलिस को जूता या चप्पल मिल गया तो उस तक पहुंचना आसान होगा। अगर क्रिमिनल्स का फुट प्रिंट फर्श पर नहीं मिला और जूता मिल गया तो भी जूते के सोल पर अंकित चिन्ह के जरिए अपराधी तक आसानी से पहुंचा जा सकेगा।


साक्ष्य के अभाव में ं रहस्य बनी ये घटनाएं
2013
-थाना न्यू आगर के कमला नगर में बिट्टे अपहरण की घटना बनी रहस्य

2015
-थाना हरीपर्वत के खंदारी स्थित ग्रोवर दंपति हत्या का मामला पेडिंग

2018
-थाना सिकंदरा के भावना एस्टेट में महिला के हत्यारे पुलिस ग्रफ्त से दूर

2021
-थाना जगदीशपुरा के गांव सदरवन में युवती की अधजली बॉडी, नहीं पकड़े हत्यारे

2021
-थाना एत्माद्दौला के झरना नाले में मिली युवती की नहीं हो सकी शिनाख्त

2024
-थाना ताजगंज के नगला पैमा स्थित मस्जिद में महिला की हत्या, नहीं पकड़े आरोपी।



पुलिस कमिश्नरेट आगरा में साक्ष्य आधारित विवेचना प्रणाली की शुरूआत की गई है। क्राइम इनवेस्टिगेशन को लेकर बड़ा बदलाव किया गया है। नए इनवेस्टिगेशन का उद्देश्य फोरेंसिक साक्ष्य, पारदर्शिता और निष्पक्ष बनाना है। इसके लिए समय सीमा तय की गई है। मौके से जुटाए साक्ष्य और इनवेस्टिगेशन से क्रिमिनल को अरेस्ट करना आसान होगा। पुलिस की मजबूत पैरवी क्रिमिनल को सजा दिलाएगी।
जे रविन्दर गौड, पुलिस कमिश्नर आगरा



वर्कशॉप में वारदात के बाद घटनास्थल से जुटाए साक्ष्य, पुलिस इनवेस्टिगेशन के बारे में अहम जानकारी शेयर की गई है। थाना प्रभारियों को केस से जुड़े मजबूत साक्ष्य, इनवेस्टिगेशन की टाइम लिमिट और क्वालिटी पर फोकस करने की जिम्मेदारी दी है। पांच प्वाइंट पर विवेचना की सटीकता बढ़ाने के लिए व्यवहारिक और तकनीकी जानकारियां शेयर की गई हैं।
सुकन्या शर्मा, एसीपी