आगरा (ब्यूरो)। शहर के चर्चित चांदी कारोबारी अवधेश अग्रवाल की रविवार रात बिहार की राजधानी पटना में नकाबपोश बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी। पिछले 20 साल से पटना में उनकी फर्म थी। करवा चौथ मनाने के बाद वे 21 अक्टूबर को पटना गए थे। दीपावली की सुबह उन्हें वापस आना था। बिहार पुलिस हत्या के पीछे आगरा की रंजिश मान रही है।
अवधेश अग्रवाल पुराने चांदी कारोबारी थे
पाश कॉलोनी बाग फरजाना के परिणय कुंज में रहने वाले अवधेश अग्रवाल पुराने चांदी कारोबारी थे। 20 वर्ष पूर्व उन्होंने पटना में अपनी फर्म शुरू की। पटना के पीर बहोर थाना क्षेत्र के बाकरगंज में उनका आफिस और किराए पर फ्लैट था। इसके अलावा होटल भी खोला था। महीने में दो-तीन बार उनका पटना आना-जाना होता था। पटना कार्यालय के अनुसार अवधेश अग्रवाल रात 11 बजे अपने आफिस से फ्लैट जाने के लिए अकेले पैदल निकले थे। पहले मंजिल पर फ्लैट में पहुंचते ही पहले से वहां छुपे बदमाशों ने सटाकर गोली मार दी। वे वहीं गिर पड़े। गली में चल रही आतिशबाजी के कारण फायरिंग की आवाज सुनाई नहीं दी। थोड़ी देर बाद पड़ोसी ने उन्हें पड़ा देखा तो शोर मचाया।
राजा बाजार स्थित निजी अस्पताल ले जाया गया
स्थानीय लोगों की मदद से उन्हें राजा बाजार स्थित निजी अस्पताल ले जाया गया, जहां डाक्टर ने मृत घोषित कर दिया। रात 12 बजे घटना की सूचना मिलने के बाद परिजन पटना के लिए रवाना हो गए। सीसीटीवी रिकार्डिंग में दो बदमाश भागते हुए दिख रहे हैं। डीआइजी पटना राजीव मिश्रा का कहना है कि घटना को दो अपराधियों ने अंजाम दिया। परिजन से बातचीत में जानकारी मिली है कि अवधेश हत्या के प्रयास के मामले में जेल गए थे, लेकिन पिछले महीने दोष मुक्त हुए थे। हत्या के पीछे आगरा की रंजिश बताई जा रही है। सभी तथ्यों पर जांच की जा रही हे।
चांदी कारोबारी पर जानलेवा हमले में गए थे जेल
22 नवंबर 2015 में सराफा कारोबारी सीबी चेंस के मालिक धन कुमार जैन पर शूटर्स द्वारा किए गए जानलेवा हमले की साजिश में अवधेश अग्रवाल जेल गए थे। इसके बाद गैंगस्टर की कार्रवाई भी हुई थी। हालांकि इस मुकदमे से वे बरी हो गए।

बब्बे के साथ बढ़ा कारोबार, हत्या की साजिश ने बनाया गैंगस्टर
- पटना में चांदी कारोबारी अवधेश अग्रवाल की हत्या ने साक्ष्यों के अभाव में किया बरी

पटना में रविवार रात चांदी कारोबारी अवधेश अग्रवाल की हत्या की खबर यहां आई तो सराफा बाजार सन्न रह गया। हत्या क्यों हुई? किसने की? क्या लूट के लिए हत्या हुई? क्या वहां की कानून व्यवस्था ठीक नहीं है? वजहों को लेकर बहुत सी अटकलें हैं। शहर के चर्चित चांदी कारोबारी प्रदीप जैन उर्फ बब्बे से रिश्ते के साथ अवधेश ने बड़े कारोबार का सफर तय किया। बाद में बब्बे के भाई धन कुमार जैन की हत्या की साजिश में नाम आया तो गैंगस्टर लगने के साथ जेल भी जाना पड़ा। धन कुमार की हत्या की साजिश में कारोबारी रंजिश की मुख्य वजह थी। हालांकि सितंबर में हाई कोर्ट ने इस मामले में साक्ष्यों के अभाव में अवधेश को मुक्त कर दिया था।

अवधेश अग्रवाल की शुरू में परचूनी की दुकान थी
मूल रूप से नामनेर में शिवलेश्वर मंदिर के पास रहने वाले अवधेश अग्रवाल की प्रारंभ में परचूनी की दुकान थी। नब्बे के दशक में अवधेश ने चांदी कारोबार में कदम रखा। उस समय प्रदीप जैन उर्फ बब्बे का सराफा कारोबार में सिक्का चल रहा था। बब्बे से अवधेश की नजदीकी हुई और कारोबार ऊंचाई छूने लगा। इससे पहले बब्बे का चांदी की पायल का कारोबार का तेजी से विस्तार हो चुका था। बब्बे ने अवधेश अग्रवाल को आगे बढ़ाया और बिहार में अपने ब्रांड की एजेंसी दे दी। इसके बाद पटना में ऑफिस खोला। यहां के साथ वहां भी अवधेश ने तेजी से कारोबार बढ़ाया। मई 2005 में बब्बे की हत्या हुई तो उनके भाई धन कुमार जैन उर्फ धन्नू ने पायल कारोबार संभाला, अब उनकी सीबी चेंस आगरा का सबसे बड़ा पायल का ब्रांड है। अवधेश अग्रवाल से उनके रिश्ते कई साल तक ठीक रहे। वर्ष 2014 में धन कुमार जैन ने अवधेश से बिहार की एजेंसी वापस ले ली। इसको लेकर बाजार में भी चर्चाएं हुईं.
एजेंसी वापस लिए जाने के लगभग एक वर्ष बाद 22 नंवबर 2015 की रात अपनी फर्म से वापस लौटते में धन कुमार जैन पर शूटरों ने जानलेवा हमला किया। गंभीर रूप से घायल धनकुमार का कई महीनों तक इलाज चला, तब जान बची। बड़े चांदी कारोबारी पर हमले की घटना का पुलिस ने सनसनीखेज पर्दाफाश किया। धनकुमार की हत्या की सुपारी बब्बे के साले विशाल अग्रवाल ने पारस गैंग को 30 लाख रुपये में दी थी। इसके लिए विशाल को पैसा अवधेश अग्रवाल ने दिया था। शूटर्स के साथ ये दोनों भी जेल गए। बाद में अवधेश अग्रवाल के खिलाफ गैंगस्टर की कार्रवाई हुई और पुलिस ने दोबारा जेल भेजा। गैंगस्टर एक्ट के तहत अवधेश की कुर्की की तैयारी भी पुलिस ने की थी, लेकिन हाई कोर्ट से इस पर रोक लगा दी। पिछले महीने 22 सितंबर को हाई कोर्ट ने अवधेश अग्रवाल को दोष मुक्त कर दिया।

दुर्योग, धनतेरस से दो दिन पहले हमला और हत्या:
22 नवंबर 2015 को धन कुमार जैन पर जानलेवा हमले की घटना और अवधेश अग्रवाल की हत्या की घटना के दुर्योग को लेकर भी चर्चाएं शुरू हो गई है। जब धनकुमार पर हमला हुआ उसके दो दिन बाद धनतेरस का त्योहार था। पटना में अवधेश की हत्या रविवार को हुई और दो दिन बाद मंगलवार को धनतेरस है।
--
- बरी के विरोध में सर्वोच्च न्यायालय में दायर की है याचिका
हाई कोर्ट ने सराफा कारोबारी अवधेश अग्रवाल को इस वर्ष 22 सितंबर को बरी कर दिया था। जिसके विरुद्ध सराफा कारोबारी धन कुमार जैन ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की है। जिस पर अभी सुनवाई नहीं हुई थी।