न मार्केट था और न मशीनें
शीला और बबली ने बताया उन्होंने अगरबत्ती बनाने का काम किया था। लेकिन कैपिटल, अच्छी मशीनों का अभाव और बाजार नहीं मिलना बाधा बना हुआ था। लेकिन इन प्रतिकूल हालातों को उन्होंने चुनौती के रूप में लिया। उन्होंने गांवों में अपनी जैसी आर्थिक समस्या से जूझने वाली महिलाओं को ढूंढ़कर उन्हें अपने साथ जोडऩा शुरू किया। महिलाओं का एक ग्रुप बनाया। इस ग्रुप को महिला ग्रामोद्योग एवं रूरल डेवलपमेंट फाउंडेशन के नाम से रजिस्टर्ड कराया।
10 दिन की ट्रेनिंग दी गई
महिलाओं की मदद खादी ग्रामोद्योग आयोग, सूक्ष्म लघु एवं मध्यम मंत्रालय ने की। आयोग से संपर्क करने पर उसने मदद का आश्वासन दिया। मशीनें उपलबध कराने से पहले ग्रुप की महिलाओं को इस वर्ष फरवरी में 10 दिन की ट्रेनिंग दी गई। महिलाओं ने उद्योग स्थापित करने के लिए 20 परसेंट कैपिटल अपनी ओर से जुटाई। जबकि 80 परसेंट सहयोग खादी ग्रामोद्योग आयोग द्वारा किया गया।
लगातार जुड़ रहीं महिलाएं
ग्रुप को कच्चा माल और बाजार लोहामंडी की उद्यमी मधु यादव ने उपलब्ध कराया। महिलाओं द्वारा विभिन्न प्रकार की अगरबत्ती बनाई जा रही हैं। हाल ही में समूह को उच्च क्षमता वाली मशीन स्थानीय अगरबत्ती व्यापारी ने उपलब्ध कराई है। जिनसे वह अब मच्छर भगाने वाली अगरबत्ती भी बना रही हैं। रोजगार मिलने से 20 परिवारों में समृद्धि आ रही है। उनके जीवन में आए बदलावों को देखकर ग्रुप से लगातार महिलाएं जुड़ रही हैं।